जब नवाज के दूत बोल उठे - मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया

11 hours ago

Last Updated:July 26, 2025, 13:39 IST

Kargil Vijay Diwas: ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) मोहन भंडारी कारगिल वॉर के समय भारत के डिप्‍टी DGMO थे. उन्‍होंने पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) तौकीर जिया के बारे में एक दिलचस्‍प किस्‍सा सुना...और पढ़ें

जब नवाज के दूत बोल उठे - मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दियादेश आज (26 जुलाई 2025) कारगिल विजय दिवस मना रहा है. (फोटो: पीटीआई/फाइल)

Kargil Vijay Diwas: करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्‍तान की सेना जब जुलाई 1999 की शुरुआत में भारतीय फौज के दबाव में पीछे हटने लगी थी, तब तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 4 जुलाई को पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन कर एक बेहद अहम संदेश दिया. उन्‍होंने पाक डीजीएमओ को भारतीय डीजीएमओ से बैठक के लिए भेजने को कहा ताकि नियंत्रण रेखा (LoC) से पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया तय की जा सके. वाजपेयी के निर्देश पर 11 जुलाई को भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल निर्मल चंदर विज (सेवानिवृत्त) और उनके डिप्‍टी ब्रिगेडियर मोहन भंडारी (सेवानिवृत्त) ने अटारी में पाकिस्तानी डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर जिया से मुलाकात की. कारग‍िल युद्ध में भारतीय जवानों ने अदम्‍य साहस का परिचय दिया था.

‘मियां साहब ने जूते खाने अकेले भेज दिया’

अब रानीखेत में रहने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहन भंडारी ने इस ऐतिहासिक बैठक की यादें साझा कीं. उन्‍होंने बताया कि जब वे बैठक स्थल पर पहुंचे तो पाकिस्तानी डीजीएमओ तौकीर जिया अकेले खड़े थे, सिर पर टोपी टेढ़ी और हाथ में सिगरेट. भंडारी ने बताया, ‘मैंने उनसे मजाक में पूछा, ये क्या है तौकीर… अकेले? तो उन्होंने कहा कि क्या करूं? मियां साहब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया.’ यह ‘मियां साहब’ तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए कहा गया था. भंडारी के मुताबिक, डीजीएमओ मीटिंग में किसी अधिकारी का अकेले आना असामान्य था, इसलिए उन्होंने पाक रेंजर्स के तीन अधिकारियों को बुलवाया ताकि औपचारिकता पूरी हो सके. फिर भी भारतीय पक्ष ने प्रतीक्षा करवा कर नाराजगी जताई.

तीन घंटे लंबी बातचीत

बैठक करीब तीन घंटे चली. भारतीय डीजीएमओ ने पाकिस्तानी पक्ष को पीछे हटने की शर्तें समझाईं. भंडारी के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारी चुपचाप नोट्स लेते रहे और कोई सवाल नहीं किया. जब हमने पूछा कि कोई संदेह है तो तौकीर जिया बोले…नो डाउट. इसके बाद भारतीय सेना की ओर से लंच कराया गया, जिसके बाद पाकिस्तानी अफसर चुपचाप लौट गए.

पीछे हटने की शर्तें तोड़ीं, फिर झेला भारी गोला-बारूद

भंडारी ने बताया कि भारतीय पक्ष ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि पीछे हटते समय बारूदी सुरंगें नहीं बिछाई जाएं. लेकिन, पाकिस्तानी सेना ने इसका उल्लंघन किया और पीछे हटते हुए लगातार हमले किए. उन्‍होंने कहा, ‘इसके बाद हमने 15 से 24 जुलाई के बीच पाकिस्तानी चौकियों पर भारी गोलाबारी की और उन्हें सबक सिखाया. आखिरकार वे पूरी तरह 25 जुलाई को पीछे हटे. अगर वे शर्तें मान लेते तो युद्ध 16 या 17 जुलाई को ही खत्म हो गया होता.’

करगिल विजय का गुमनाम किस्‍सा

ये बैठक करगिल युद्ध के दौरान दोनों देशों के डीजीएमओ की एकमात्र मुलाकात थी और भारत की रणनीतिक मजबूती और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रतीक बनी. विजय दिवस की पूर्व संध्या पर साझा किया गया यह किस्‍सा उन असंख्य परदे के पीछे के फैसलों को उजागर करता है, जिन्‍होंने करगिल में भारत की जीत सुनिश्चित की.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

homenation

जब नवाज के दूत बोल उठे - मियां साब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया

Read Full Article at Source