जज साहब सुनिए तो सही... कबाड़ नहीं है हमारी BMW-Audi! SC में मालिकों की गुहार

10 hours ago

Last Updated:July 26, 2025, 16:19 IST

Delhi News: BMW और Audi मालिकों ने 10 साल पुरानी गाड़ियों को कबाड़ घोषित करने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उन्होंने कहा गाड़ी फिट है तो उम्र क्यों देखी जा रही है, यह अन्याय है.

जज साहब सुनिए तो सही... कबाड़ नहीं है हमारी BMW-Audi! SC में मालिकों की गुहारदिल्ली-NCR में 10-15 साल पुरानी गाड़ियों पर बैन के खिलाफ BMW और Audi मालिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. (फोटो AI)

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे BMW-Audi मालिक, गाड़ी कबाड़ घोषित करने पर जताई आपत्ति.याचिका में कहा गया- गाड़ी फिट है तो उम्र क्यों देखी जा रही है.सोमवार को CJI की बेंच सुनवाई करेगी, सरकार से मांगा जाएगा जवाब.

नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती दो लक्जरी कारें BMW और Audi अब सरकार के उस नियम के खिलाफ बगावत का प्रतीक बन गई हैं जो गाड़ियों की उम्र को ही उनका अंत मानता है. जैसे ही इन गाड़ियों के मालिकों को पता चला कि उनकी कारों को सिर्फ उम्र के आधार पर ‘कबाड़’ घोषित किया जा रहा है उन्होंने दिल्ली सरकार से राहत मांगी. पर जब वहां सुनवाई नहीं हुई तो वे सीधे सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे. उन्होंने याचिका लगाई है. उन्होंने कहा है “जज साहब, सुनिए तो सही… हमारी गाड़ी में कोई खराबी नहीं, फिर सजा क्यों?”

इन मालिकों का कहना है कि उन्होंने समय पर टैक्स भरा, गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लिया और फिटनेस टेस्ट पास किया फिर भी सिर्फ इसलिए उनकी गाड़ी हटाई जा रही है क्योंकि वह 10 या 15 साल पुरानी हो गई? सुप्रीम कोर्ट में अब यह सवाल गूंज रहा है कि क्या एक गाड़ी की ‘डेट ऑफ बर्थ’ ही उसका अंतिम फैसला तय करेगी या फिर उसकी असली हालत?

पढ़ें- ‘6 महीने में ही मर्सिडीज-BMW का मालिक बन जाएं तो…’, CJI गवई ने किसपर साधा निशाना, कोर्ट और सरकार पर बड़ी बात

“उम्र नहीं, फिटनेस देखिए साहब!”
BMW के मालिक अरुण कुमार सिंह, जिनकी गाड़ी 2011 मॉडल है ने अपनी याचिका में कहा है कि Motor Vehicles Act के मुताबिक वाहन की ‘आयु’ नहीं बल्कि उसकी ‘फिटनेस’ और ‘प्रदूषण स्तर’ तय करते हैं कि वह चलने योग्य है या नहीं. उनका दावा है कि उनकी गाड़ी सभी तकनीकी मानकों पर खरी उतरती है फिर भी उसे जबरन हटाया जा रहा है. Audi की मालिक नागालक्ष्मी लक्ष्मी नारायणन ने पहले दिल्ली सरकार से गुहार लगाई. लेकिन जब कोई राहत नहीं मिली तो वे सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचीं.

‘इंस्पेक्शन बेस्ड रिन्यूअल’ क्यों नहीं?
इन याचिकाओं में अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का भी हवाला दिया गया है जैसे अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों में गाड़ियों को उम्र के आधार पर नहीं बल्कि ‘इंस्पेक्शन-बेस्ड रिन्यूअल सिस्टम’ से आंका जाता है. यानी अगर गाड़ी सुरक्षित और पॉल्यूशन फ्री है तो उसे 20 साल तक भी चलाया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि भारत जैसे देश में जहां गाड़ियों की खरीद आम आदमी के लिए एक बड़ा इन्वेस्टमेंट है, वहां यह नियम मनमाना और आर्थिक रूप से अन्यायपूर्ण है.

क्या बोलेगा सुप्रीम कोर्ट?
अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश की बेंच करेगी. माना जा रहा है कि कोर्ट केंद्र और राज्य दोनों से जवाब मांगेगा कि आखिर किसी गाड़ी को सिर्फ उसकी उम्र के आधार पर कबाड़ क्यों घोषित किया जाना चाहिए. यह फैसला ना सिर्फ इन दो मालिकों की गाड़ियों के भविष्य को तय करेगा, बल्कि दिल्ली-NCR में लाखों कार मालिकों की उम्मीद भी इससे जुड़ी है.

गाड़ी नहीं, हक की लड़ाई
इस मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार गाड़ियों की असली हालत को नजरअंदाज करके केवल उम्र देखकर फैसला सुना सकती है? गाड़ी मालिकों का तर्क है कि अगर सरकार नियमित फिटनेस और प्रदूषण जांच कराती है तो ऐसे कठोर प्रतिबंधों की जरूरत ही नहीं. आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस मामले में नया मोड़ ला सकता है. और शायद यह तय करेगा कि दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की उम्र नहीं उनकी सेहत चलेगी.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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