Why are soldiers in the IDF committing suicide? यह कहानी है एक ऐसी सेना की, जिसे दुनिया सबसे अनुशासित और मजबूत मानती है यानी इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF). लेकिन इस चमकदार सैन्य शक्ति के पीछे आज एक गहरी और दर्दनाक सच्चाई छिपी है. इजरायल के नेसेट रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर की एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि जनवरी 2024 से जुलाई 2025 के बीच, IDF के 279 सैनिकों ने आत्महत्या करने की कोशिश की.
रिपोर्ट बताती है कि यह आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि टूटते मनोबल और बढ़ते मानसिक तनाव की कहानी है. ‘द टाइम्स ऑफ इज़रायल’ के मुताबिक, यह रिपोर्ट धुर-वामपंथी सांसद ओफर कैसिफ के अनुरोध पर तैयार की गई. इसमें एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. रिसर्च में पता चला कि जिन सैनिकों ने जान देने की कोशिश की, उनमें से हर एक ने औसतन सात बार पहले भी आत्महत्या का प्रयास किया था.
युद्ध के बाद लौट आया पुराना डर
7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इज़रायल ने बड़े पैमाने पर अपने रिजर्व सैनिकों को फिर से ड्यूटी पर बुलाया था. हजारों लोग, जो पहले सामान्य नागरिक जीवन जी रहे थे, वे अचानक मोर्चे पर लौट आए. कई महीनों से चल रही लड़ाई, लगातार खतरे में रहने की स्थिति और युद्ध की भयावह तस्वीरों ने इन सैनिकों के मानसिक संतुलन को गहराई से झकझोर दिया है.
रिपोर्ट बताती है कि 2024 में हुई सभी आत्महत्याओं में से 78 फीसदी कॉम्बैट सैनिकों की थीं यानी वे जो सीधे मोर्चे पर लड़ रहे थे. यह दर 2017 से 2022 के बीच 42 से 45 फीसदी के बीच रही थी. इतने कम समय में यह इतनी तेज़ी से बढ़ना इज़रायली सेना के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है.
'हम मदद की गुहार सुन रहे हैं...'
इज़रायल की संसद (नेसेट) में 15 सितंबर 2025 को एक बैठक हुई थी, जहां इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की गई. लेबर एंड वेलफेयर कमेटी की चेयरपर्सन मिशाल वोलडिगर ने चिंता जताते हुए कहा, जब से युद्ध शुरू हुआ है, हमें आम नागरिकों और सैनिकों दोनों से मदद की अपीलें मिल रही हैं. लोग टूट रहे हैं. आत्महत्या के मामलों में जो तेजी आई है, वह डराने वाली है.
बैठक में सेना के प्रतिनिधियों ने भी आंकड़े पेश किए. उन्होंने बताया कि साल 2024 में 24 सैनिकों ने आत्महत्या की. इनमें रेगुलर सर्विस, रिजर्व ड्यूटी पर हों और करियर ऑफिसर सभी शामिल रहे.
आंकड़ों के पीछे की कहानी
यह रिपोर्ट सिर्फ संख्याएं नहीं, बल्कि उन सैकड़ों सैनिकों की वेदना बयां करती है जो अपने भीतर के युद्ध में हार गए. इज़रायली रक्षा मंत्रालय के मेडिकल और मेंटल हेल्थ विभाग ने बताया कि ज़्यादातर सैनिकों को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), नींद न आने, अवसाद और अपराधबोध जैसी मानसिक समस्याएं झेलनी पड़ीं.
विशेष बात यह है कि रिपोर्ट में सिर्फ उन्हीं सैनिकों का डेटा शामिल किया गया है जो आत्महत्या की कोशिश के समय सेवा में थे. यानी जो या तो सक्रिय ड्यूटी पर थे या रिजर्विस्ट के रूप में कार्यरत थे. इसमें वे सैनिक शामिल नहीं हैं जिन्होंने सेवा छोड़ने के बाद खुदकुशी की.
सेना भी सतर्क, पर जख्म गहरे हैं
एक डिफेंस एक्सपर्ट के ने कहा कि इज़रायल डिफेंस फोर्सेज अब सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा गंभीर हो गई है. सेना के अस्पतालों और कैंपों में मनोवैज्ञानिक परामर्श, काउंसलिंग सत्र और हॉटलाइन नंबर जारी किए गए हैं. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं है. सरकार को इससे ज्यादा करने की जरूरत है. फिलहाल हर मोर्चे पर खड़े सैनिक के भीतर भी एक “अदृश्य युद्ध” चल रहा है, जो बंदूक से नहीं, बल्कि मन से लड़ा जा रहा है.
इज़रायल की यह रिपोर्ट बताती है कि युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि लोगों के अंदर भी लड़ा जाता है. 279 सैनिकों की ये कोशिशें एक कड़वा सच उजागर करती हैं कि बंदूकें जीत सकती हैं, लेकिन मन की लड़ाई हार भी सकती है. अब सवाल यह है कि क्या दुनिया के बाकी देश, जो अपने सैनिकों को मोर्चे पर भेजते हैं, उनसे यह सबक लेंगेक्योंकि हर फौजी, चाहे वह किसी भी देश का हो, जीत के बाद भी अपने भीतर की हार से जूझता रहता है.

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