Last Updated:June 03, 2025, 13:31 IST
Loknayak Jayaprakash Narayan Heritage: जय प्रकाश नारायण को 'लोकनायक' के रूप में जाना जाता है. वह न केवल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे, बल्कि वह भारतीय इतिहास की धरोहर भी हैं, क्योंकि वह 20वीं सदी के स...और पढ़ें
लोकनायक जय प्रकाश नारायण के घर में सहेज कर रखे गए हैं उनसे जुड़ीं वस्तुएं.
हाइलाइट्स
जयप्रकाश नारायण जी का घर और सामान संरक्षण की मांग.पुराना घर और 200 वर्ष पुराने सामान बिखरने की कगार पर.सरकार से संरक्षण की अपील, धरोहर को बचाने की जरूरत.छपरा/विशाल कुमार. लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्मस्थान बिहार में छपरा जिले के सिताब दियारा में है. उनका पुराना घर और घर में मौजूद उनसे जुड़े पुराने सामान संजोए गए हैं. उनका पुराना घर, जिसे लोग धरोहर के रूप में संजो कर रखते हैं. इस घर में कई वस्तुएं 200 वर्ष से भी पुरानी हैं. लोकनायक जयप्रकाश नारायण से जुड़ी कई वस्तुएं देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. लेकिन, देखभाल की कमी से यह धरोहर मिटने की कगार पर है जिसको लेकर स्थानीय लोग संरक्षण की मांग कर रहे हैं, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षित रह सके.
जेपी के घर में एक संदूक है, जिसे आज के समय में बक्सा कहा जाता है. पुराने जमाने की कुर्सी-टेबल, रसोई में खाना बनाने का सामान, जाता, ओखली, सिलवटी, मिट्टी का चूल्हा सहित कई बर्तन भी मौजूद हैं, जो अब विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं. पीतल, काश, एल्यूमिनियम सहित अन्य धातुओं के बर्तन भी देखे जा सकते हैं. श्रीभगवान मलाह ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी से संबंधित उनका पुराना घर और कई सामान हम धरोहर के रूप में संजो कर रखते हैं, जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.
रसोई में सिलवट, जाता, लोढ़ा…
श्रीभगवान मलाह ने बताया कि जिस टेबल और कुर्सी पर बैठकर वे पढ़ाई करते थे, वह सागवान लकड़ी का बना है और आज भी मौजूद है. जिस पलंग पर वे सोते थे, वह लकड़ी का पलंग है. रसोई में सिलवट, जाता, लोढ़ा, चूल्हा, दही तैयार करने वाला मिट्टी का घर और खाने के बर्तन सहित तमाम सामानों को बचाकर रखा गया है.
धरोहरों के रख-रखाव में कमी
इस मिट्टी के छप्पर वाले घर को बचाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन रख-रखाव में कमी आने के कारण यह बिखरने लगा है. सरकार की नजर इस पुराने घर पर नहीं जा रही है, जिससे इसे नुकसान हो रहा है. यदि इसका सही देख-रेख नहीं किया गया तो जयप्रकाश नारायण जी से संबंधित सामान नष्ट हो जाएगा, जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.