China's Sex Industry: चीन की सेक्स इंडस्ट्री तमाम आधिकारिक प्रतिबंधों यानी कड़े नियम कायदों के बावजूद फल-फूल रही है. इसके पीछे के कारणों का खुलासा तमाम एक्सपर्ट्स ने किया है. हालांकि चीन में जहां सरकारी मीडिया ही प्रासंगिक है और सोशल मीडिया पर जनता को सबकुछ कहने की आजादी नहीं है इसके बावजूद चीन के ब्लैक सीक्रेट्स कहीं न कहीं से बाहर आ ही जाते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की इस इंडस्ट्री में करीब एक करोड़ से ज्यादा लोग सीधे जुड़े हैं जो प्रॉस्टीट्यूशन के जरिए अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं.
क्या है कारण
एक्सपर्ट्स के मुताबिक आर्थिक तंगी, प्रणालीगत लैंगिक असंतुलन और लचर नियमों की वजह से इस इंडस्ट्री पर चीन अपना कंट्रोल स्थापित नहीं कर पाया है. चीन में वेश्यावृत्ति में बड़ी तादाद में बढोतरी की सबसे बड़ी वजह लड़कियों और महिलाओं की तस्करी (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) है जो चीन की नीतिगत विफलताओं की ओर इशारा करने के साथ महिलाओं के सामने आने वाली तमाम समस्याओं और उनके बुरे हालातों के बारे में बताती है.
'द डिप्लोमेट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में वेश्यावृत्ति का पुनरुत्थान 20वीं सदी के उत्तरार्ध में देश की आर्थिक उदारीकरण नीतियों से गहराई से जुड़ा है. चीन में आगे चलकर जैसे-जैसे पारंपरिक उद्योगों का पतन हुआ और ग्रामीण आबादी शहरों की ओर पलायन करने लगी, कई महिलाओं खासकर अनपढ़ या कम शिक्षित महिलाओं के पास रोजगार के बहुत कम विकल्प बचे तो उन्हें मजबूरी में इस दलदल में घुसना पड़ा.
आज के हालात
वहीं बीते कुछ सालों में चीन में आई आर्थिक मंदी और बढ़ती बेरोज़गारी ने इस प्रवृत्ति को और तेज कर दिया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाएं जीवनयापन के साधन के रूप में जिस्मफरोसी के इस दलदल में आ गई हैं. अनुमान बताते हैं कि चीन भर में लगभग एक करोड़ लोग इस इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. ये आंकड़ा एकाकी अपराध की बजाय एक प्रणालीगत संकट की ओर इशारा करता है.
दूसरी बड़ी वजह
हालांकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) वेश्यावृत्ति पर सख्त प्रतिबंध लगाती है, लेकिन अक्सर इसके कानूनों का पालन करवाने में ढील बरती जाती है. यानी कानूनी व्यवस्थाओं का पालन सही तरीके से नहीं होता यानी अनियमित तरीके से होता है. पुलिस-प्रशासन वेश्यावृत्ति में शामिल कस्टमर्स को या सेक्स रैकेट चलाने वालों पर नकेल कसने के बजाए जिस्मफरोसी का काम कर रही महिलाओं और युवतियों पर कानून का चाबुक चलाते हैं. यह दंडात्मक भेदभाव इस इंडस्ट्री से जुड़ी महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक कारणों को संबोधित करने में अक्सर नाकाम रहता है. हालांकि कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें प्रशासनिक अधिकारी खुद देह व्यापार में शामिल पाए गए.
2022 का जिआंगसू मामला
इस रिपोर्ट को आगे बढ़ाने से पहले उस 2022 के उस मामले का जिक्र करना जरूरी हो जाता है जब जिआंगसू प्रांत की एक महिला नारकीय हालत में जंजीरों से जकड़ी मिली थी. उसके मामले ने चीन में तस्करी की गई महिलाओं की दुर्दशा की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया था. जंजीरों में कैद महिला झोपड़ी में बंद थी जिसको बीते कुछ सालों में कई बार बेंचा गया और बार-बार उसके सेक्स रैकेट के दलदल में धकेलकर गलत काम कराया गया. इसके बाद फैले आक्रोश ने व्यक्तिगत तस्करों की क्रूरता पर काबू पाने और पुलिस प्रशासन की विफलताओं का जवाब मांगा था. वो मामला कमजोर पृष्ठभूमि की महिलाओं के सामने आने वाले खतरों और उनकी सुरक्षा में व्यवस्थागत कमियों का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया था.
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में कहा कि चीन को यौनकर्मियों के खिलाफ आपराधिक और प्रशासनिक दंड की व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए, ताकि सेक्स वर्कर्स महिलाओं के साथ पुलिस की ज्यादती के मामले थम सकें.
विदेशों से लड़कियों की तस्करी और लैंगिक असंतुलन
चीन की सेक्स इंडस्ट्री ग्लोबल ह्यूमन ट्रैफिकिंग के नेटवर्क से गहराई से जुड़ी है. पड़ोसी देशों जैसे उत्तर कोरिया, म्यांमार, पाकिस्तान, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया से महिलाओं और लड़कियों को जबरन विवाह करके या खरीदकर सेक्स रैकेट में ढकेलने के लिए चीन में तस्करी करके लाया जाता है. एक और अहम वजह चीन का जेंडर गैप यानी लैंगिक असंतुलन है वहीं सिंगल चाइल्ड पॉलिसी और सिर्फ बेटा पैदा करने की चाहत भी इस इंडस्ट्री के फलने फूलने की जिम्मेदार है.
वहीं रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी कानून के तहत वेश्यावृत्ति की अनुमति नहीं है, वहीं एक करोड़ का आंकड़ा भी अनुमानित है असल संख्या और ज्यादा हो सकती है. हालांकि 1978 में चीन के आर्थिक सुधारों की शुरुआत के बाद से इस इंडस्ट्री में काफी तेजी आई है. लोग अरेस्ट होते हैं लेकिन जल्दी छूट जाते हैं.
कुछ पत्रकारों ने इस पर विस्तृत रिपोर्टिंग की है. 2025 में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या लगभग 3 से 4 करोड़ अधिक होने के अनुमानों के मुताबिक अगले कुछ सालों में ऐसी स्थिति आ सकती है कि चार में से एक चीनी पुरुष अविवाहित रहेगा. यह जनसांख्यिकीय दबाव ही तस्करी की गई दुल्हनों और सेक्स वर्कर्स की मांग बढ़ाता है.