Last Updated:November 06, 2025, 06:28 IST
Gujarat Riot Case: अहमदाबाद अदालत ने 2002 दंगों से जुड़े मामले में आलमगीर शेख, इम्तियाज शेख, रऊफमियां सैयद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. 23 साल पुराने इस केस में अब वह वीडियो टेप, जो कभी 'हार्ड प्रूफ' कहा गया था, इतिहास बन चुका है.
अहमदाबाद की एक अदालत ने 2002 के साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े 23 साल पुराने मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दियाअहमदाबाद की एक अदालत ने 2002 के साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े 23 साल पुराने मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. इस केस में कभी यह दावा किया गया था कि दंगे के दौरान तीन लोग हथियारों के साथ देखे गए थे, जिनमें से एक के पास कथित तौर पर AK-47 जैसी ऑटोमेटिक राइफल थी. हालांकि सालों बाद भी अदालत में न तो वह वीडियो टेप पेश हुआ और न ही कोई ठोस सबूत बचे.
मामला दरियापुर थाने में दर्ज दो एफआईआर से जुड़ा था. शिकायत उस समय के इलाके के शांति समिति सदस्य सतीश दलवाड़ी ने की थी. उन्होंने कहा था कि उन्होंने दंगे के दौरान आरोपियों आलमगीर शेख, हनीफ शेख, इम्तियाज शेख, रऊफमियां सैयद और कुछ अन्य लोगों की वीडियो रिकॉर्डिंग की थी. पुलिस इंस्पेक्टर आरएच राठौड़ ने सतीश से कहा था कि इलाके में अगर कोई हिंसा होती है तो उसका वीडियो बनाएं.
पुलिस की जांच के अनुसार, सतीश की तरफ से सौंपी गई वीएचएस कैसेट में इम्तियाज को एक ऑटोमेटिक हथियार (AK-47 जैसी बंदूक) के साथ और एक अन्य व्यक्ति को रिवॉल्वर लिए दिखाया गया था. इस आधार पर आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था.
हालांकि, ट्रायल के दौरान पूरी कहानी पलट गई. शिकायतकर्ता और वीडियोग्राफर सतीश दलवाड़ी ने अदालत में बयान बदलते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने क्या रिकॉर्ड किया था. वीडियो कैसेट भी अदालत में कभी पेश नहीं की गई. पुलिस उप-निरीक्षक एचएच चौहान सहित कई गवाह शत्रु गवाह बन गए. एक गवाह ने तो यहां तक कहा कि पुलिस ने उससे दस्तखत उस वक्त कराए जब वह एक चाय की दुकान पर बैठा था.
23 साल की लंबी सुनवाई में एक आरोपी हनीफ शेख और जांच अधिकारियों में से कुछ की मौत भी हो गई. कई गवाहों ने बयान देने से इनकार कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि आरोपियों के पास किसी भी तरह का हथियार था. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘मुकदमे के दौरान वीडियो कैसेट प्रस्तुत नहीं की गई. न कोई हथियार बरामद हुआ, न मौखिक या दस्तावेजी सबूत मिले कि आरोपियों के पास हथियार थे.’
इस तरह, अहमदाबाद की अदालत ने सभी तीनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. 23 साल पुराने इस केस में अब वह वीडियो टेप, जो कभी ‘हार्ड प्रूफ’ कहा गया था, इतिहास बन चुका है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
Ahmedabad,Ahmedabad,Gujarat
First Published :
November 06, 2025, 06:28 IST

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