खत्म इंतजार, अब दुश्मनों पर वार; चुटकी में वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, हो गया खेल

12 hours ago

Last Updated:March 22, 2025, 14:00 IST

भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है. इसके लिए 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में RFP जारी होगा. इस प्रोग्राम से वायुसेना की ताकत बढ़ेगी और समय की बचत होगी.

खत्म इंतजार, अब दुश्मनों पर वार; चुटकी में वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, हो गया खेल

भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमान खरीदेगी, ताकत में होगा इजाफा.

हाइलाइट्स

भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमान खरीदेगी.2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में RFP जारी होगा.इससे वायुसेना की ताकत और समय की बचत होगी.

फाइल का चक्कर बहुत बेकार होता है. इस टेबल से उस टेबल पर जाते-जाते सालों लग जाते हैं. चाहे कोई भी दफ्तर हो, कामकाज का यही पुराना तरीका रहा है. मगर अब नए भारत की नई तस्वीर दिखने लगी है. अब जैसे हो रहा है, वैसे होने दो वाला जमान गया. अब इंतजार नहीं, दुश्मनों पर तुरंत वार करने का वक्त आ गया है. इसलिए भारतीय वायुसेना ने भी समय के हिसाब से खुद को अपग्रेड कर लिया है. जी हां, भारतीय वायुसना ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे उसकी पलभर में ताकत बढ़ जाएगी. इसके लिए उसे सालों-साल इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा.

दरअसल, आईएएफ यानी भारतीय वायुसेना (IAF) 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में है. इसके लिए मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोग्राम चलाया जा रहा है. इस प्रोग्राम के तहत संभावित सप्लायर्स को 2025 के आखिर या 2026 की शुरुआत में RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी कर दिया जाएगा. दरअसल, एक हाई लेवल कमेटी ने वायुसेना के लिए जल्द से जल्द नए विमान खरीदने की सिफारिश की थी. इसके बाद ही आनन-फानन में यह फैसला लिया गया है.

क्या है वायुसेना की मौजूदा स्थिति
डिफेंस डॉ इन की खबर के मुताबिक, इस समय हकीकत है कि भारतीय वायसेना की ताकत कम है. वजह कम लड़ाकू विमान. जी हां, भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी है. मौजूदा वक्त में भारतीय वायुसेना में 42 फाइटर स्क्वाड्रन होने चाहिए. मगर अभी करीब 30 ही काम कर रहे हैं. एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं. यह बात अब पब्लिक डोमेन में है कि भारतीय वायुसेना के पास क्षमता से कम हथियार हैं. इस वजह से वजह से देश की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है. खुद वायुसेना चीफ भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में करीब 20 बिलियन डॉलर का MRFA प्रोग्राम भारत की वायुशक्ति को बढ़ाने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

जानिए भारत ने क्या कर दिया
इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कमेटी ने सिर्फ एक बार मंजूरी लेने की प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया है. माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया से तीन से चार साल तक का समय बच जाएगा. पहले जहां कई बार मंजूरी लेनी पड़ती थी, वहीं अब एक ही बार मंजूरी से काम चल जाएगा. इस तरह से भारत ने अपने कामकाज करने के तरीके में बदलाव किया है, ताकि जल्द से जल्द वायुसेना की ताकत में इजाफा हो.

इंतजार का वक्त खत्म
इस नई प्रक्रिया में वेंडर्स के प्रस्तावों के आकलन के तरीके को भी बदला गया है. पहले हमारी वायुसेना सभी कंपनियों के हजारों पन्नों के प्रस्तावों की जांच करती थी. इसकी वजह से बहुत देरी होती थी. मगर अब वायुसेना RFP जारी करने के बाद सीधे फ्लाइट ट्रायल करेगी. इन ट्रायल्स में यह देखा जाएगा कि विमान हमारी वायुसेना की जरूरतों को पूरा करते हैं या नहीं.

कौन-कौन कंपनियां लाइन में
इन ट्रायल के आधार पर वायुसेना सिर्फ दो वेंडर्स को शॉर्टलिस्ट करेगी. इससे उन प्रस्तावों की संख्या कम हो जाएगी जिनकी गहराई से जांच करनी होती है. इस कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने के लिए कई बड़ी कंपनियां मैदान में होंगी. इनमें दसॉल्ट राफेल (फ्रांस), बोइंग F/A-18 सुपर हॉर्नेट (यूएसए), लॉकहीड मार्टिन F-21 (यूएसए), साब ग्रिपेन ई (स्वीडन) और यूरोफाइटर टाइफून (यूरोपीय कंपनियों का समूह) जैसी कंपनियां शामिल हो सकती हैं.

कैसे वायुसेना का समय बचेगा
पहले जहां प्रस्तावों की जांच में एक साल लग जाता था, वहीं अब सिर्फ दो कंपनियों के प्रस्तावों की जांच कुछ हफ्तों में पूरी हो जाएगी. इसके बाद वायुसेना दो फाइनलिस्ट के साथ बातचीत करेगी. इस दौरान टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, भारत में उत्पादन और लागत जैसे पहलुओं पर चर्चा होगी. यह पूरी प्रक्रिया इस तरह से बनाई गई है कि वायुसेना बिना किसी देरी के सही बोली लगाने वाली कंपनी का चुनाव कर सके. रक्षा मंत्रालय की ‘मेक इन इंडिया’ पहल इस फैसले में अहम भूमिका निभाएगी.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 22, 2025, 14:00 IST

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