पूरी दुनिया के सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के किराना हिल्स के नीचे स्थित एटामिक सयंत्र और न्यूक्लियर बमों को लेकर रहस्य का माहौल है. माना जा रहा है कि या तो इसे नष्ट कर दिया गया है या इसको गंभीर नुकसान पहुंचा है. कुछ दावे हैं भारत ने इसे नुकसान पहुंचाया है. भारत के एक वैज्ञानिक ने दावा किया कि इस सयंत्र को भूकंप ने गंभीर नुकसान पहुंचाया है. ये दावा भी है इस सयंत्र के जरिए पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हमले के लिए परमाणु परीक्षण किया, तभी पाकिस्तान में उसी क्षेत्र से कई भूकंप के झटके लगे. इस इलाके में मिस्र का एक विमान गोपनीय तौर पर एक खास रसायन की बड़ी खेप लेकर पहुंचा है तो ये भी कहा जा रहा है कि अमेरिका का एक खास विमान भी वहां पहुंच गया है.
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के बाद, सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि किराना हिल्स स्थित पाकिस्तानी परमाणु संयंत्र को नुकसान पहुंचा है. इसी वजह से रेडियोधर्मी गतिविधि की सीमा का आकलन करने के लिए एक अमेरिकी परमाणु सुरक्षा सहायता विमान – बी350 एएमएस – वहां पहुंचकर तैनात हो गया है.
इस बारे में जब कल भारतीय सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने एक प्रेस कांफ्रेंस की तो इससे संबंधित सवाल पर जिस तरह से उन लोगों ने रहस्यमय तरीके से अनभिज्ञता जाहिर की, उससे पाकिस्तान के इस परमाणु सयंत्र को लेकर रहस्य और गहरा गया. दुनियाभर में हर किसी को लग रहा है कि यहां कुछ तो हुआ है. कुछ सोर्स ये भी कह रहे हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी प्रेसीडेंट को सुचना दी थी कि इस परमाणु सयंत्र को नुकसान पहुंचा है, लिहाजा मदद की जरूरत है, नहीं तो इस पर आतंकवादी कब्जा कर सकते हैं. यूं भी दुनियाभर में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को सबसे ज्यादा असुरक्षित समझा जाता है.
कहां है किराना हिल्स
किराना हिल्स पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा ज़िले में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है, जो पाकिस्तान वायुसेना के बेस मुशाफ़ का हिस्सा है. यह क्षेत्र पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अधीन है और इसे एक संवेदनशील परमाणु स्थल माना जाता है. यहां 1983 से 1995 के बीच “किराना-I” नामक कोड के तहत 24 हल्के फुल्के परमाणु परीक्षण किए जा चुके हैं, जो पूर्ण परमाणु विस्फोट नहीं थे लेकिन हथियारों की डिज़ाइन और कार्यप्रणाली की जांच के लिए महत्वपूर्ण थे.
किराना हिल्स पाकिस्तान का इसे एक संवेदनशील परमाणु स्थल माना जाता है. माना जाता है कि इसी जगह भूमिगत तौर पर उसका न्यूक्लियर प्लांट और न्यूक्लियर हथियारों का स्टोरेज भी है. ( News18 AI)
क्या इसके आसपास कोई हवाई हमला या मिसाइल अटैक हुआ
हां जब भारत और पाकिस्तान के बीच 7 मई से 10 मई के बीच तनाव चरम पर था तब भारतीय वायुसेना (IAF) ने पाकिस्तान में जहां हवाई हमले किए, उनमें सरगोधा के पास स्थित मुशाफ़ एयरबेस भी शामिल था.
इंडियन एयरफोर्स ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के 11 प्रमुख एयरबेसों को निशाना बनाया. इनमें सरगोधा, नूर खान (चकलाला), रफ़ीक़ी, मुरिद, स्कर्दू, और जैकबाबाद जैसे महत्वपूर्ण ठिकाने शामिल थे. उपग्रह चित्रों से पता चला है कि मुशाफ़ एयरबेस के रनवे पर हमले हुए, जिससे इसकी संचालन क्षमता प्रभावित हुई.
दुनियाभर के सोशल मीडिया पर क्या कहा जा रहा है
भारत ने जो आधिकारिक जानकारी दी है, उससे अलग सोशल मीडिया पर इस बात के दावे भरे पड़े हैं कि पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना के हमलों में किराना हिल्स में परमाणु भंडारण सुविधा को भी निशाना बनाया. ये दावे कथित तौर पर तब सामने आए जब सैटेलाइट इमेजरी में सरगोधा में मुशफ एयरबेस को नुकसान दिखाया गया, जिसके बारे में माना जाता है कि यहां के किराना हिल्स के नीचे पाकिस्तान का भूमिगत परमाणु भंडारण होता है.
अमेरिकी B350 AMS विमान, जो परमाणु इमर्जेंसी जैसी स्थितियों में काम आता है, उसके पाकिस्तान में पहुंचने की चर्चाएं हैं. उसे पाकिस्तान के आसमान में ट्रैक किया गया है. (X)
क्या अमेरिकी B350 AMS विमान पाकिस्तान में गुपचुप पहुंचा
सोशल मीडिया और कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिकी ऊर्जा विभाग का परमाणु आपातकालीन सहायता विमान (B350 AMS) पाकिस्तान में उतरा है, Flightradar24 के उड़ान ट्रैकिंग डेटा भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं. विमान के पाकिस्तान के ऊपर से उड़ने की रिपोर्ट ने इस बात की अटकलों को और हवा दी कि कथित हमले के बाद किराना हिल्स के एटामिक वैपन स्टोरेज में रेडियोधर्मी रिसाव हुआ हो सकता है. अमेरिकी परमाणु सुरक्षा विमान की कथित उड़ान एक रहस्य बनी हुई है.
