Last Updated:June 04, 2025, 13:56 IST
UPI vs Visa Card : भारत के यूपीआई ने लेनदेन के मामले में वीजा कार्ड को भी पीछे छोड़ दिया है. हालिया आंकड़े बताते हैं कि यूपीआई से रोजाना लेनदेन अब वीजा कार्ड के मुकाबले कहीं आगे निकल चुका है. पैसों में इसका आंक...और पढ़ें

यूपीआई की शुरुआत साल 2016 में हुई थी.
हाइलाइट्स
यूपीआई ने वीजा कार्ड को लेनदेन में पीछे छोड़ा.यूपीआई से रोजाना 65 करोड़ ट्रांजेक्शन होते हैं.यूपीआई की सालाना ग्रोथ 40% रही है.नई दिल्ली. भारत का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई अभी-अभी तो शुरू हुआ है. साल 2016 में नोटबंदी के बाद कैश के विकल्प के रूप में शुरू की गई इस डिजिटल सर्विस ने महज 9 साल में ही दुनिया की सबसे पुरानी डिजिटल पेमेंट कंपनी वीजा कार्ड को भी पीछे छोड़ दिया है. यूपीआई का इस्तेमाल अब भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में होने लगा है. हाल में जारी हुए इसके ट्रांजेक्शन डाटा ने दुनियाभर में वीजा कार्ड से हुए ट्रांजेक्शन के आंकड़ों को भी पीछे छोड़ दिया है.
यूपीआई अब दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल रियल टाइम पेमेंट सिस्टम बन गया है. इसके जरिये 1 जून को 64.4 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए, जबकि 2 जून को यह आंकड़ा 65 करोड़ को भी पार कर गया. वित्तवर्ष 2024 में वीजा कार्ड का डेली ट्रांजेक्शन आंकड़ा 63.9 करोड़ रहा था. इस लिहाज से देखा जाए तो यूपीआई का रोजाना लेनदेन वीजा कार्ड से कहीं ज्यादा पहुंच गया है. मई में यूपीआई से रोजाना लेनदेन 60.20 करोड़ रहा, जो मार्च तिमाही में 67.4 करोड़ रहा था. मई की शुरुआत में यूपीआई का डेली ट्रांजेक्शन 63 करोड़ था, जो बाद में बढ़कर 64 से 65 करोड़ पहुंच गया.
चार गुना ज्यादा ग्रोथ
यूपीआई ने सिर्फ लेनदेन के मामले में ही वीजा कार्ड को पीछे नहीं छोड़ा है, बल्कि इसकी ग्रोथ भी वीजा से चार गुना ज्यादा रही है. यूपीआई से लेनदेन में 5-7 फीसदी की ग्रोथ हर महीने दिख रही है, जबकि सलाना ग्रोथ 40 फीसदी रही. इसके मुकाबले वीजा कार्ड की सालाना ग्रोथ महज 10 फीसदी ही दिख रही है. अगर इसी ग्रोथ को कायम रखा तो अगले 2 से 3 महीने में यूपीआई का रोजाना ट्रांजेक्शन वीजा कार्ड से कहीं आगे निकल जाएगा. सरकार ने भी यूपीआई के रोजाना ट्रांजेक्शन को 1 अरब तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
मास्टर कार्ड से कितना ट्रांजेक्शन
वीजा कार्ड के बाद सबसे ज्यादा ट्रांजेक्शन मास्टर कार्ड के जरिये किया जाता है. मास्टर कार्ड से ट्रांजेक्शन की संख्या रोजाना 45 करोड़ के आसपास है. रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़े देखें तो पता चलता है कि दुनियाभर में होने वाले कुल डिजिटल भुगतान में भारत की हिस्सेदारी 48.5 फीसदी पहुंच गई है, जो यूपीआई के जरिये ही संभव हुआ है.
कीमत में तो मीलों आगे
यूपीआई ने भुगतान की संख्या के मामले में तो वीजा और मास्टर कार्ड को पीछे छोड़ ही दिया है, लेकिन कीमत यानी वैल्यू के लिहाज से देखें तो यह मीलों आगे नजर आता है. मई, 2025 में दुनियाभर में सभी कार्ड से मिलाकर कुल जितने रुपये का लेनदेन हुआ है, उससे 12 गुना ज्यादा लेनदेन सिर्फ यूपीआई से किया गया है. इस दौरान यूपीआई से 25 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. अगर भारत की बात करें तो यहां किए गए कुल लेनदेन का 85 फीसदी हिस्सा सिर्फ यूपीआई के जरिये ही भुगतान किया गया.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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