क्या दुनियाभर में एग्जिट पोल्स से उठने लगा है विश्वास, क्या हैं वजहें, किन देश

2 hours ago

हमारे देश में एक्जिट पोल होते हुए तीन दशक के करीब हो रहे हैं. लेकिन हर चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजों के साथ इन्हें लेकर ना केवल विवाद होता है बल्कि इनके दावे भी हवा-हवाई ज्यादा लगने लगते हैं. आखिर क्या ऐसा हो गया कि दुनियाभर में लोगों का भरोसा एग्जिट पोल से उठने लगा है. हालांकि आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनावों के एक्जिट पोल नतीजे 11 नवंबर को वहां दूसरे चऱण की वोटिंग के बाद आने शुरू हो जाएंगे. इसके बाद फिर इन नतीजों की परख तब होगी जबकि 14 नवंबर को वोट काउंटिंग के बाद असल में चुनाव नतीजे आएंगे.

दुनियाभर में ये तो साफ नजर आने लगा है कि लोगों का Exit Poll पर से भरोसा लगातार कम होता जा रहा है. एक शोध बताता है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं से ही लोगों का भरोसा गिर रहा है और चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर भी संदेह बढ़ा है. इससे एक्जिट पोल भी लोगों को फिक्स लगने लगे हैं. एक बात और भी है, जिन देशों में मतदान और मतगणना की प्रक्रिया बहुत तेज और पारदर्शी है, वहां एग्जिट पोल की जरूरत खत्म होती जा रही है.

क्या है एग्जिट पोल

एग्जिट पोल एक ऐसा सर्वेक्षण है जिसमें मतदान केंद्रों से बाहर निकलने वाले मतदाताओं से ये पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया है. इसका उद्देश्य चुनाव के नतीजों का एक अनुमान लगाना होता है, जो वास्तविक नतीजों की घोषणा से पहले ही जारी कर दिया जाता है. ये मतदान के दिन ही किया जाता है. मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं से सीधे उनके वोटिंग पैटर्न के बारे में पूछकर किया जाता है. ये चुनावी नतीजों का एक वैज्ञानिक अनुमान कहा तो बेशक जाता है लेकिन 100% सटीक नहीं होता.ॉ

भारत में भी सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज – लोकनीति सर्वेक्षण में ये पाया गया कि देश में चुनाव-आयोग पर भरोसा पांच वर्षों में आधा कम हो गया है. इसके अलावा विश्लेषण बताते हैं कि एग्जिट पोल अक्सर वास्तविक परिणाम से हट जाते हैं.

एग्जिट पोल पर भरोसा क्यों कम हुआ

दरअसल एग्जिट पोल के सर्वे इस बात पर आधारित होते हैं कि वोटिंग करके मतदान केंद्रों से निकल रहे लोग सही जवाब देंगे लेकिन ऐसा होता नहीं है. कुछ मतदाता वास्तव में झिझकते हैं, कुछ गोलमोल जवाब देते हैं तो कुछ गलत भी बताते हैं. और ये भी कहना चाहिए कि विभिन्न समूहों का मतदान व्यवहार बदल रहा है.

– मतदाता दबाव, भय, सामाजिक परिस्थितियों के चलते खुलकर अपने मत का खुलासा नहीं करना चाहते. ये बात अब धीरे धीरे बढ़ रही है. जिससे इनकी गहराई कम होने लगी है.

– पिछले कई चुनावों से एग्जिट पोल के आधार पर लोगों ने जिन नतीजों के होने पर विश्वास किया, वैसा नतीजा नहीं आया. परिणाम उससे बहुत अलग रहे. ऐसे में भरोसा टूटा. भारत में कई एग्जिट पोलों के नतीजे सिरे से गलत साबित हुए.

आंकड़े क्या कहते हैं

– एक अध्ययन के अनुसार भारत में पिछले 40 सालों में 833 सर्वेक्षणों (386 पूर्व मतदाता पोल यानि ओपिनियन पोल + 447 एग्जिट पोल) में करीब 75% सर्वेक्षणों ने सही विजेता पार्टी का अनुमान लगाया.

– एग्जिट पोल की सफलता दर भारत में लगभग 84% बताई गई है, जबकि पूर्व-मत सर्वेक्षण (opinion polls) की सफलता दर 71% थी. एक अन्य स्रोत में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि एग्जिट पोलों का सटीकता काफी सीमित रही है, विशेष रूप से सीटों के अनुमान में.

जिन देशों में एग्जिट पोल प्रतिबंधित

1. फ्रांस में एग्जिट पोल पर पूरी तरह प्रतिबंध है. ये माना जाता है कि एग्जिट पोल मतदान प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं. फ्रांस में मतदान एक दिन नहीं, बल्कि कई हफ्तों तक चलता है, इसलिए शुरुआती एग्जिट पोल बाद में मतदान करने वालों के फैसले को बदल सकते हैं. मीडिया और शोध संस्थाएं मतदान खत्म होने के बाद ही “एस्टीमेटेड वोट शेयर” जारी करती हैं, जो वास्तव में गिने गए वोटों के शुरुआती नमूने पर आधारित होता है.

2. इटली में भी एग्जिट पोल पर प्रतिबंध है. चुनावी नतीजों को प्रभावित करने और जनमत को गलत दिशा देने की आशंका के चलते यहां एग्जिट पोल पर रोक लगी हुई है. मतदान शुरू होने से 15 दिन पहले से लेकर मतगणना पूरी होने तक किसी भी तरह के चुनावी सर्वे प्रकाशित नहीं किए जा सकते.

3. जर्मनी में एग्जिट पोल का चलन बहुत सीमित है. यहां मतदान शाम 6 बजे खत्म होता है. उसके कुछ ही घंटों बाद आधिकारिक नतीजे आने शुरू हो जाते हैं. इस तेज गिनती प्रक्रिया के कारण एग्जिट पोल की उपयोगिता खत्म हो गई है.

4. कनाडा में एग्जिट पोल आमतौर पर नहीं होता. यहां डाक मतदान का चलन बहुत अधिक है. चूंकि एग्जिट पोल सिर्फ मतदान केंद्रों पर जाने वाले मतदाताओं से ही पूछ सकते हैं, डाक मतदान करने वालों के वोटिंग पैटर्न का पता नहीं चल पाता. इससे एग्जिट पोल का अनुमान गलत हो सकता है.

5. ब्रिटेन में एग्जिट पोल का महत्व बहुत कम हो गया है. मतदान रात 10 बजे खत्म होता है. उसके तुरंत बाद गिनती शुरू हो जाती है. अगली सुबह तक लगभग सभी सीटों के नतीजे आमतौर पर आ जाते हैं. इस कारण मीडिया एग्जिट पोल के बजाय तेजी से आ रहे वास्तविक नतीजों पर ध्यान केंद्रित करती है.

6. सिंगापुर में पार्लियामेंट्री इलेक्शन एक्ट के तहत एग्जिट पोल के प्रकाशन पर पूरी रोक है. ये चुनाव की घोषणा से लेकर मतदान के बंद होने तक होता है.

7. साउथ अफ्रीका में पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोई भी व्यक्ति या मीडिया संस्थान चुनावी नतीजों को लेकर कुछ छापना, प्रकाशित करना या रिजल्ट के बारे में बताना प्रतिबंधित है.

8. चेक गणराज्य में भी निर्वाचन स्थल पर एग्जिट पोल कराना प्रतिबंधित है

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