ग्रीन एनर्जी की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ये प्रोजेक्ट,2000MW की क्षमता

2 hours ago

Subansiri Hydroelectric Project: भारत को हर सुबह उजाले की नई किरण देने वाला राज्य यानी अरुणाचल प्रदेश अगले साल देश को ‘सबसे बड़ा’ उजाला देने वाला है. अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों की सीमा पर बह रही सुबनसिरी नदी पर देश का सबसे बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट बन रहा है, जिसका कुछ हिस्सा मार्च 2025 में काम करने लगेगा. देश के इस सबसे बड़े हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि यह 2000 मेगावाट पावर जेनरेशन कैपेसिटी वाला है. गेरुकामुख में बन रहे सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट का काम जोर-शोर से चल रहा है.

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दरअसल, 2026 में जब यह हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अपनी पूरी कैपेसिटी से काम करने लगेगा तब इससे पावरग्रिड के जरिए देश के 17 राज्यों को बिजली मिलने लगेगी. इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्य, उत्तर भारत के हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और चंडीगढ़, पश्चिमी भारत के गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गोवा शामिल हैं.

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साल 2000 से पहले इस प्रोजेक्ट को ब्रह्मपुत्र बोर्ड से नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन को हैंडओवर किया गया. 2002 में इसे 2000 मेगावाट कैपेसिटी के साथ बनाने का अप्रूवल केंद्र के ऊर्जा मंत्रालय ने दिया. सभी मंजूरियों के बाद 2005 में NHPC ने इस पर काम करना शुरु कर दिया. लेकिन दिसंबर 2011 में स्थानीय असमी लोगों के आंदोलन के बाद इसका काम रोकना पड़ा. इसके खिलाफ 2013 में एक केस नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर हुआ. मई 2017 में एक और पिटीशन NGT में दायर किया गया. आखिरकार, जुलाई 2019 को एनजीटी ने सारी याचिकाओं को खारिज करते हुए प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी. 15 अक्टूबर 2019 से प्रोजेक्ट का काम बिना रुके जारी है, जो जल्द ही अपने मुकाम तक पहुंचने वाला है.

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प्रोजेक्ट में कुल 8 टर्बाइन यूनिट्स हैं, जो 250-250 मेगावाट कैपेसिटी वाली हैं. इन्हें फेज वाइज तरीके से शुरू किया जाएगा. इसके पहले फेज में 3 यूनिट्स को ऑपरेशनल किया जाना है, यानी मार्च 2025 में तकरीबन 750 मेगावाट बिजली यहां बनने लगेगी. इसकी चौथी यूनिट जुलाई 2025 और 5वीं यूनिट दिसंबर 2025 में ऑपरेशनल होंगी. छठी, सातवीं और आठवीं यूनिट के साथ यह पूरा प्रोजेक्ट ऑपरेशनल हो जाएगा और इसकी तारीख मई 2026 दी गई है.

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इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इसे बनाने वाली नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कार्पोरेशन- NHPC सार्वजनिक क्षेत्र की एक नवरत्न कंपनी है. इसमें ‘कंसेप्ट’ से लेकर ‘कमीशनिंग’ तक सारे काम स्वदेशी तकनीक से हुए हैं जो एक बड़ी उपलब्धि है.

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परियोजना प्रमुख और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेन्द्र प्रसाद के मुताबिक, लगातार अड़चनों से जूझने के चलते इसकी लागत भी लगातार बढ़ती गई. इस प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 6285 करोड़ रु. थी जो अब तक तकरीबन 22 हजार करोड़ रु. तक पहुंच चुकी है. उम्मीद है कि मई 2026 में प्रोजेक्ट पूरा होने तक इसकी लागत 25 से 26 हजार करोड़ रु. तक पहुंच सकती है.

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उन्होंने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी की एक शाखा सुबनसिरी नदी पर बन रहे डैम की ऊंचाई 116 मीटर है. इसमें पानी का अधिकतम लेवल 205 मीटर रहेगा. इस डैम में 9 गेट बनाए गए हैं, जो डैम के वाटर लेवल को रेगुलेट करने का काम करेंगे. इस नदी का फ्लो अन्य नदियों के मुकाबले कहीं ज्यादा है और आम दिनों में भी इसका फ्लो बारिश के दिनों जैसा रहता है.

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