कारगिल के शहीदों को आप भी दे सकते हैं श्रद्धांजलि, सेना चीफ ने लॉन्च किया ऐप

12 hours ago

Last Updated:July 26, 2025, 12:56 IST

Kargil Vijay Diwas: करगिल विजय दिवस पर सेना प्रमुख ने डिजिटल श्रद्धांजलि पोर्टल, ऑडियो गेटवे और LOC का वर्चुअल टूर ऐप लॉन्च किया. अब लोग घर बैठे शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे और करगिल युद्ध की कहानियां सुन सक...और पढ़ें

कारगिल के शहीदों को आप भी दे सकते हैं श्रद्धांजलि, सेना चीफ ने लॉन्च किया ऐपकरगिल विजय दिवस पर सेना ने लॉन्च किया डिजिटल श्रद्धांजलि पोर्टल.

हाइलाइट्स

सेना ने ई-श्रद्धांजलि देने वाला डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया.क्यूआर कोड स्कैन कर वीरता की कहानियां सुन पाएंगे लो.इंडस व्यूप्वाइंट ऐप से LOC का वर्चुअल अनुभव मिल सकेगा.

करगिल की वीरभूमि द्रास से एक अहम खबर सामने आई है. करगिल युद्ध की 26वीं बरसी पर यानी करगिल विजय दिवस के खास मौके पर भारतीय सेना ने तीन नई डिजिटल परियोजनाएं शुरू की हैं. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को इन पहलाओं की शुरुआत की. इनका मकसद है कि देश के लोग उन वीर जवानों के बलिदान को न भूलें, जिन्होंने 1999 में करगिल की बर्फीली चोटियों पर दुश्मनों से लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. आम लोग अपने मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए न सिर्फ शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे, बल्कि उस युद्ध से जुड़ी सच्ची कहानियों को भी सुन पाएंगे.

क्या है ये नई डिजिटल पहलें?
सेना द्वारा शुरू की गई इन परियोजनाओं में तीन चीजें खास हैं:

ई-श्रद्धांजलि पोर्टल: अब अगर कोई व्यक्ति करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देना चाहता है, तो उसे द्रास या किसी युद्ध स्मारक पर जाने की जरूरत नहीं है. एक खास पोर्टल लॉन्च किया गया है जहां से लोग घर बैठे अपने फोन से वीर जवानों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं. इससे देश के हर कोने से लोग शहीदों को सम्मान दे पाएंगे. क्यूआर कोड से वीरगाथा सुनने की सुविधा: एक और बड़ी पहल की गई है- ऑडियो गेटवे. इसके ज़रिए लोग एक क्यूआर कोड स्कैन करेंगे और फिर अपने फोन या ईयरफोन से 1999 के करगिल युद्ध की सच्ची घटनाएं सुन सकेंगे. जैसे म्यूज़ियम में लोग हेडफोन लगाकर जानकारी सुनते हैं, वैसे ही यह सुविधा भी काम करेगी. इसमें आपको पता चलेगा कि हमारे सैनिकों ने किन कठिन हालात में युद्ध लड़ा और कैसे दुश्मनों को हराया. इंडस व्यूप्वाइंटऐप से LOC का वर्चुअल अनुभव: एक ऐप भी लॉन्च हुआ है, जिसका नाम हैइंडस व्यूप्वाइंट’. यह ऐप एक तरह का वर्चुअल टूर कराएगा. इसके ज़रिए लोग बटालिक सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LOC) तक डिजिटल रूप से जा सकेंगे. मतलब आप अपने फोन की स्क्रीन पर देख सकेंगे कि वो इलाका कैसा है जहां करगिल युद्ध लड़ा गया था और हमारे सैनिक किन हालात में तैनात रहते हैं.

क्यों जरूरी हैं ये पहलें?
सेना का मानना है कि इन तकनीकी पहलों से आम लोगों को हमारे जवानों की जिंदगी, उनकी बहादुरी और उनके बलिदान के बारे में बेहतर जानकारी मिलेगी. बहुत से लोग युद्ध की कहानियां तो सुनते हैं, लेकिन असली हालात को नहीं समझ पाते. ये डिजिटल साधन लोगों को महसूस कराएंगे कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो हमारे जवान कैसे जान जोखिम में डालते हैं.

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इसका मकसद यही है कि लोग जान सकेंसैनिकों ने अपने फर्ज को निभाते हुए क्या कुछ सहा और कैसे अपना सब कुछ देश के लिए न्यौछावर कर दिया.

क्या है करगिल विजय दिवस?
हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. यह वही दिन है जब साल 1999 में भारत ने पाकिस्तान के साथ करगिल में हुए युद्ध में जीत हासिल की थी. ये लड़ाई करीब तीन महीने तक चली थी और इसमें भारत ने तोलोलिंग, टाइगर हिल और बाकी ऊंची पहाड़ियों पर दुश्मनों को हराकर अपना कब्जा फिर से कायम किया था.

सेना ने इसे ऑपरेशन विजय नाम दिया था. इस लड़ाई में सैकड़ों जवानों ने अपनी जान दी, लेकिन उन्होंने भारत की एक इंच ज़मीन भी दुश्मनों के पास नहीं जाने दी. इसी जज्बे और वीरता को याद करने के लिए करगिल विजय दिवस मनाया जाता है.

बटालिक की भूमिका और आज का महत्व
इस पूरे युद्ध में बटालिक सेक्टर सबसे अहम जगहों में से एक था. यह इलाका करीब 10,000 फुट की ऊंचाई पर है और करगिल, लेह और बाल्टिस्तान के बीच पड़ता है. उस समय यह दुश्मनों के कब्जे में था और इसे आज़ाद कराने के लिए भारत ने यहां कड़ा मुकाबला किया.

आज बटालिक एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है. लोग यहां करगिल युद्ध की यादों को देखने और समझने आते हैं. अब ‘इंडस व्यूप्वाइंटऐप के जरिए वे लोग जो यहां आ नहीं सकते, वे भी इस युद्ध क्षेत्र को वर्चुअली देख और महसूस कर सकेंगे.

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New Delhi,Delhi

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