Netanyahu Gaza war: इजरायल अपने बेखौफ और निडर अंदाज के लिए दुनिया में भले ही चर्चित हो लेकिन वहां की राजनीतिक लड़ाई काफी कुछ बयां करती है. बेंजामिन नेतन्याहू की भी कहानी उसी कड़ी का हिस्सा है. नेतन्याहू खुद को हमेशा विंस्टन चर्चिल की तरह पेश करते आए हैं. जैसे कोई संकटकालीन नेता जिसे देश की रक्षा के लिए मजबूरी में युद्ध में उतरना पड़ा हो. हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि गाजा युद्ध नेतन्याहू के लिए देश की रक्षा से ज्यादा अपनी राजनीतिक सत्ता को बचाने का जरिया था.
युद्ध रोक सकते थे.. लेकिन सरकार टूटने का डर?
असल में New York Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेतन्याहू ने युद्ध को जानबूझकर लंबा खींचा और वे शांति वार्ताओं को भी टालते रहे. ताकि अपनी गिरती साख और सत्ता में बने रहने की कोशिशें जारी रख सकें. यह भी कहा गया कि अप्रैल 2024 में एक मौका था जब गाजा युद्ध रुक सकता था. मिस्र और कतर की मध्यस्थता से छह हफ्तों के संघर्षविराम की बात तय हो चुकी थी. सऊदी अरब भी सामान्य संबंधों को लेकर सकारात्मक संकेत दे रहा था. लेकिन नेतन्याहू ने पीछे हटने का फैसला किया. क्योंकि वित्त मंत्री स्मोत्रिच ने धमकी दी कि अगर युद्ध रोका गया तो सरकार गिरा देंगे.
हर बार जब शांति की बात हुई.. नेतन्याहू पीछे हटे
रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद 2024 के मध्य तक नेतन्याहू राजनीतिक संकट में घिर चुके थे. भ्रष्टाचार के केस कमजोर होते गठबंधन और सुरक्षा एजेंसियों की जांचों के बीच गाजा युद्ध उनके लिए एक राजनीतिक ऑक्सीजन बन गया. हर बार जब संघर्षविराम करीब आता तो वो नई शर्तें जोड़ देते. जुलाई में रोम में हुई वार्ता इसीलिए टूटी क्योंकि उन्होंने अंतिम क्षणों में ऐसी मांगें रखीं जो हमास के लिए अस्वीकार्य थीं. मार्च 2025 में सिर्फ 24 घंटे चला एक संघर्षविराम भी इसलिए खत्म हो गया क्योंकि चरमपंथी नेता इटामार बेन-गविर ने फिर समर्थन देने की शर्त युद्ध की बहाली पर रख दी. नेतन्याहू मान गए.
सैन्य ऑपरेशन... राजनीतिक औजार
नेतन्याहू ने राजनीतिक संकटों को टालने के लिए सैन्य हमलों का भी सहारा लिया. जून 2025 में उन्होंने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लायन को मंजूरी दी जिसमें 100 से ज्यादा ठिकानों पर हमला हुआ. लेकिन इसका एक राजनीतिक मकसद यह भी था कि गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी दे रहे अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स नेता को शांत किया जाए. यहां तक कि नेतन्याहू ने अब अमेरिका में ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर दिया.
युद्ध ने गिरते नेता को फिर से खड़ा कर दिया?
जुलाई 2025 पहुंचते-पहुंचते गाजा में हालात भयावह हो चुके हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 55000 से ज्यादा मौतें, भुखमरी, बीमारियां. लेकिन इन सबके बीच नेतन्याहू की राजनीति ने करवट ली. उन्होंने जांच एजेंसियों के प्रमुखों को हटाया न्यायिक सुधारों को दोबारा शुरू किया और अपने आलोचकों की आवाज दबाई. देखते ही देखते इजराइल के भीतर उनकी पकड़ मजबूत हो गई. 2026 के चुनाव में फिर सबसे मजबूत उम्मीदवार बनकर उभरे.