जो हारे नहीं,वही जीते,40 की उम्र में UPSC फतह,7वीं बार में लिखी सफलता की कहानी

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Last Updated:April 26, 2025, 13:42 IST

UPSC Success Story: कहते हैं कि सपने की कोई उम्र नहीं होती है. अगर कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ कुछ भी किया जाए, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी एक दो बच्चों की मां की है, जिन्होंने 4...और पढ़ें

जो हारे नहीं,वही जीते,40 की उम्र में UPSC फतह,7वीं बार में लिखी सफलता की कहानी

UPSC Success Story: दो बच्चों की मां ने 7वीं बार में यूपीएससी की परीक्षा को पास करने में सफल रही हैं.

UPSC Success Story: अगर आप कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ किसी काम में लगते हैं, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी 40 साल की निसा उन्नीराजन (Nisa Unnirajan) की है, जो अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से यह साबित कर दिया कि उम्र, विकलांगता या अन्य बाधाएं कभी भी सपने पूरा करने के रास्ते में नहीं आ सकतीं. उन्होंने वर्ष 2024 में सातवें प्रयास में 1,000वीं रैंक हासिल करने वाली निसा के लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

35 साल की उम्र में शुरू की सिविल सेवा का सफर 
UPSC में 1000वीं रैंक हासिल करने वाली निसा ने अपनी सिविल सेवा का सफर 35 साल की उम्र में शुरू की. इस उम्र लोग यूपीएससी पास करके नौकरी कर रहे होते हैं या नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन उन्होंने इस उम्र में भी शानदार सफलता की कहानी लिख डाली हैं. वह घर पर अपनी दो छोटी बेटियों नंदना (11), थानवी (7) और पति अरुण के सपोर्ट से उन्होंने दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया. उनके माता-पिता रिटायर्ड पुलिस कर्मचारी हैं, वह भी उनका साथ थे.

असफलताओं से मिली प्रेरणा
निसा ने कई बार असफलता का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी उसे हार नहीं माना. टीएनएन की एक रिपोर्ट्स के अनुसार निसा बताती हैं कि हर असफलता से मुझे कुछ नया सिखने को मिला. हर बार उन्होंने अपनी रणनीति को बेहतर किया है. इस मानसिकता ने उन्हें बार-बार उठने और आगे बढ़ने का हौंसला दिया. निसा ने UPSC में यह सफलता डिसेबिलिटी कैटेगरी में हासिल की हैं.

उम्मीदों को पूरा करने की ऐसे मिली जज्बा
निसा ने तिरुवनंतपुरम के एक निजी कोचिंग सेंटर से सिविल सेवा की तैयारी की. इसके साथ ही कोट्टायम के उप-कलेक्टर रंजीत से उन्हें जबरदस्त प्रेरणा मिली, जो खुद सुनने में विकलांग हैं. निसा ने बताया कि किसी ऐसे व्यक्ति की सफलता को देखकर जिन्होंने उसी चुनौती का सामना किया है, उनकी उम्मीदों को बहुत बल मिला.

ऐसी बनाई अपनी दिनचर्या
निसा ने अपनी दिनचर्या को प्रेरणादायक आत्मकथाओं, सफलता की कहानियों और प्रेरक वीडियो से भर लिया. उनका यह तरीका भले ही पारंपरिक नहीं था, लेकिन यह उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखता था और सफलता की ओर बढ़ने में मदद करता था. निसा की सफलता ने यह साबित कर दिया कि कभी भी देर नहीं होती और कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता. आप किसी भी उम्र में शुरुआत कर सकते हैं, बस संकल्प मजबूत होना चाहिए.

अब निसा आईएएस बनने के लिए तैयार हैं. उनका यह सफर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. उनकी कहानी बताती है कि सबसे लंबा सफर भी एक छोटे से साहसिक कदम से शुरू होती है. इस सफर को कभी भी शुरू किया जा सकता है.

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First Published :

April 26, 2025, 12:29 IST

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