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जॉब के लिए किया अप्लाई… ज्वाइनिंग से पहले ही सरकार ने बदल डाले नियम, CJI का रिटायरमेंट से पहले ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली. क्या सरकारी नौकरी के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बीच में बदले जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने गुरुवार को यह साफ कर दिया कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बीच में नहीं बदले जा सकते हैं. सार्वजनिक सेवा में भर्ती के मुद्दे यह अहम फैसला सामने आया है. सीजेआई की बेंच ने यह साफ कर दिया कि ऐसा करना अवैध है. जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. बेंच ने कहा कि राज्य सरकारें कई मौकों पर प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बदल देती थी. सरकारी नौकरी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं हो सकता.
सीजेआई के अलावा संविधान बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा भी हैं. सुनवाई के बाद जुलाई 2024 को बेंच ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. पेश मामले में कानूनी सवाल यह था कि क्या किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति के लिए नियमों को संबंधित अधिकारियों द्वारा बीच में या चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद बदला जा सकता है. आज अपने फैसले में संविधान पीठ ने के मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2008) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले की सत्यता पर जोर दिया. पहले भी यही माना गया था कि भर्ती प्रक्रिया के नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है.
संविधान पीठ ने आगे कहा कि के मंजूश्री का फैसला कानून है और इसे केवल इसलिए गलत नहीं माना जा सकता क्योंकि इसमें हरियाणा राज्य बनाम सुभाष चंद्र मारवाहा और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1973 के फैसले को ध्यान में नहीं रखा गया. मारवाहा मामले में कोर्ट ने माना था कि सार्वजनिक सेवा परीक्षा में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को हर हाल में ही चुने जाने का पूर्ण अधिकार नहीं है. न्यायालय ने मारवाहा फैसले में कहा था कि उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए सरकार चाहे तो मिनिमम एलिजिबिल्टी मार्क से ज्यादा अंकों को सही कैंडिडेट चुनने के लिए बदल सकती है.
Tags: DY Chandrachud, Supreme Court
FIRST PUBLISHED :
November 7, 2024, 12:12 IST