News in Hindi: नेपाल में परंपरा रही है कि जब भी वहां नया प्रधानमंत्री चुना जाता है या नए पीएम के तौर पर जो भी शपथ लेता है, वह अपनी पहली विदेश यात्रा भारत की करता है. लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि नेपाल के नए पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत आना नहीं चुना. हैरानी की बात है कि अपनी प्रो चीन छवि के विपरीत वह चीन की यात्रा पर भी नहीं जा रहे हैं. क्या है इसके पीछे की वजहें आइए जानें…
केपी शर्मा ओली ने नेपाल में पुष्प कमल दहल सरकार गिरने के बाद नेपाल के नए मगर चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप में कमान संभाली है. नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली ने 14 जुलाई को प्रधानमंत्री पद संभाला.
ओली पड़ोसी देश भारत की यात्रा करने की परंपरा को तोड़ते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए थाईलैंड को चुन सकते हैं, ऐसी प्रबल संभावना है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली सितंबर के पहले सप्ताह में बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड की यात्रा पर जाने वाले हैं. हालांकि यात्रा के पूरे ब्यौरे को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.
इसी के साथ प्रधानमंत्री ओली सितंबर के तीसरे सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए अमेरिका जाएंगे. ओली के एक सहयोगी ने कहा, अभी तक हमें भारत यात्रा के लिए कोई आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला है. काठमांडू पोस्ट अखबार के हवाले से पीटीआई की रिपोर्ट कहती है कि पिछली सरकार द्वारा भारत और चीन से नेपाल के राजदूतों को वापस बुलाने के फैसले ने प्रधानमंत्री ओली के लिए अगस्त में दोनों पड़ोसियों की यात्रा को लगभग असंभव बना दिया है.
बता दें कि सीपीएन-यूएमएल और माओवादी केंद्र की पिछली सरकार ने भारत और चीन से शंकर शर्मा और बिष्णु पुकार श्रेष्ठ को वापस बुलाया था, लेकिन इस महीने की शुरुआत में सत्तारूढ़ गठबंधन में बदलाव के बाद सरकार ने शर्मा को फिर से भारत में नियुक्त करने का फैसला किया.
बता दें कि बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड सहित बिम्सटेक के सदस्य देशों के नेता क्षेत्रीय निकाय के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सितंबर के पहले सप्ताह में बैंकॉक में मिल रहे हैं.
FIRST PUBLISHED :
August 2, 2024, 17:42 IST