Last Updated:March 23, 2025, 07:14 IST
Justice Yashwant Varma Cash Row: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर स्टोररूम में नकदी रखने के आरोप लगे हैं, जिसे उन्होंने खारिज किया है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जांच के लिए समिति गठित की है.

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से करोड़ों की नकदी बरामद होने का आरोप है.
हाइलाइट्स
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने का आरोप है.सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जांच के लिए समिति गठित की है.जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए अपने खिलाफ साजिश बताया.दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा इन दिनों बड़े विवाद में घिरे हैं. आरोप है कि उसके घर के स्टोररूम में भारी मात्रा में नकदी रखी हुई थी, जो होली के वक्त लगी आग में जल गई. हालांकि जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि यह स्टोररूम उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोगों की पहुंच में है.
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिए अपने विस्तृत जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की रात होली के दिन उनके सरकारी आवास के स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित स्टोररूम में आग लगी थी. उन्होंने कहा कि यह कमरा आमतौर पर उनके सभी कर्मचारी पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए हुए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी का सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे. यह कमरा अनलॉक रहता था और इसके दोनों ओर से प्रवेश किया जा सकता था-एक आधिकारिक गेट से और दूसरा स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से.
‘मैं तो मध्य प्रदेश में था…’
जस्टिस वर्मा ने बताया कि घटना के समय वह और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश में थे और उनके दिल्ली स्थित आवास में केवल उनकी बेटी और बुजुर्ग मां मौजूद थीं. वह और उनकी पत्नी 15 मार्च को भोपाल से इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली लौटे. उन्होंने कहा कि जब आधी रात के करीब आग लगी, तो उनकी बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को सूचित किया. जब आग बुझाई गई और परिवार के सदस्य मौके पर पहुंचे, तो उन्हें वहां कोई नकदी या नोटों के अवशेष नहीं मिले.
जस्टिस वर्मा ने जोर देकर कहा कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी उस स्टोररूम में नकदी नहीं रखी. उन्होंने इस आरोप को पूरी तरह ‘असंभव, अविश्वसनीय और हास्यास्पद’ बताया. उन्होंने कहा कि जब वह दिल्ली लौटे, तब उन्हें इस घटना की पूरी जानकारी मिली. जस्टिस वर्मा ने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने उन्हें फोन कर इस घटना की जानकारी दी, तब तक उन्हें यही बताया गया था कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने आगे कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने उनके प्रमुख निजी सचिव (PPS) को घटनास्थल पर भेजने का अनुरोध किया, तो उन्होंने इसकी अनुमति दी. उस रात PPS वहां पहुंचे और जब जस्टिस वर्मा और उनके निजी सचिव ने उनके साथ मिलकर जले हुए कमरे का निरीक्षण किया, तो उन्हें कोई नकदी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि अगले दिन, 16 मार्च को जब अदालत की कार्यवाही शुरू होने से पहले उन्होंने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से मुलाकात की, तो उन्हें एक वीडियो दिखाया गया, जिसे दिल्ली पुलिस आयुक्त ने साझा किया था.
‘वीडियो देखकर चौंक गया’
जस्टिस वर्मा ने लिखा, ‘मैं इस वीडियो को देखकर पूरी तरह चौंक गया, क्योंकि इसमें दिखाया गया दृश्य उस जगह से बिल्कुल अलग था, जिसे मैंने खुद अपनी आंखों से देखा था.’ उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश लगती है. उन्होंने यह भी कहा कि दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई गई थीं और यह घटना भी उसी साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है.
उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सभी लेनदेन बैंकिंग चैनलों, यूपीआई एप्लिकेशन और कार्ड के माध्यम से होते हैं, और नकद लेनदेन का कोई सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने यह भी बताया कि जिस वीडियो में कथित रूप से जली हुई नकदी दिखाई गई है, वह घटनास्थल पर उनके मौजूद रहने के दौरान नहीं मिली थी.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 23, 2025, 07:14 IST