Agency:पीटीआई
Last Updated:February 23, 2025, 16:00 IST
Pollachi Railway Station: तमिलनाडु में एंटी-हिंदी सेंटीमेट इस कदर हावी है कि कुछ लोगों को हिंदी में रेलवे स्टेशन का नाम फूटी आंख नहीं सुहाया. प्रो-तमिल एक्टिविस्ट्स के एक समूह ने 'पोल्लाच्चि जंक्शन' पर लगे साइन...और पढ़ें

रेलवे ने कुछ ही देर में सही कर दिया साइन बोर्ड.
चेन्नई: तमिलनाडु में हिंदी विरोध की आंच अब रेलवे स्टेशनों तक पहुंच गई है. पोल्लाची रेलवे स्टेशन पर रविवार को हिंदी विरोधी प्रदर्शन हुआ. प्रो-तमिल प्रोटेस्टर्स ने रेलवे स्टेशन के साइनबोर्ड पर लिखे हिंदी शब्दों को काले रंग से पोत दिया. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें आरपीएफ का एक अधिकारी प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश करता दिखा. घटना के बाद, दक्षिण रेलवे के पलक्कड़ डिवीजन के अधिकारियों ने सफाई दी कि नाम को तुरंत रीस्टोर कर दिया गया. रेलवे ने कहा, “आरपीएफ पोल्लाची ने आरोपियों की पहचान कर ली है और रेलवे एक्ट के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.”
இந்தியா முழுவதிலும் வரும் யாத்திரிகர்கள் ,சுற்றுலா செல்லும் பயணிகள் வட இந்தியாவில் இருந்து ரயில் நிலையத்தை அடையாளம் காண ரயில் நிலைய பெயர் பலகை அழிப்பு!
இதுபோன்ற சமூக விரோதிகளை ரயில்வே போலீஸ் நிர்வாகம் ஏன் கைது செய்யவில்லை? @RailMinIndia @RPF_INDIApic.twitter.com/PFt36TvERf
— சத்யமே ஜெயம் 🇮🇳 (@Namo3Namo) February 23, 2025
तमिलनाडु बनाम केंद्र: हिंदी थोपने का विवाद
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके और केंद्र सरकार के बीच हिंदी को लेकर विवाद लगातार जारी है. डीएमके का आरोप है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के जरिए हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है. डीएमके के प्रवक्ता टीकेएस इलंगोवन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, “पहले यह पॉलिसी बीजेपी-शासित राज्यों में लागू की जाए और वहां के शिक्षा स्तर को सुधारा जाए. इस नीति का असली उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था पर धार्मिक विचार थोपना है, जिसे हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे.”
केंद्र सरकार ने क्या कहा
इस विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके के आरोपों को ‘काल्पनिक’ बताया. उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी भी भाषा को थोपने की सिफारिश नहीं करती है. इसका मतलब यह है कि किसी भी तरह से एनईपी तमिलनाडु में हिंदी को अनिवार्य करने की बात नहीं कहता.” तमिलनाडु में हिंदी विरोध नया नहीं है. पहले भी हिंदी थोपने के खिलाफ कई प्रदर्शन हो चुके हैं. डीएमके शुरू से ही हिंदी के विरोध में रही है और यह विवाद फिलहाल थमने वाला नहीं दिख रहा.
Location :
Chennai,Tamil Nadu
First Published :
February 23, 2025, 16:00 IST