कोई मिलने आ रहा, कोई फोन मिला रहा… PM मोदी से यूरोप को उम्मीद, ट्रंप से मोहभंग

18 hours ago

Last Updated:September 06, 2025, 20:06 IST

यूरोप के नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अब पीएम मोदी से उम्मीद लगाई है. फ्रांस, जर्मनी और ईयू के नेताओं ने सितंबर के पहले सप्ताह में ही भारत से संपर्क साधा है.

कोई मिलने आ रहा, कोई फोन मिला रहा… PM मोदी से यूरोप को उम्मीद, ट्रंप से मोहभंगट्रंप से मोहभंग, अब पीएम मोदी के भरोसे यूरोप (फाइल फोटोज)

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध को रोक पाने की कोशिश में यूरोप और अमेरिका नाकाम रहे. फ्रांस से लेकर जर्मनी और यूरोपीय संघ तक, सबकी नजर अब एक ही शख्स पर टिक गई है: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. यूरोप को अब भरोसा है कि अगर कोई संतुलन साध सकता है, तो वह भारत है. अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप से यूरोप का मोहभंग हो चुका है.

फ्रांस का दांव: मैक्रों ने मोदी को फोन लगाया

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी से टेलीफोन पर बातचीत की. दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संकट पर विचार साझा किए और शांति बहाली के प्रयासों पर सहमति जताई. दिलचस्प बात यह रही कि यह बातचीत सिर्फ युद्ध पर केंद्रित नहीं थी, बल्कि दोनों ने रक्षा, विज्ञान, तकनीक और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर भी सहयोग मजबूत करने की बात की. पीएम मोदी ने मैक्रों को अगले साल भारत में होने वाले AI Impact Summit में शामिल होने का न्योता भी दिया. यूरोप को साफ संदेश गया कि भारत सिर्फ युद्ध पर बात नहीं कर रहा, बल्कि भविष्य की टेक्नोलॉजी और सुरक्षा व्यवस्था में भी साझेदारी बढ़ाना चाहता है.

यूरोपीय संघ का PM मोदी पर भरोसा

कुछ ही दिन पहले पीएम मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन से संयुक्त कॉल पर बातचीत की. यह कॉल दिखाता है कि यूरोप अब सीधे भारत को एक बड़े रणनीतिक भागीदार की तरह देख रहा है. बातचीत में न सिर्फ यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हुई, बल्कि India-EU FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) को जल्द से जल्द पूरा करने की बात भी हुई. भारत ने साफ कहा कि वह शांति का समर्थक है, लेकिन इसके साथ-साथ व्यापार और टेक्नोलॉजी साझेदारी को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

I presented him the outcome of the work we carried out with President Zelensky and our partners of the Coalition of the Willing last Thursday in Paris.

India and France share the same determination…

जर्मनी का भी भारत की ओर झुकाव

जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडेपुल हाल ही में भारत आए. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंने साफ कहा कि भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने पर सहयोग और गहरा किया जाएगा. व्यापार, टेक्नोलॉजी, स्थिरता और रक्षा, हर क्षेत्र में जर्मनी भारत को अब एक निर्णायक साझेदार मान रहा है. जर्मनी ने भी संकेत दिए कि युद्ध पर भारत की भूमिका अहम है और मोदी से मिलने की योजना में उनकी चांसलर भी जल्द भारत आ सकती हैं.

Delighted to meet German Foreign Minister Johann Wadephul. India and Germany are celebrating 25 years of Strategic Partnership. As vibrant democracies and leading economies, we see immense potential to scale up mutually beneficial cooperation in trade, technology, innovation,… https://t.co/pybgsjeo3R

रूस और यूक्रेन, दोनों से बातचीत कर रहा भारत

मोदी की डिप्लोमेसी का सबसे बड़ा संदेश यह है कि वे सिर्फ यूरोप या अमेरिका से बात नहीं कर रहे, बल्कि रूस और यूक्रेन, दोनों से सीधे संपर्क बनाए हुए हैं. तियानजिन में हुए SCO शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और पुतिन की मुलाकात हुई. मोदी ने साफ कहा कि युद्ध को तुरंत खत्म करना होगा और स्थायी समाधान ढूंढना होगा. दूसरी तरफ, मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से भी फोन पर बातचीत की. उन्होंने यूक्रेन को भरोसा दिलाया कि भारत शांति के हर प्रयास में उसका साथ देगा.

Had an excellent meeting with President Putin on the sidelines of the SCO Summit in Tianjin. Discussed ways to deepen bilateral cooperation in all sectors, including trade, fertilisers, space, security and culture. We exchanged views on regional and global developments, including… pic.twitter.com/DhTyqOysbf

ट्रंप से मोहभंग क्यों?

यूरोप और अमेरिका के रिश्तों में दरार साफ दिख रही है. ट्रंप लगातार टैरिफ और तेल खरीद पर भारत को धमकाते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि ‘भारत रूस और चीन के साथ गहराता जा रहा है’. लेकिन यूरोप ने इस भाषा से दूरी बनाई और अब वह मोदी की डिप्लोमेसी पर दांव लगा रहा है. यूरोप जानता है कि भारत के पास रूस से संवाद का भरोसा है, यूक्रेन से सम्मानजनक रिश्ता है और पश्चिम के साथ साझेदारी का भरोसा भी. यही बैलेंस किसी और के पास नहीं है. अब ट्रंप के सुर भी बदलते दिख रहे हैं.

क्यों यूरोप को भारत से उम्मीद?

विश्वसनीय मध्यस्थ: भारत दोनों पक्षों से संवाद बनाए हुए है.

संतुलित नीति: रूस से ऊर्जा खरीद भी जारी है और पश्चिम से टेक्नोलॉजी साझेदारी भी.

बढ़ती ताकत: भारत आज G20, SCO, BRICS और Quad, हर मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है.

ट्रंप की अस्थिरता: अमेरिका के बयानबाजी और यू-टर्न वाले रवैये ने यूरोप का भरोसा कम कर दिया है.

आज हालात ऐसे हैं कि चाहे फ्रांस का राष्ट्रपति हो, जर्मनी का विदेश मंत्री या यूरोपीय संघ की टॉप लीडरशिप, सबकी डायलॉग लिस्ट में पहला नाम पीएम मोदी का है. यह भारत की डिप्लोमेसी की जीत है. अब सवाल यह है कि क्या मोदी की कोशिशें युद्ध को थाम पाएंगी? जवाब आसान नहीं, लेकिन इतना तय है कि यूरोप की उम्मीदें अब पूरी तरह दिल्ली पर टिकी हैं.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 06, 2025, 20:06 IST

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