जिस बीमारी का भारत ने 2014 में कर दिया था THE END, उसके पाकिस्तान में आ गए तीन नए केस, कितनी है खतरनाक?

2 hours ago

Polio in Pakistan 2025: पाकिस्तान का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) आज आंसू बहा रहा है. इसकी वजह कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि वो साधारण सी बीमारी है जिससे भारत ने 2014 में पूरी तरह से मुक्ति पा ली थी. ये वो बीमारी थी जिससे बचाव की दवाई हमने और आपने जरूर पी होगी. भारत के पैंरेंट्स की बुद्धिमानी की वजह से आज देश में उस बीमारी का एक भी मामला नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में बीते शनिवार को तीन नए मामले सामने आने से 2025 में उस बीमारी से पीड़ित लोगों की तादाद 17 हो गई है. इनमें से दो मामले खैबर पख्तूनख्वा और एक मामला सिंध प्रांत से दर्ज किया गया है.

स्वास्थ व्यवस्था में फेल पाकिस्तान

जो पाकिस्तान कभी कोरोना के आगे असहाय बबस और बेदम हो गया था वही पाकिस्तान अब भी पोलियो से नहीं जीत पाया है. ताजा जानकारी के मुताबिक बच्चों में लक्की मरावट के यूनियन काउंसिल तख्तीखेल से 15 महीने की एक बच्ची, नॉर्थ वजीरिस्तान में 6 महीने की बच्ची और उमरकोट में पांच साल का एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित पाया गया है. पाकिस्तान में पोलियो के 17 मामलों में से 10 खैबर पख्तूनख्वा, पांच सिंध, एक पंजाब और एक पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान से हैं।

क्या है पोलियो?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पोलियो संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है. इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन बार-बार वैक्सीनेशन से इसे रोका जा सकता है. पोलियो का टीका कई बार देने पर बच्चे को जीवनभर सुरक्षा प्रदान करता है. डेरा इस्माइल खान, सुक्कुर और कराची के नमूनों में वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 1 पाया गया। यह दर्शाता है कि इन क्षेत्रों में पोलियो वायरस मौजूद है, जिससे बच्चों में इसके फैलने का खतरा है. यानी कुल मिलाकर बार-बार वैक्सीनेशन करके ही इस लाइलाज बीमारी पर जीत हासिल की जा सकती है.

FAQ

सवाल- पाकिस्तान में कौन-कौन से जिले पोलियो से प्रभावित हैं?
जवाब- 
प्रभावित जिलों में डेरा इस्माइल खान, सुक्कुर, कराची, पेशावर, टांक, उत्तरी वजीरिस्तान, लाहौर, रावलपिंडी, लोरालाई, क्वेटा, झोब, इस्लामाबाद, अब्बोटाबाद, बन्नू, बादिन, जमशोरो, हैदराबाद और काशमोर शामिल हैं.

सवाल- सबसे बड़े क्षेत्र जिस पर कब्जा करके पाकिस्तान में मिलाने वाले बलूचिस्तान का क्या हाल है?
जवाब-
इस्लामाबाद में बैठे स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक बलूचिस्तान में भी हालात खराब हैं. वहां जिला चमन में 21 जुलाई से फ्रैक्शनल आईपीवी-ओपीवी (इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन और ओरल पोलियो वैक्सीन) टीकाकरण का व्यापक अभियान शुरू हो चुका है. जो अभियान 28 जुलाई से बलूचिस्तान के अन्य छह जिलों में भी लागू होगा.

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