Last Updated:November 07, 2025, 07:01 IST
म्यांमार में फंसे 270 भारतीयों को वापस लाया गया है. (सांकेतिक तस्वीर)नई दिल्ली. जल्द अमीर बनने की चाहत में इंसान क्या कर गुजरता है, इसका अहसास उसे तब होता है, जब वह बड़ी मुश्किल में फंस जाता है. म्यांमार में एक्टिव साइबर स्कैम रैकेट से जुड़ा मामला कुछ ऐसा ही है. इस रैकेट में दर्जनों भारतीय फंसे हुए हैं. एक जटिल और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बचाव अभियान में 270 भारतीयों को सफलतापूर्वक स्वदेश वापस लाया गया है, जिनमें 26 महिलाएं भी शामिल हैं. इनको थाईलैंड की सीमा पर स्थित माए सोत शहर से वापस लाया गया, जहां से वे कथित तौर पर म्यांमार के म्यावड़ी क्षेत्र में स्थित साइबर घोटाला केंद्रों से भागकर आए थे.
यह बचाव उन पीड़ितों के लिए एक दर्दनाक अध्याय का अंत है, जिन्हें शुरू में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (अक्सर थाईलैंड या लाओस) में आईटी या डिजिटल सेक्टर में उच्च वेतन वाली नौकरियों का लालच देकर फंसाया गया था. क्षेत्र में पहुंचने के बाद उन्हें सीमा पार म्यांमार के अराजक और संघर्षग्रस्त क्षेत्रों, विशेष रूप से म्यावड़ी के आसपास, तस्करी कर ले जाया गया, जो संगठित अंतरराष्ट्रीय अपराध का कुख्यात केंद्र बन चुका है.
डिजिटल गुलामी की भयावह तस्वीर
ये केंद्र अक्सर चीनी लिंक वाले संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा चलाए जाते हैं, जहां पीड़ितों को अमानवीय हालात में घोटालों में मजबूर किया जाता है. इनमें अमेरिका, यूरोप और भारत के लोगों को निशाना बनाकर क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी, रोमांस स्कैम और निवेश धोखे शामिल हैं. विदेश मंत्रालय (MEA) के अधिकारियों के अनुसार, कर्मचारियों को अमानवीय स्थितियों, लंबे काम के घंटों, गतिविधि पर प्रतिबंध और घोटाला लक्ष्य पूरा न करने पर शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता था. इस अभियान में निर्णायक मोड़ तब आया जब बड़ा समूह सामूहिक रूप से भागने में सफल रहा और थाईलैंड के माए सोत को म्यांमार के म्यावड़ी से अलग करने वाली खतरनाक मोई नदी को पार कर गया. थाईलैंड पहुंचने पर उन्हें भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने संभाला.
कूटनीतिक चुनौतियां
वापसी के लिए बैंकॉक (थाईलैंड) और यांगून (म्यांमार) में भारतीय दूतावासों के बीच व्यापक समन्वय की जरूरत पड़ी. साथ ही थाई अधिकारियों का सहयोग भी लिया गया. म्यावड़ी क्षेत्र में काम करना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यह विभिन्न जातीय सशस्त्र संगठनों (EAOs) के नियंत्रण में है और म्यांमार में केंद्रीय सरकार का कोई अधिकार नहीं है. MEA ने पहले ही इस क्षेत्र में अनियमित रोजगार प्रस्तावों के खिलाफ भारतीय नागरिकों को बार-बार चेतावनी जारी की है.
इंटरपोल से सहयोग
इंटरपोल और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से किया गया यह बचाव अभियान साइबर घोटाला तस्करी से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी एकल-दिवस वापसी में से एक है. यह डिजिटल युग की गुलामी की बढ़ती वैश्विक संकट को रेखांकित करता है और एशिया में कमजोर नौकरी चाहने वालों का शोषण करने वाले अपराधी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए सख्त उपायों की जरूरत को उजागर करता है. भारत की प्रतिबद्धता बनी हुई है कि म्यांमार और क्षेत्र के अन्य संघर्ष क्षेत्रों में फंसे शेष सभी नागरिकों को वापस लाया जाएगा.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 07, 2025, 07:01 IST

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