Last Updated:April 15, 2025, 06:35 IST
Mehul Choksi Arrested : पीएनबी स्कैम के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है. 13500 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड के आरोपी चोकसी को भारत लाना चुनौतीपूर्ण होगा. आइए 10 प्लाइंट में समझते हैं कि...और पढ़ें

मेहुल चोकसी को बेल्जियम से भारत लाना आसान नहीं होगा. (पीटीआई)
हाइलाइट्स
मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार.चोकसी को भारत लाना चुनौतीपूर्ण.कानूनी चालबाजियां प्रत्यर्पण में बाधा.पीएनबी स्कैम का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार हो चुका है. इस हीरा कारोबारी पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13500 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड का आरोप है. यह मामला सामने आने से पहले ही वह भारत छोड़कर भाग गया था और तभी से वह भारतीय एजेंसियों के साथ-साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहा था. हालांकि उसके इस खेल का अंत बेल्जियम के एंटवर्प में हो गया. वह वहां इलाज कराने एक अस्पताल पहुंचा था, जहां ईडी-सीबीआई के अनुरोध पर बेल्जियम पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.
इस भगोड़े हीरा कारोबारी को अब भारत लाने की तैयारी चल रही है, लेकिन उसे बेल्जियम से प्रत्यर्पित कराना आसान नहीं होगा. भारत और बेल्जियम के बीच वैसे तो अंग्रेजों के जमाने से ही प्रत्यर्पण संधि मौजूद है. फिर भी चोकसी की कानूनी चालबाजियां और बेल्जियम की जटिल न्यायिक प्रक्रिया इसे चुनौतीपूर्ण बना सकती हैं.
आइए 10 प्लाइंट में समझते हैं कि चोकसी को भारत लाना कितना मुश्किल है और वह कौन-से दांव खेल सकता है…
कानूनी दांव-पेंच : चोकसी के वकील बेल्जियम की अदालत में जमानत के लिए अपील दायर कर सकते हैं. वे तर्क दे सकते हैं कि मामला राजनीतिक है या भारत में उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा.
स्वास्थ्य का बहाना : चोकसी पहले भी कैंसर जैसी बीमारी का हवाला देकर प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश कर चुका है. वह बेल्जियम में भी यही दावा कर सकता है, जिससे सुनवाई में देरी हो सकती है.
नागरिकता का खेल : चोकसी ने बेल्जियम में रेजिडेंसी कार्ड हासिल किया था, संभवतः फर्जी दस्तावेजों के जरिए. वह दावा कर सकता है कि उसकी कानूनी स्थिति उसे प्रत्यर्पण से बचाती है.
प्रत्यर्पण संधि की शर्तें : भारत और बेल्जियम के बीच की संधि गंभीर अपराधों में प्रत्यर्पण की अनुमति देती है, लेकिन यह बाध्यकारी नहीं है. बेल्जियम यह तय करेगा कि धोखाधड़ी का मामला उनकी कानूनी परिभाषा में फिट बैठता है या नहीं.
भारत की मजबूत तैयारी : सीबीआई और ईडी ने चोकसी के खिलाफ ठोस सबूत, जैसे गिरफ्तारी वारंट और वित्तीय लेनदेन के रिकॉर्ड, बेल्जियम को सौंपे हैं. यह भारत के पक्ष को मजबूत करता है.
स्विट्जरलैंड भागने की योजना : सूत्रों के मुताबिक, चोकसी स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में था. अगर वह कोर्ट में इस इरादे से इनकार करता है, तो यह उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा सकता है.
मानवाधिकार का मुद्दा : चोकसी के वकील भारतीय जेलों की स्थिति को आधार बनाकर प्रत्यर्पण का विरोध कर सकते हैं, जैसा कि अन्य मामलों में हुआ है.
समय लेने वाली प्रक्रिया : बेल्जियम की न्यायिक प्रणाली में अपील और सुनवाई में महीनों या साल भी लग सकते हैं, जिससे प्रत्यर्पण में देरी होगी.
नीरव मोदी का उदाहरण : चोकसी का भांजा नीरव मोदी लंदन में प्रत्यर्पण के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहा है. चोकसी भी यही रणनीति अपना सकता है.
राजनयिक दबाव : भारत सरकार बेल्जियम पर राजनयिक दबाव बढ़ा सकती है, जैसा कि हाल की गिरफ्तारी में देखा गया. लेकिन बेल्जियम का स्वतंत्र रुख इसे जटिल बनाता है.
मेहुल चोकसी को भारत लाना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है. उसकी कानूनी चालें, स्वास्थ्य संबंधी दावे और बेल्जियम की सख्त कानूनी प्रणाली चुनौतियां खड़ी करेंगी. हालांकि, भारत की सक्रियता, मजबूत सबूत और राजनयिक प्रयास इसे संभव बना सकते हैं. अब नजर इस बात पर है कि चोकसी का अगला दांव क्या होगा और भारत उसे कैसे जवाब देगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 15, 2025, 06:35 IST