जब समंदर में समा गई थी ट्रेन, छटपटा कर मरे 1500 लोग, कैसे लहरों ने कहर ढाया

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Last Updated:December 26, 2025, 09:32 IST

Train accident due to cyclone- 26 दिसंबर 2004 के दिन दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रेन हादसा श्रीलंका में हुआ, जहां पर सी क्वीन एक्सप्रेस ट्रेन पर सुनामी की चपेट में आ गयी. 10-10 मीटर ऊंची लहरें ट्रेन को बहा ले गयीं. जिससे 1500 से ज्यादा लोग मारे गए. यह हादसा पेरालिया के पास हुआ था जो तटीय इलाका है. यहां से समु्रद 200 मीटर दूर है आज भी इसका स्मारक है.

जब समंदर में समा गई थी ट्रेन, छटपटा कर मरे 1500 लोग, कैसे लहरों ने कहर ढायासाल 2024 में आज ही के दिन सुनामी की चपेट में पूरी ट्रेन आ गयी थी.

train accident in sri lanka. क्रिसमस और बौद्ध पूर्णिमा की छुट्टियों के कारण में ट्रेन में करीब 1500 लोग सवार थे. कोलंबो फोर्ट स्टेशन से सुबह ट्रेन गाले और मतारा की ओर रवाना हुई. चूंकि इसका रूट समुद्र तटीय इलाके से था, उधर से ट्रेन गुजर रही थी. अचानक सुनामी लहनों ने ट्रेन का का रास्‍ता रोका, ट्रेन ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी, पर अगले ही पहल दूसरी और तीसरी लहरें आयी और ट्रेन लहरों के साथ साथ बह गयी. यह दुनिया का सबसे खरतनाक ट्रेन हादसों में एक था, जिसमें 1500 से अधिक लोगों के मौत की बात कही जा रही है. घटना आज ही के दिन पड़ोसी देश श्रीलंका में हुई थी.  पढ़े खौफनाक हादसे की पूरी कहानी-

26 दिसंबर 2004 को श्रीलंका के कोलंबो से सुबह साढ़े छह बजे सी क्‍वीन एक्‍सप्रेस गाले और मतारा की ओर रवाना हुई. क्रिसमस और बौद्ध पूर्णिमा की छुट्टियों के कारण ट्रेन 8-10 कोच वाली थी, लेकिन यात्रियों की संख्‍या 1,500 से ज्यादा थी. बच्चे, पर्यटक और स्थानीय लोग इसमें शामिल थे. समुद्र से महज 200 मीटर दूर होने की वजह से यह पूरा रूट तटीय था, करीब साढ़े 9 बजे ट्रेन पेरालिया के पास पहुंची. जहां पर सुनामी की पहली लहर आई. पानी ट्रैक पर चढ़ गया. ट्रेन रुक गई.

गांव के लोग क्‍यों हुए सवार

यात्री और आसपास के गांववासी (तेलवट्टा समुदाय) पहली लहर से डरकर ट्रेन में शरण लेने लगे.लोगों ने सोचा कि ऊंची पटरी पर ट्रेन सुरक्षित रहेगी. सैकड़ों लोग चढ़ गए, ट्रेन और ओवरलोड हो गई. लेकिन कुछ मिनट बाद दूसरी और तीसरी भारी लहरें आईं. बताया जाता है कि इनकी ऊंचाई 9-10 मीटर से ज्यादा थी. इन विशालकाय लहरों ने ट्रेन को पटरी से उखाड़ फेंका, ज्‍यादातर कोच पलट गए और कुछ समुद्र में बह गए.

चक्रवात से बचने को गांव के लोग भी ट्रेन में हुए थे सवार, वो भी मारे गए.

कैसे हुआ भयानक हादसा

ऊंची लहरों की वजह से  कुछ कोच पेड़ों और घरों से टकराकर पिचक गए. पानी इतना तेज था कि कोच अंदर तक भर गए, दरवाजे बंद हो गए, लोग बाहर नहीं निकल सके. इस वजह से ज्यादातर मौतें डूबने से हुईं. वहीं कुछ की मौत मलबे बदकर भी हुई थी. अनुमान है कि इस हादसे में 1,000 से 1,700 तक लोग मारे गए.

बचाव कार्य में परेशानी क्‍यों

सुनामी ने सड़कें, पुल और स्थानीय इमरजेंसी सेवाएं सबकुछ तबाह कर दिय है. इस वजह से सेना और नौसेना को पहुंचने में घंटे लगे. हेलीकॉप्टर की मदद से सर्च अभिचान चलाया गया. जिससे ट्रेन का मलबा शाम को मिला. कई घायल दिनभर मलबे में तड़पते रहे. कुछ शव समुद्र में बह गए, इसलिए सटीक संख्या तय नहीं हो सकी.

कितने शव बरामद हुए

हादसे के बाद केवल 900 शव बरामद हुए. यह हादसा ट्रेन हादसों के इतिहास में बिल्‍कुल अलग था, क्योंकि यह पूरी तरह प्राकृतिक आपदा से हुआ. इसमें गांव के लोग भी सवार हो गए थे. वे भी मारे गए. कोई ब्रेक फेल, कोई सिग्नल गलती नहीं. इसकी वजह सिर्फ सुनामी रही.

क्‍यों आयी सुनामी 

इंडोनेशिया के सुमात्रा के पास 9.1 से 9.3 तीव्रता का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था. भूकंप के बाद सुनामी लहरें पूरे इंडियन ओसन  में फैलीं, जिससे इंडोनेशिया, थाईलैंड, भारत और श्रीलंका सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. इस वजह से केवल श्रीलंका में कुल 35,000 से ज्यादा मौतें हुईं. इन्‍हीं में पेरालिया में ट्रेन हादसा भी शामिल रहा.

भारत में भी ऐसा हादसा कब हुआ

बिहार में 1981 में चक्रवात से ट्रेन नदी में गिरने से 800 मौतें हुई थीं. यह अपने आप में अनोखा हादसा रहा. भारत में बड़ा प्राकृति आपदा से जुड़ा है. लेकिन श्रीलंका हादसा अब तक का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है.

क्‍या आज भी हैं निशान

हादसे में मारे गए लोगों को याद करने के लिए पेरालिया में आज एक स्मारक है.वहीं एक क्षतिग्रस्त कोच संग्रहालय के पास रखा है, जहां हर 26 दिसंबर को ट्रेन रोककी श्रद्धांजलि दी जाती है. इसमें काफी ऐसे लोग आते हैं जो अपने परिजनों को याद करते हैं.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

December 26, 2025, 09:32 IST

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