हाइलाइट्स
टाटा ट्रस्ट ने सीओओ और सीएफओ जैसे पदों को खत्म कर दिया है. नोएल टाटा के ट्रस्ट का चेयरमैन बनने के बाद से बदलाव हो रहा है. 9 अक्टूबर को रतन टाटा के जाने के बाद नोएल को पद मिला था.
नई दिल्ली. दिवंगत रतन टाटा के जाने के बाद से टाटा समूह में काफी कुछ बदल रहा है. 11 अक्टूबर को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनने के बाद नोएल टाटा ने ट्रस्ट में कुछ पदों को खत्म करने की मंजूरी दे दी है. इससे पहले भी टाटा ट्रस्ट में कुछ बदलाव हुए थे. अब खबर आ रही है कि टाटा ट्रस्ट में दो बड़े पद मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) और मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) को समाप्त कर दिया है. अब ट्रस्ट में इन दोनों पदों पर किसी की नियुक्ति नहीं की जाएगी.
इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ट्रस्ट ने खर्चे कम करने के लिए यह कदम उठाया है. इसका मकसद ट्रस्ट में प्रबंधन के स्तर पर लगने वाली लागत को कम करना है. टाटा ट्रस्ट की टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है. इस लिहाज से देखा जाए तो ट्रस्ट ही टाटा समूह की कंपनियों पर वास्तविक नियंत्रण रखता है. 9 अक्टूबर को रतन टाटा के जाने के बाद 11 अक्टूबर को उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था.
क्यों खत्म कर दिए पद
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रस्ट में बदलाव की कवायद नोएल टाटा के चेयरमैन बनाए जाने से पहले ही शुरू हो गई थी, जब ट्रस्ट के बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी थी. नोएल टाटा के चेयरमैन पद पर आने के बाद से टाटा संस ट्रस्ट में संचरचनात्मक बदलाव चल रहा है. इसकी नई कड़ी में दो शीर्ष पदों को समाप्त किया गया, क्योंकि ट्रस्ट ने एक आंतरिक सर्वे और ऑडिट में पता किया कि स्टाफ पर होने वाला खर्चा बढ़कर 180 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि प्रोजेक्ट से जुडे़ अतिरिक्त खर्चे मिलाकर कर्मचारियों का बिल 400 करोड़ रुपये पहुंच जाता है. नया बदलाव इसी खर्चे में कटौती के लिए किया गया है.
पहले भी हुआ ट्रस्ट में बदलाव
लाइवमिंट ने पिछले सप्ताह रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में नियुक्त सदस्य अब स्थायी रहेंगे और उन्हें एक निश्चित समय तक के लिए नियुक्त करने की परंपरा को समाप्त किया जाता है. ये सदस्य जब तक खुद छोड़कर न जाना चाहें, अपने पद पर बने रहेंगे. नए सदस्य की नियुक्ति सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही होगी. ऐसे में देखा जाए तो नोएल के ट्रस्ट का चेयरमैन बनने के बाद से ही लगातार बदलाव देखा जा रहा है.
टाटा संस के नहीं बन सकते चेयरमैन
नोएल टाटा के टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाए जाने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि शायद अब उन्हें टाटा संस का चेयरमैन भी बनाया जाएगा. लेकिन, बाद में पता कि साल 2022 में ही रतन टाटा ने इस बारे में नियम बदल दिए थे. नए नियम के तहत नोएल को टाटा ट्रस्ट और टाटा संस दोनों का चेयरमैन पद एक साथ नहीं दिया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 29, 2024, 11:49 IST