Last Updated:March 21, 2025, 13:07 IST
दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर से बड़ी मात्रा में नकदी मिलना बहुत ही खतरनाक संकेत है. इससे न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जज का तबादला कर दिया है, लेकिन अभी त...और पढ़ें

दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर से मिला ढेर सारा कैश बहुत से सवाल खड़े करता है.
हाइलाइट्स
सह जगह से हार कर कोर्ट जाते हैं लोगजज पर भरोसा ही न्याय की नींवपता होना चाहिए जज के घर में कहां से आया कैशभारत की न्याय व्यवस्था में एक मौलिक सिद्धांत वकालत के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है, वह है – न्याय होना ही नहीं चाहिए, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए. इसका विस्तार करने पर यह जुडिशियल सिस्टम के प्रति लोगों के भरोसे की ओर ले जाती है. यही वजह है कि भारतीय जज फैसलों के जरिए ही अपनी बात कहने को सही ठहराते रहे हैं. यह अलग बात है कि एक-दो जज साहब ने कोर्ट के बाहर बोलकर आलोचना का सामना किया है, लेकिन अगर जज साहब के घर से अकूत दौलत नकदी के रूप में मिलती है तो यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाता है.
देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम ने इस पर तुरंत एक्शन लिया और फौरन जज यशवंत वर्मा, जिनके घर से नकदी मिली है, को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है. जज वर्मा के घर बड़ी मात्रा में नकदी तब रोशनी में आई जब उनके घर लगी आग को बुझाने फायर ब्रिगेड वाले पहुंचे थे. इस दौरान जज साहब घर में नहीं थे. यह नकदी कई करोड़ बताई जा रही है. मात्रा के बारे में आधिकारिक तौर पर किसी ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है. यह जरूर कहा जा रहा है कि अगर कॉलेजियम को कुछ और रिपोर्ट मिलती है तो जज के विरुद्ध आंतरिक जांच कमेटी गठित की जा सकती है, क्योंकि तबादला तो कोई दंड नहीं हुआ.
बड़ी मात्रा में नकदी कोई भी व्यक्ति अपने घर में नहीं रख सकता. काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा नकदी होने पर उसे बैंक में जमा करें. अगर किसी के घर में बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है तो उस व्यक्ति को नकदी का स्रोत बताना पड़ेगा. खासतौर से जज जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे व्यक्ति को तो अपनी ट्रांसपेरेंसी रखनी ही होगी.
किसी भी सभ्य समाज में न्यायपालिका को ईश्वर के बाद सबसे ज्यादा विश्वसनीय माना जाता रहा है. आज भी चाहे जो हो जाए, आखिरी फैसले का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को ही है. लॉ की कक्षाओं में पढ़ाया जाता है कि कानून की परिभाषा के लिए किसी देश में एक सर्वे कराया गया. आखिर कानून क्या है? इसके जवाब में बहुत सारे लोगों ने बताया कि न्यायाधीश के श्रीमुख से निकले वचन ही विधि है. यही वजह है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज साहबान को न्यायमूर्ति कहा जाता है. वही मूर्तिमान रूप में कानून या विधि हैं. कानून की किताबें तो लिख दी गई हैं, लेकिन उसकी व्याख्या और किसी व्यक्ति को न्याय आखिरकार न्यायमूर्ति के फैसले से ही मिलता है.
लिहाजा यह जरूरी है कि जज नियुक्त किए जाते समय कॉलेजियम और सावधानी बरते. इस समय वैसे भी कॉलेजियम बनाम सरकार की ओर से जजों की नियुक्ति किए जाने की बहस चल रही है. ऐसे में अगर माइलॉर्ड पर इस तरह के आरोप लगेंगे तो कॉलेजियम कमजोर ही होगा. वैसे भी यशवंत वर्मा उसी इलाहाबाद हाई कोर्ट से जज बने थे, जहां के एक अन्य जज के बयान पर देश भर में विवाद हुआ था. हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट के मत्थे यह सेहरा भी बंधा रहा है कि इसी कोर्ट के न्यायमूर्ति जगमोहन लाल ने किसी भी नतीजे की परवाह किए बिना उस वक्त की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध करार दे दिया था.
First Published :
March 21, 2025, 13:00 IST