Last Updated:March 16, 2025, 19:50 IST
PM Modi China Policy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ संबंधों पर कहा कि 2020 की घटनाओं के बाद सीमा पर सामान्य हालात बहाल हो रहे हैं. भारत-चीन के प्राचीन संबंधों को मजबूत बनाए रखने पर जोर दिया.

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
पीएम मोदी ने चीन के साथ संबंधों पर जोर दिया.2020 की घटनाओं के बाद सीमा पर सामान्य हालात बहाल हो रहे हैं.भारत-चीन के प्राचीन संबंधों को मजबूत बनाए रखने पर जोर.नई दिल्ली. यह सच है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चलते रहे हैं. और 2020 में, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई घटनाओं ने हमारे देशों के बीच तनाव पैदा कर दिया था. हालांकि, मेरी हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद, हमने सीमा पर सामान्य हालात की वापसी को देखा है. हम अब 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के उस सवाल के जवाब में यह बातें कहीं, जिसमें उनसे पूछा गया था कि ‘आप और शी जिनपिंग एक-दूसरे को दोस्त मानते रहे हैं. हालिया तनाव को कम करने और चीन के साथ संवाद और सहयोग फिर से शुरू करने के लिए उस दोस्ती को कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है?’
पीएम मोदी ने चीन के साथ रिश्तों पर कहा, “देखिए, भारत और चीन के बीच का रिश्ता कोई नई बात नहीं है. दोनों देशों की प्राचीन संस्कृतियां और सभ्यताएं हैं. आधुनिक दुनिया में भी, वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर आप ऐतिहासिक रिकॉर्ड देखें, तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है. उन्होंने हमेशा किसी न किसी तरह से वैश्विक भलाई में योगदान दिया है. पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय पर भारत और चीन मिलकर दुनिया की जीडीपी का 50% से अधिक हिस्सा बनाते थे. यह दिखाता है कि भारत का योगदान कितना बड़ा था. और मुझे लगता है कि हमारे संबंध हमेशा से बहुत मजबूत रहे हैं, गहरे सांस्कृतिक संबंधों के साथ. अगर हम सदियों पीछे देखें, तो हमारे बीच कोई वास्तविक संघर्ष का इतिहास नहीं है. यह हमेशा एक-दूसरे से सीखने और समझने के बारे में रहा है. एक समय पर, बौद्ध धर्म का चीन पर गहरा प्रभाव था, और यह दर्शन मूल रूप से यहां से आया था.
भारत और चीन के रिश्तों को लेकर पीएम मोदी ने आगे कहा, “हमारा रिश्ता भविष्य में भी उतना ही मजबूत रहना चाहिए. इसे बढ़ते रहना चाहिए. बेशक, मतभेद स्वाभाविक हैं. जब दो पड़ोसी देश होते हैं, तो कभी-कभी असहमति होना तय है. यहां तक कि एक परिवार में भी सब कुछ हमेशा सही नहीं होता. लेकिन हमारा ध्यान इस बात पर है कि ये मतभेद विवाद में न बदलें. हम इसी पर सक्रिय रूप से काम करते हैं. असहमति के बजाय, हम संवाद पर जोर देते हैं क्योंकि केवल संवाद के माध्यम से ही हम एक स्थिर सहयोगी संबंध बना सकते हैं जो दोनों देशों के सर्वोत्तम हित में हो.”
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 16, 2025, 19:15 IST