Opinion: चुनाव परिणाम में मोदी का विरासत और विकास का महासूत्र आज भी सफल

2 hours ago

पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की कुशल रणनीति महाराष्‍ट्र चुनाव के दौरान सफल रही. बीजेपी ने उपचुनावों में भी शानदार प्रदर्शन किया. महाराष्‍ट्र में महायुति गठंधन को बंपर सीटें मिली. महाविकास अघाड़ी का इन चुनावों में दम निकल गया.

Source: News18Hindi Last updated on:November 24, 2024 9:24 AM IST

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 चुनाव परिणाम में मोदी का विरासत और विकास का महासूत्र आज भी सफल

महाराष्‍ट्र चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया. (PTI)

चुनाव परिणामों से एक बार फिर साबित हो गया है कि देश में हुए उप चुनाव और राज्यों में चुनाव में बीजेपी की नीति और निर्णय सफल हुआ. महाराष्ट्र में जिस प्रकार अपार सफलता बीजेपी पाई और अकेले शिंदे गुट के बराबर भी कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दल मिलकर सीट नहीं पा सके, उससे साबित होता है, अब नेता वही होगा जिसके नेतृत्व में राज्य का ठोस विकास होगा. जनता अब पार्टियों के इतिहास पर नही बल्कि विकास पर ही समर्थन देगी. 288 सीट में 229 सीट पा जाना भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन का निश्चित रूप से मोदी की नीतियों और महाराष्ट्र के बीजेपी के कर्णधार देवेंद्र फडणवीस पर जनता का विश्वास है. एकनाथ शिंदे एवं एनसीपी अजित गुट पर जनता ने मुहर लगा दी कि अब प्रदेश के विकास को यही सब बढ़ा सकते हैं. शरद पवार का काल अब जाता रहा है और बंशावली आधार और मूल शिवसेना हमी है, का उद्धवगुट का हवाला भी एक प्रकार से जनता के मध्य नकारात्मक ही रह गया. बंगाल और झारखंड को छोड़कर लगभग हुए फुटकर चुनावों में भी बीजेपी ने पूर्ण बढ़त बरकार रखी। यह मोदी की नीतियों एवं अमित शाह के संगठनात्मक छमता और बीजेपी की विरासत व विकास की एक साथ ले चलने का ही परिणाम रहा है.

इधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का कड़क नेतृत्व एक बार फिर जनता में उनकी सफलता को दुहरा कर साबित किया कि ‘पीडीए’ आदि जाति वर्ग आधारित गठबंधन जनता को नही स्वीकार्य हैं बल्कि ‘सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास’ ही समग्र नीति है जो मोदी और योगी अपनाते हैं। वही सफल हो सकती है जहां बिना किसी भेदभाव के विकास व अनुदान के अवसर सबको उपलब्ध होते हैं। यूपी में जिस प्रकार नौ सीटों में से सात सीट पर बीजेपी ने बड़े बहुमत के साथ सफलता पाई है, वह यह सिद्ध करती है योगी जी का कुशल प्रशासन लोकसभा में हुए उप चुनावों से सबक लेते हुए सपा, बसपा की विभाजन कारी नीतियों व बयानों से निपटने का विकास आधारित कारगर तरीका अपनाया और सफलता अर्जित की.

कांग्रेस के नेतृत्व के महा गठबंधन को एक बार फिर विचार करना होगा यह राष्ट्र केवल ‘मोहब्बत और नफरत’ की बात करने से नही चलेगा और न सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की तरफ धकेलने से ही चलेगा. झारखंड के चुनाव परिणाम  फिर से हेमन्त सोरन को पदासीन कर रहे है, उसके पीछे वहां आज भी सत्ता पर उनकी पकड़ मजबूत करने का अपना स्थानीय तरीका, प्रभावी उम्मीदवारों को टिकट देना और उनसे असहज चम्पई जैसे नेता का शून्य व्यक्तित्व से बीजेपी का जुड़ना भी कारण है. झारखंड का अपना आदिवासी नारा और अपनी संस्क्रति व्यामोह भी उसकी सफलता का राज है.

सम्पूर्ण राष्ट्र को सामान्यीकरण की दृष्टि से देखें तो विकासवाद ही मूल नारा है ‘हां बटेंगे तो कटेंगे’ जैसे तात्कालिक नारो से यूपी में कुछ अंश तक ही सफलत मिली है, क्योंकि महाराष्ट्र में एनसीपी के अजित पवार ने इस नारे का विरोध किया और परिणाम यह हुआ कि इसी नारे पर अप्रत्यच्छ रूप से जीवन भर अपनी राजनीति चलाते उद्धव गुट की मूल शिव सेना हवा हो गयी,और अजित पवार ने चार  दशक से आधारित अपने चाचा के साम्राज्य को ढह दिया.उत्तरप्रदेश में जिस प्रकार विपक्ष द्वारा सम्प्रदाय आधारित राजनीति को लेकर  आक्रामकता बढ़ती चली जा रही है उससे,क्रिया प्रतिक्रिया के सिंद्धांत के अनुसार योगी के इस नारे को स्वमेव बल मिलता चला जा रहा है,परन्तु यह बात सबको जाननी चाहिए कि इससे सद्भाव का समाज नही बन सकता और न ही पूरे देश को इस आधार पर चलाया ही जा सकता है,परिणाम सामने है महाराष्ट्र और झारखंड जहाँ दोनो जगह विजय के अपने अपने कारण रहें है.

अंततः एक बात फिर सामने है कि मोदी का विकासवादी एजेंडा पूरी तरह पूरे देश मे सफल है जनता आज भी उसे स्वीकार्य कर अपना समर्थन दे रही है वावजूद इसके की राज्यों के अपने अपने कर्णधार अपने अपने तरीको से भी सफलता हासिल कर रहे हैं.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

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First published: November 24, 2024 9:24 AM IST

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