'जीनत' पर क्यों लाल-पीला हो रहीं ममता, कैसे 300KM दूर पहुंची बाघिन? जानिए सब

12 hours ago

कोलकाता: जीनत पर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी लाल-पीला हो चुकी हैं. जीनत एक बाघिन का नाम है. जीनत ओडिशा से झारखंड होते हुए बंगाल पहुंची थी. उसे पकड़ने में पश्चिम बंगाल सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी. इस बीच बंगाल में ओडिशा के एक और बाघ पहुंचने की खबर पर ममता बनर्जी और भड़क गईं. ममता बनर्जी ने तो साफ कह दिया कि ओडिशा सरकार अपनी टीम भेजे और खुद पकड़ कर ले जाए. ममता ने जीनत के बंगाल में घुसने पर ओडिशा सरकार की खूब आलोचना की थी. अब ओडिशा सरकार ने भी पलटवार किया और कहा कि जीनत कोई आलू नहीं है, जिस पर आपकी मनमानी चले. जीनत 300 किलोमीटर का सफर तय करके ओडिशा से पश्चिम बंगाल पहुंची थी.

ममता की यह लेटेस्ट आलोचना तब आई, जब बंगाल-झारखंड बॉर्डर के पास एक और बाघ दिखने की खबरें आईं. ममता नाराज थीं कि बंगाल वन विभाग ने जीनत को पकड़ने में इतनी मेहनत की मगर ओडिशा सरकार ने जरा भी एहसान नहीं माना. धन्यवाद तक नहीं दिया. जीनत ने बंगाल के पांच जिलों में दहशत फैला दी थी. ममता बनर्जी ने कहा, ‘लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, स्कूल बंद करने पड़े थे. बाद में कहते हैं कि बाघ को वापस दे दो. अगर आपके पास जगह नहीं है, तो हमें बताइए. हम बाघिन को हमेशा के लिए अपने रिजर्व में रख लेंगे. इस बीच नई जगह पर बाघ देखे जाने के बारे में उन्होंने कहा, मैं मुख्य सचिव के माध्यम से ओडिशा सरकार से आग्रह करूंगी कि वो आकर बाघ का खुद रेस्क्यू करे.’

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ओडिशा के वन और पर्यावरण मंत्री गणेश राम सिंहखुंटिया ने ममता बनर्जी को घेरा. उनके बयान को ‘अपरिपक्व’ बताया और उन्हें ‘राजनीतिक बयानबाजी’ करार दिया. सिंहखुंटिया के मुताबिक, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भुवनेश्वर में बीजेपी सत्ता में है. उन्होंने कहा, ‘उनका ये कहना कि ओडिशा में पर्याप्त जंगल नहीं हैं. यह उनकी अज्ञानता दर्शाता है. हमारे कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 39 प्रतिशत हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है.’

‘जानवर स्वतंत्र होते हैं’
जीनत को लेकर उन्होंने आगे कहा, ‘क्या जानवर भौगोलिक सीमाओं को जानते हैं? हम जानवरों को भौगोलिक सीमाओं से कैसे रोक सकते हैं?… क्या हमने कभी बंगाल से ओडिशा में प्रवेश करने वाले हाथियों का मुद्दा बनाया है? जंगली जानवर जहां चाहें घूमने के लिए स्वतंत्र हैं.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि हमने जीनत को पकड़ने में बंगाल सरकार के सहयोग की सराहना की. साथ ही सिमलीपाल की एक टीम भी जीनत की आवाजाही पर बारीकी से नजर रखे हुए थी.

बंगाल कैसे पहुंची जीनत
अब जानते हैं कि आखिर जीनत कैसे पहुंची बंगाल. बाघिन जीनत पहले महाराष्ट्र में थी. महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व से नवंबर में उसे ओडिशा लाया गया था. उसे ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व वन के उत्तरी डिवीजन में छोड़ा गया था. यहां कुछ दिनों तक उसे बाड़े में रखा गया. फिर उसे जंगल में छोड़ दिया गया. करीब 8 दिसंबर को वह यहां से भाग निकली. वह चलते-चलते झारखंड पहुंच गई. इसके बाद फिर वह बंगाल पहुंची. इस दौरान उसने करीब 300 किलोमीटर का सफर तय किया. उसे 29 दिसंबर को काफी मशक्कत के बाद बंगाल सरकार की ओर से पकड़ा गया.

अब सवाल है कि आखिर ममता नराज क्यों?
सूत्रों का दावा है कि जीनत पर ओडिशा सरकार के रवैये से ममता नाराज हैं. एक और बात से ममता नाराज हैं. 30 दिसंबर को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने एक पत्र भेजा था. उसमें पूछा गया था कि जीनत को पकड़े जाने के बाद एनटीसीए के एसओपी के अनुसार सिमलीपाल टाइगर रिजर्व ट्रांसफर करने के बजाय कोलकाता स्थित अलीपुर चिड़ियाघर क्यों शिफ्ट किया गया. इसके बाद ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) ने अलग से अपने बंगाल समकक्ष को खत लिखकर बाघिन को तुरंत सिमलीपाल वापस भेजने को कहा.

जीनत के बीच आलू की चर्चा क्यों
ममता सरकार और ओडिशा सरकार के बीच जीनत पर आलू की चर्चा क्यों हुई? दरअसल, जब ममता बनर्जी की सरकार ने अलीपुर चिड़ियाघर में जीनत को शिफ्ट किया तो इससे ओडिशा सरकार भड़क गई. उस पर ओडिशा का कहना है कि ममता सरकार ऐसे कर रही है, जैसे जीनत उसकी संपत्ति हो. वन मंत्री सिंहखुंटिया ने कहा कि आलू की आपूर्ति करना या न करना ममता सरकार का विशेषाधिकार है, मगर जीनत कोई आलू नहीं है. दरअसल, ओडिशा में आलू की कमी हो गई है. इसकी वजह बंगाल सरकार है. ओडिशा आलू के लिए बंगाल पर निर्भर रहता है. मगर बंगाल सरकार ने अपनी घरेलू मांग को पूरी करने के लिए बाहर आपूर्ति बंद कर दी है. इसकी वजह से ओडिशा के निशाने पर ममता सरकार है.

जानिए जीनत का ओडिशा से बंगाल का सफर
बाघिन जीनत को नवंबर में महाराष्ट्र से सिमलीपाल टाइगर रिजर्व लाया गया था. लगभग तीन हफ्ते तक उसे एक खास बाड़े में रखा गया. फिर उसे जंगल में छोड़ा गया. इसके बाद वह झारखंड चली गई. इसके बाद करीब एक सप्ताह से अधिक समय तक झारखंड के चकुलिया क्षेत्र में रही. वहां से बाघिन जीनत पुरुलिया के बांदवान और फिर उसी जिले के मानबाज़ार और उसके बाद बांकुरा के रानीबंध में चली गई. उसे बांकुरा के गोसाईडीही गांव के पास एक जंगल से पकड़ा गया था. 1 जनवरी को जीनत को वापस ओडिशा के सिमलीपाल लाया गया. अभी उसे खास बाड़े में रखा गया है. अभी जंगल में नहीं छोड़ा गया है.

Tags: Kolkata News, Mamata banerjee, West bengal

FIRST PUBLISHED :

January 9, 2025, 10:44 IST

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