क्या होता है भूत शुद्धि विवाह? जिससे सामंथा रूथ ने राज निदिमोरु से की शादी

47 minutes ago

Bhoot Shuddhi Vivah: एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु ने सोमवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र के लिंग भैरवी मंदिर में फिल्म निर्माता राज निदिमोरु से विवाह किया. यह अंतरंग समारोह जिसमें करीबी परिवार और दोस्त शामिल हुए भूत शुद्धि विवाह की शाश्वत योग परंपरा के अनुसार आयोजित किया गया. यह एक अनूठा अभिषेक है जो विचारों, भावनाओं या भौतिकता से परे जीवनसाथी के बीच एक गहरा तात्विक (तत्व से संबंधित या वास्तविक) बंधन बनाने के लिए डिजाइन किया गया है.

यह अनुष्ठान मौलिक स्तर पर मिलन का प्रतीक है, जो भागीदारों के बीच एक गहरे आध्यात्मिक बंधन को बढ़ावा देता है. सामंथा और राज की शादी की रस्में सुबह 6:00 बजे से ही शुरू हो गईं. बाद में सामंथा रूथ  ने इंस्टाग्राम पर समारोह की कई अलौकिक तस्वीरें साझा करके ‘01.12.2025’ शीर्षक के साथ और दो सफेद दिल वाले इमोजी जोड़कर ‘द फैमिली मैन’ के फिल्म निर्माता के साथ अपनी शादी की घोषणा की. भूत शुद्धि विवाह केवल दूल्हा दुल्हन के लिए ही नहीं है, बल्कि यह इसमें हिस्सा लेने वाले सभी लोगों को लाभ देता है. यह योगिक काल की सबसे प्राचीन विवाह पद्धति है जिसे सदगुरु द्वारा आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है. अब तक देश-विदेश की हजार से भी अधिक जोड़ियां भूत शुद्धि विवाह कर चुकी हैं.

क्या है भूत शुद्धि विवाह?
लेकिन यह विवाह अनुष्ठान वास्तव में क्या है और योग विज्ञान में इसे इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? भूत शुद्धि विवाह ईशा योग केंद्र द्वारा प्रस्तावित तीन पवित्र विवाह समारोहों में से एक है. अन्य में लिंग भैरवी विवाह और विवाह वैभव शामिल हैं. लेकिन  सामंथा और राज ने भूत शुद्धि विवाह का विकल्प चुना. इस अनुष्ठान में पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—का शुद्धिकरण शामिल होता है, जिससे युगल एक गहन तात्विक स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ पाते हैं. ये उनके मिलन में सामंजस्य, समृद्धि और आध्यात्मिक समन्वय के लिए देवी की कृपा का आह्वान करता है.

आजकल युवाओं के लिए विवाह की प्राचीन पद्धति भूत शुद्धि विवाह का भी काफी क्रेज नजर आ रहा है.

जानें इस विवाह के बारे में
भूत शुद्धि विवाह कोई सामान्य क्षेत्रीय या धार्मिक विवाह नहीं है, यह योगिक परंपरा पर आधारित एक अनूठा विवाह अनुष्ठान है. यह तात्विक स्तर पर मिलन पर जोर देता है.

इस विवाह का उद्देश्य पांच मूलभूत तत्वों को शुद्ध और संबद्ध करना और भावनाओं, विचारों या शारीरिक आकर्षण से परे एक गहरा बंधन बनाना है. यह आमतौर पर लिंग भैरवी ईशा योग केंद्र में आयोजित किया जाता है.

‘भूत’ का अर्थ है पांच मूलभूत तत्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश, जबकि ‘शुद्धि’ का अर्थ है शुद्धिकरण या शोधन. इसलिए ‘भूत शुद्धि विवाह’ समारोह का अर्थ है एक ऐसी प्रक्रिया जो इन पांच तत्वों को शुद्ध करती है.

किस तरह के होते हैं अनुष्ठान 
यह विवाह लिंग भैरवी के पवित्र निवास में संपन्न होता है.

जोड़े पवित्र अग्नि के चारों ओर एक समारोह में भाग लेते हैं देवी का आह्वान करते हैं और तत्वों की शुद्धि की मांग करते हैं.

यह समारोह न केवल दो व्यक्तियों के समर्पण का प्रतीक है, बल्कि दो आत्माओं के बीच एक स्थिर, सामंजस्यपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से संबद्ध रिश्ते की चाहत का भी प्रतीक है.

इस विवाह में हर तत्व के लिए एक यानी कि पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के लिए पांच फेरे होते हैं.

पांच फेरों के बाद लिंग भैरवी देवी का पेडेंट और हल्दी का मंगलसूत्र पहनाया जाता है.

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मंत्रोच्चारण किया जाता जिससे वातावरण एकदम पवित्र बन जाता है.

कौन कर सकता ये विवाह
जो जोड़े आध्यात्मिक रूप से अपने रिश्ते को गहरा करना चाहते हैं वे इस अनुष्ठान को कर सकते हैं. सगाई कर चुके और विवाहित जोड़े भी इस अनुष्ठान को कर सकते हैं. यदि दुल्हन गर्भवती हो तो यह अनुष्ठान नहीं किया जा सकता. यह समारोह वर्षगांठ या महत्वपूर्ण जन्मदिन जैसे 50वें या 80वें के लिए उपयुक्त है.

कहां कर सकते हैं ये विवाह
अधिकतर भूत शुद्धि विवाह लिंगा भैरवी निवास, ईशा योग केंद्र में आयोजित किये जाते हैं. यदि कोई अन्य स्थानों पर भी इसका आयोजन करवाना चाहता है तो यह ईशा योग केंद्र की टीम और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के माध्यम से किया जा सकता है. यह आम तौर पर एक बंद और पारंपरिक समारोह है. इसके लिए एक निश्चित प्रकार के ड्रेस कोड और व्यवस्था की आवश्यकता होती है.

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