क्या केरल भी फतह कर लेगी भाजपा, पिछले निकाय चुनाव से कितना अलग रिजल्ट?

6 hours ago

केरल निकाय चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए खुश करने वाले रहे. लेफ्ट के इस बचे किले में भगवा दल छेद करती दिखी. बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. 101 वार्डों वाले इस निगम की 50 सीटों पर बीजेपी नीत एनडीए ने जीत का परचम लहराया. शशि थरूर के संसदीय क्षेत्र और केरल की राजधानी में निगम जीत से बीजेपी खूब उत्साहित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके बीजेपी के इस प्रदर्शन पर कार्यकर्ताओं को बधाई दी है.

यह निकाय चुनाव इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता के सेमिफाइनल के रूप में देख जा रहा है. वैसे यहां कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीएम के चेहरे वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक यानी एलडीएफ के बीच सत्ता की घूमती रहती है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले थे क्योंकि यहां एलडीएफ ने शानदार जीत दर्ज करते हुए सत्ता में वापसी की थी.

ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी का यह स्कोर आगामी चुनावों में क्या रंग दिखाएगा और क्या भगवा दल वहां भी कोई बड़ा उलटफेर करने में कामयाब रहेगी. चलिये निकाय चुनाव के नतीजों को तह तक जाकर समझते हैं…

एनडीए को मिले कितने वार्ड?

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए ने इस निकाय चुनाव में कुल 1919 वार्ड जीते हैं, जो 2020 में हुए पिछले निकाय चुनाव में मिले 1597 वार्डों से थोड़ा अधिक है. गांव पंचायतों की बात करें तो एनडीए को 26 पंचायतों में बहुमत मिला, जो पिछले चुनाव में 19 था. यह बढ़त ऐसे समय आई है जब बीजेपी ने सबसे ज्यादा 19,262 उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस के 17,497 और सीपीएम के 14,802 उम्मीदवार मैदान में थे.

हालांकि, तिरुवनंतपुरम नगर निगम और दो नगरपालिकाओं त्रिपुनिथुरा और पलक्कड़ को छोड़ दें तो एनडीए इस बढ़े हुए वार्ड आंकड़े को बड़े स्तर की जीत में बदलने में नाकाम रहा. वजह यह रही कि बीजेपी की जीत अलग-अलग इलाकों में बिखरी रहीं और इतनी सघन नहीं हो सकीं कि ज्यादा स्थानीय निकायों पर कब्जा हो सके.

बीजेपी की टेंशन क्यों बढ़ा रहे सहयोगी?

एनडीए की कुल 1,919 वार्ड जीतों में लगभग सभी सीटें बीजेपी के खाते में गईं. उसकी प्रमुख सहयोगी भारतीय धर्म जन सेना (BDJS) को महज पांच वार्ड मिले, जिनमें से चार पंचायतों में हैं. यह भी साफ करता है कि केरल में एनडीए की असली ताकत फिलहाल सिर्फ बीजेपी तक सीमित है.

बीजेपी ने कुल 93 निगम वार्ड जीते, जिनमें से 50 अकेले तिरुवनंतपुरम से आए. लेकिन एक अहम तथ्य यह भी है कि बीजेपी 346 जिला पंचायत वार्डों में से किसी एक में भी बढ़त हासिल नहीं कर सकी. जिला पंचायतें बड़े और राजनीतिक रूप से ज्यादा संगठित क्षेत्र मानी जाती हैं, जहां पार्टी का कमजोर प्रदर्शन आने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से चिंता का विषय है, खासकर तिरुवनंतपुरम शहरी क्षेत्र के बाहर.

कांग्रेस खुश तो लेफ्ट की क्यों बढ़ी टेंशन?

नगरपालिकाओं में बीजेपी ने 324 वार्ड जरूर जीते, लेकिन किसी भी नगरपालिका में उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. त्रिपुनिथुरा में बीजेपी 21 वार्ड के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) 20 वार्ड के साथ ठीक पीछे रहा. पलक्कड़ नगरपालिका में भी बीजेपी को झटका लगा, जहां वह पिछले एक दशक से सत्ता में थी, वहां इस बार उसे 53 में से सिर्फ 25 वार्ड मिले, जो पहले के 28 से कम हैं. इससे स्थानीय स्तर पर एंटी-इंकम्बेंसी साफ झलकती है.

वहीं, संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने राज्यभर में 7,816 वार्ड जीतकर बढ़त बनाई, जबकि सीपीएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ 7,454 वार्ड के साथ दूसरे नंबर पर रहा. यूडीएफ की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने 2,844 वार्ड जीतकर अपनी मजबूत पकड़ बरकरार रखी, जबकि सीपीआई को 1,018 वार्ड मिले.

2025 के स्थानीय निकाय चुनाव 9 और 11 दिसंबर को दो चरणों में हुए और मतगणना 13 दिसंबर को हुई. नतीजों में यूडीएफ ने छह में से चार निगम कोच्चि, कोल्लम, त्रिशूर और कन्नूर पर कब्जा किया और नगरपालिकाओं व ग्राम पंचायतों में भी उसका दबदबा रहा. सत्तारूढ़ एलडीएफ, जो 2020 में पांच निगमों में सत्ता में था, इस बार सिर्फ कोझिकोड तक सिमट गया और 45 साल बाद तिरुवनंतपुरम नगर निगम भी NDA के हाथों गंवा बैठा.

कुल मिलाकर, तिरुवनंतपुरम में जीत बीजेपी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली जरूर है और इससे पार्टी को यह संदेश मिला है कि केरल में उसके लिए राजनीतिक जमीन मौजूद है. लेकिन राज्यव्यापी नतीजे बताते हैं कि वार्डों में मामूली बढ़त के बावजूद बीजेपी और एनडीए को अभी केरल को ‘फतह’ करने के लिए लंबा रास्ता तय करना होगा.

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