Nepal News: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की बोलने की स्टाइल, सरकार चलाने की स्टाइल को देश भर के कई नेता कॉपी करते हैं. उनकी लोकप्रियता देश के अलावा विदेशों में भी देखी जाती है. दुनिया के कई नेता उनसे प्रभावित रहते हैं. एक बार फिर नेपाल में मचे राजनीतिक भूचाल के बीच योगी आदित्यनाथ ने एंट्री ले ली है. नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए समर्थन दिखाने के मकसद से रैली का आयोजन किया गया. इस रैली में नेपाल के पूर्व राजा के समर्थकों के हाथ में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी नजर आई. जिसके बाद नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है. जानिए क्यों खड़ा हुआ विवाद.
सीएम माने जाते हैं समर्थक
रिपोर्ट के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ अपदस्थ राजशाही के समर्थक माने जाते हैं. वहीं राजशाही समर्थकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ नेपाल की हिंदू पहचान और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं. पोस्टर सामने आने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरें नहीं लहराते. यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है." वहीं, नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) ने इस घटना को सरकार की साजिश बताया, जिसका मकसद राजशाही समर्थकों को बदनाम करना है.
योगी आदित्यनाथ ने की थी आलोचना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का योगी आदित्यनाथ से संबंध जब 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा लोकतंत्र समर्थक दलों और राजा के बीच समझौता कराने के बाद ज्ञानेंद्र को नेपाल की सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. जिसके बाद पूरी दुनिया में इसकी चर्चा थी. तत्कालीन परिस्थितियों में सीएम की आलोचना करने वाले एक मात्र व्यक्ति योगी आदित्यनाथ थे. उस समय वो गोरखपुर से सांसद थे.
गोरखनाथ मठ से भी है कनेक्शन
नेपाल और गोरखनाथ का कनेक्शन काफी ज्यादा पुराना है. रिपोर्ट के मुताबिक गुरु गोरखनाथ को नेपाल में दिव्य संत के रूप में पूजा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने नेपाल के पहले शाह वंश के संस्थापक को अपना आशीर्वाद दिया था. गोरखनाथ मठ के महंतों ने नेपाल की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. महंत दिग्विजयनाथ ने नेपाल के राजा त्रिभुवन की सत्ता वापसी में मदद की थी. योगी आदित्यनाथ भी गोरखनाथ मठ के मौजूदा पीठाधीश्वर हैं. ऐसे में नेपाल में उनकी अलग छवि है और लोग उन्हें हिंदुत्व का प्रतीक मानते हैं.