हालांकि ये भी कहा जाता है कि इस विमान को 2010 में अमेरिका ने पाकिस्तान आर्मी एविएशन को सौंप दिया गया था. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान B-350 विमान के एक संस्करण का संचालन करता है. लेकिन मौजूदा तौर पर कोई जानकारी नहीं है कि क्या पाकिस्तानी विमान को गलती से अमेरिकी B-350 AMS समझ लिया गया.
वो बी-350 एएमएस विमान क्या है, क्या करता है
अमेरिकी राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन (NNSA) और ऊर्जा विभाग (DoE) परमाणु सुरक्षा के लिए बीचक्राफ्ट सुपर किंग एयर 350 या B350 का संचालन करते हैं. इसका उपयोग मुख्य रूप से विकिरण निगरानी और परमाणु आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एरियल माप प्रणाली (AMS) कार्यक्रम में किया जाता है.
यह विमान परमाणु या रेडियोलॉजिकल घटनाओं के दौरान वास्तविक समय का डेटा प्रदान करता है, जिसमें सेंसर होते हैं जो हवा और जमीन पर रेडियोधर्मी असर का पता लगाते हैं और मापते हैं. इसके अलावा ये परमाणु सामग्री की सुरक्षा और परमाणु सुविधाओं की जांच कर सकते हैं. कुल मिलाकर परमाणु खतरों की आपात स्थिति में बी350 एएमएस सहायता करता है. यही कारण है कि पाकिस्तान में इसकी उपस्थिति की रिपोर्ट ने अटकलों को जन्म दिया कि विमान को परमाणु सुरक्षा में मदद के लिए भेजा गया है.
तो क्या इसलिए पाकिस्तान ने अमेरिका से गुहार लगाई
अनुमान लगाया गया कि पाकिस्तान ने शायद युद्ध विराम के लिए अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग इसलिए की, क्योंकि एक परमाणु स्थल पर हमला हुआ था. उसे अपने परमाणु बुनियादी ढांचे पर और हमले का डर था. विदेशी मीडिया में कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि पाकिस्तान अपने परमाणु कमांड पर हमलों को लेकर चिंतित था.
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से परिचित एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी को न्यूयॉर्क टाइम्स को यह कहते हुए उद्धृत किया, “पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर यह है कि उसके परमाणु कमान के अधिकार को खत्म कर दिया जाएगा. नूर खान पर मिसाइल हमले को इस चेतावनी के रूप में समझा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है.” हालांकि भारत इस दावे साफतौर पर खारिज करता है.
12 मई को प्रेस कांफ्रेंस में जब एयर मार्शल ए.के. भारती से परमाणु संयंत्र पर हमले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने परमाणु संयंत्र पर हमले की बात से साफ इनकार कर दिया. एयर मार्शल ने व्यंग्यात्मक लहजे में इस बात से इनकार किया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि किराना हिल्स में परमाणु संयंत्र है.
भारत साइंटिस्ट ने क्या दावा किया
12 मई 2025 को पाकिस्तान में आए भूकंप के बाद भारतीय वैज्ञानिक डॉ. राम श्रीवास्तव ने दावा किया कि इस भूकंप से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को नुकसान पहुंचा हो सकता है. हालांकि इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई लेकिन इसने सोशल मीडिया और मीडिया में इससे संबंधित चर्चाओं को और जोर दे दिया. ये भी पता नहीं चल सका कि ये वैज्ञानिक कौन हैं.
मिस्र का कार्गो विमान क्यों गुप्त तौर पर पहुंचा
इसी दौरान मिस्र का एक कार्गो विमान भी गुपचुप तरीके से पाकिस्तान पहुंचा. ये खबरें हैं कि इसमें बोरॉन नामक रासायनिक तत्व बड़े पैमाने पर लाया गया, जिसका उपयोग परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा या मरम्मत में किया जाता है. इससे भी अंदाज लगाया गया कि जरूर पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार में कोई गड़बड़ी हुई है, जिसे ठीक करने के लिए बोरॉन को लाया गया है.
क्या एक जगह बार-बार भूकंप और परमाणु परीक्षण जुड़े हो सकते हैं?
सिद्धांत तौर पर हां. दुनिया में जब भी भूमिगत परमाणु परीक्षण होते हैं, वो ज़मीन के भीतर एक बड़े धमाके की तरह काम करते हैं. इससे उस क्षेत्र में भूगर्भीय तनाव बढ़ सकता है. आसपास के फाल्ट लाइंस यानि दरारें सक्रिय हो सकती हैं. माइक्रो या हल्के भूकंप आ सकते हैं. कई बार बड़े भूकंप की आशंका भी बन सकती है.
पाकिस्तान में आए भूकंपों के संदर्भ में, भारत के राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) के प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि ये भूकंप प्राकृतिक थे और इनका कोई संबंध परमाणु परीक्षणों से नहीं है। उन्होंने बताया कि परमाणु विस्फोटों की भूकंपीय तरंगें प्राकृतिक भूकंपों से भिन्न होती हैं, और हालिया भूकंपों में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है.
1998 में भारत के पोखरण टेस्ट के बाद वहां लो-मैग्निट्यूड के झटके आए थे. नॉर्थ कोरिया में 2017 के टेस्ट के बाद 6.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ था. वैसे वैज्ञानिक भूकंपीय वेव्स को एनालाइज करके पता लगा लेते हैं कि झटका प्राकृतिक था या कृत्रिम.