नई दिल्ली. सुखबीर बादल की अगुवाई वाली शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने अपने आठ बड़े नेताओं को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इन नेताओं पर ‘साजिश’ के तहत ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ में शामिल होने का आरोप है. दरअसल हालिया लोकसभा चुनावों में अकाली दल की करारी हार के बाद से ही ये नेता सुखबीर बादल के खिलाफ बगावत का झंडा उठाए हुए थे. इन नेताओं की मांग थी कि सुखबीर बादल 2017 के बाद से लगातार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की खराब हालत की ज़िम्मेदारी लेते हुए शीअद के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें.
अकाली दल से निकाले गए आठ नेताओं में गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और चरणजीत सिंह बराड़ शामिल हैं.
अकाली दल ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब एक हफ्ते पहले ही पार्टी की कोर कमेटी को भंग कर दिया गया था. इन सभी बागी नेताओं को कोर कमेटी में जगह दी गई थी. 1 जुलाई को सभी बागी नेता सिखों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल, अकाल तख्त के सामने पेश हुए और 2007-17 के दौरान, जब पार्टी राज्य सत्ता में थी, की गई “गलतियों” के लिए माफ़ी मांगी.
ये नेता उस अकाली बागी गुट का भी हिस्सा हैं, जिसने 15 जुलाई को ‘शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर’ नामक एक अभियान शुरू किया था. इस अभियान का मकसद 103 साल पुरानी पार्टी में ‘सुधार सुनिश्चित’ करना है. तो आइए जानते हैं ये नेता कौन से हैं…
गुरपरताप सिंह वडाला- 60 साल गुरपारतप सिंह वडाला जालंधर जिले के नकोदर से दो बार के शिअद विधायक हैं. उनके पिता कुलदीप सिंह वडाला भी अकाली विधायक थे. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले गुरपारतप सिंह वडाला ने 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव जीता था।
बीबी जागीर कौर- 69 साल की बीबी जागीर कौर तीन बार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की अध्यक्ष रह चुकी हैं. वह एसजीपीसी प्रमुख के रूप में कार्य करने वाली एकमात्र महिला नेता हैं. वह 1995 में शिअद में शामिल हुई थीं और 1997 में भोलाथ सीट से पार्टी के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीती थीं. वह 2002 और 2012 के चुनावों में भी इसी सीट से जीती थीं.
प्रेम सिंह चंदूमाजरा- तीन बार के अकाली सांसद 74 वर्षीय प्रेम सिंह चंदूमाजरा पंजाब सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वह 1980 के दशक की शुरुआत में अकाली दल की युवा शाखा के पहले अध्यक्ष बने. 1985 में, उन्होंने दाकला से विधानसभा चुनाव जीता और उन्हें शिअद की अगुवाई वाली सरकार में शामिल किया गया.
1996 के लोकसभा चुनाव में, चंदूमाजरा अकाली दल के टिकट पर आनंदपुर साहिब से जीते थे. 1998 के चुनाव में, उन्होंने पटियाला में तत्कालीन कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को हराया था. चंदूमाजरा पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता थे और उन्हें सुखबीर का करीबी माना जाता था.
परमिंदर सिंह ढींडसा- 50 वर्षीय परमिंदर सिंह ढींडसा अकाली दिग्गज सुखदेव सिंह ढींडसा के बेटे हैं. वह 1990 के दशक के मध्य में अकाली दल में शामिल हुए और 1998 में उन्हें पार्टी की युवा शाखा का महासचिव नियुक्त किया गया. पांच बार के अकाली विधायक, परमिंदर ने पहली बार 2000 में सुनम सीट से जीत हासिल की थी.
सिकंदर सिंह मलूका- 75 साल के अकाली दिग्गज और दो बार के विधायक सिकंदर सिंह मलूका 2012 की अकाली दल-भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री थे. वह अप्रैल 2024 में सुर्खियों में तब आए जब उनकी बहू और पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू मलूका समय से पहले रिटायरमेंट लेने के बाद भाजपा में शामिल हो गईं.
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FIRST PUBLISHED :
August 1, 2024, 14:43 IST