Last Updated:October 27, 2025, 12:17 IST
जितनी देर में मनुष्य कुछ समझ पाता है या हरकत में आ पाता है, उतने से भी कम देर में सांप हमला करके दांत गड़ा देता है, विष इंजेक्ट कर देता है और फिर अपनी सामान्य स्थिति में चला जाता है. आखिर सांप इतनी तेजी से कैसे ये सब कर लेता है.

आधे सेकंड से भी कम समय. जितनी देर में हम हरकत में भी नहीं आ पाते, उतनी देर में सांप को शिकार पर घात लगाकर हमला कर चुका होता है, डस लेता और वापस अपनी मूल स्थिति में आ जाता है. इतनी तेज हमले से बचना कम से कम मनुष्य के वश में तो नहीं है. आखिर कैसे सांप इतनी तेजी से घातक हमला कर लेता है कि बचने का कोई मौका ही नहीं देता. यहां ये जान लें एक औसत मनुष्य को कोई प्रतिक्रिया करने में ही करीब 0.25 सेकंड लग जाता है, क्योंकि उसके दिमाग में सिगनल इतनी ही देर में पहुंच पाते हैं. हाल की रिसर्च ने ये बात बताई है और अब हम आपको बताएंगे कि सांप ऐसा कैसे कर पाता है.
वैज्ञानिकों ने उच्च-गति वाली कैमरों (1000 फ्रेम प्रति सेकंड से अधिक) का उपरोग करके सांपों के हमलों का अध्ययन किया. इससे उन्होंने उनकी मांसपेशियों की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापा. कंप्यूटर मॉडल्स के जरिए इस गति का विश्लेषण किया. इन शोधों से पता चला है कि कुछ सांप, जैसे कि कोबरा या वाइपर, 50 से 90 मिलीसेकंड (0.05 से 0.09 सेकंड) के भीतर हमला कर सकते हैं, जो पलक झपकने में लगने वाले समय (लगभग 150 मिलीसेकंड) से भी कम है.
क्या बताती है सांप की ये तेजी
सांप का आधे सेकंड से भी कम समय में हमला दरअसल प्रकृति की एक अद्भुत रचना ही है. सांप का इतनी तेजी से ये सब कर लेना हैरान तो करता है लेकिन ये कैसे उसने खुद सुरक्षित रखने की दौड़ में ऊर्जा दक्षता, तंत्रिका गति और शारीरिक यांत्रिकी के चरम पर पहुंचा दिया है. मनुष्य की शारीरिक प्रतिक्रिया इससे बहुत धीमी होती है. मनुष्य बुद्धिमान है, सीखता है और ये समझ लें कि सांप और मनुष्य में ये अंतर करोड़ों सालों के विकास में ही हुआ है.
सांप का शरीर तेज स्प्रिंग की तरह काम करता है
तो ये समझ लें कि सांप का हमला केवल गति का मामला नहीं है, ये उसके ऊर्जा प्रबंधन, संरचनात्मक इंजीनियरिंग और तंत्रिका तंत्र का गजब का तालमेल है. किसी हमले में हरकत में आने के दौरान सांप की मांसपेशियां एक शक्तिशाली स्प्रिंग की तरह कार्य करती हैं. जब सांप “S” आकार की अपनी प्रसिद्ध मुद्रा बनाता है, तो वह अपनी पेशियों में लोचशील ऊर्जा इकट्ठा कर रहा होता है. जैसे रबर को तानें और फिर छोड़ें तो वो बहुत तेज गति से प्रतिक्रिया देती है. इसी वजह से सांप का शरीर तेज गति से आगे की ओर झपटता है. ये प्रक्रिया केवल मांसपेशियों के संकुचन से कहीं अधिक कुशल और तेज़ होती है.
सांपों का लचीला शरीर
सांपों में एक अत्यंत लचीला कंकाल तंत्र होता है. उनकी पसलियां शरीर के अधिकांश हिस्से में फैली होती हैं. उनके जबड़े की हड्डियां लचीले लिगामेंट्स से जुड़ी होती हैं. हमले के दौरान, यह लचीलापन उन्हें अविश्वसनीय दूरी तक पहुंचने और अपने मुंह को शिकार पर जकड़ने के लिए बड़ा होने में मदद करता है.
बहुत तेज स्पीड में होता है सबकुछ
गति के साथ-साथ हमले की प्रभावशीलता विष पर निर्भर करती है. सांप की विष ग्रंथियां विशेष प्रोटीन और एंजाइम्स से भरी होती हैं जो शिकार को तुरंत अक्षम कर देती हैं. उसके दांत खोखले या नालीदार होते हैं, जो एक सूई की तरह काम करते हुए विष को सीधे शिकार के शरीर के अंदर में पहुंचाते हैं. ये पूरी प्रक्रिया – हमला, डंसना, विष इंजेक्ट करना और वापस लौटना – अविश्वसनीय रूप से तेज़ गति के दौरान पूरी होती है.
ब्रेन नहीं सांप की तंत्रिकाएं तुरंत एक्टिव हो जाती हैं
एक सांप का हमला एक शुद्ध रिफ्लेक्स के करीब होता है. यह मस्तिष्क के सोच-विचार से गुजरे बिना, सीधे रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं द्वारा नियंत्रित होता है. जब सांप की आंखें या गर्मी महसूस करने वाले अंग (पिट ऑर्गन) शिकार का पता लगाते हैं, तो संकेत सीधे उन न्यूरॉन्स तक जाते हैं जो हमले की मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं. यह एक छोटा और अत्यंत तेज़ न्यूरल सर्किट है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि सांपों के तंत्रिका-मांसपेशी जंक्शनों में न्यूरोट्रांसमीटर की मात्रा अधिक होती है. वो अधिक तेज़ी से काम करते हैं.
मनुष्य को हरकत में आने में आधे सेकेंड लग जाते हैं
रिसर्च बताती है कि मनुष्य और चूहा जैसे स्तनधारी किसी भी हरकत को शुरू करने में ही लगभग आधा सेकंड लगा देते हैं. इस देरी के पीछे कई कारण हैं. मनुष्य का मस्तिष्क एक शक्तिशाली कंप्यूटर की तरह है, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग में समय लगता है. जब कोई खतरा दिखाई देता है तो आंखों से मिलने वाले संकेत पहले मस्तिष्क के विजुअल कॉर्टेक्स में जाते हैं, फिर थैलेमस और अमिग्डाला से होते हुए आखिर में मोटर कॉर्टेक्स द्वारा मांसपेशियों को हिलने का आदेश मिलता है. ये पूरी प्रक्रिया समय लेती है.
मनुष्य के प्रतिक्रिया में आने से पहले ब्रेन कई तरह के विश्लेषण करता है – क्या ये वास्तव में खतरा है? किस दिशा से आ रहा है? कौन-सी प्रतिक्रिया सबसे उपयुक्त होगी – कूदना, चिल्लाना, या हाथ उठाना? यह निर्णय लेने की प्रक्रिया, हालांकि सेकंड के सौवें हिस्से में होती है, फिर भी एक शुद्ध रिफ्लेक्स एक्शन से कहीं अधिक धीमी है.
चूहे हालांकि मनुष्यों से छोटे और तेज़ होते हैं, फिर भी उनका तंत्रिका तंत्र एक समान सिद्धांत पर काम करता है. उनका भी प्रोसेसिंग टाइम उन्हें सांप जैसे विशेषज्ञ शिकारी के सामने असुरक्षित बना देता है.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
October 27, 2025, 12:17 IST

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