Last Updated:October 27, 2025, 14:10 IST
Mehli vs Noel Tata : टाटा समूह का विवाद अब पूरी तरह सामने और दो फाड़ में स्पष्ट हो चुका है. टाटा संस ने भले ही मेहली की दोबारा ट्रस्ट में नियुक्ति का ऑफर दिया हो, लेकिन नोएल टाटा और श्रीनिवासन पूरी तरह इसका विरोध करने का मन बना चुके हैं.
मेहली मिस्त्री का कार्यकाल 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. नई दिल्ली. रतन टाटा को गए अभी सालभर भी नहीं हुए हैं और टाटा समूह को अपने 157 साल के इतिहास के सबसे बड़े विवाद का सामना करना पड़ रहा है. इन विवादों के बीच नरम दिल माने जा रहे नोएल टाटा भी पूरी सख्ती से अपने फैसले पर अड़े दिख रहे हैं. टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने पूरा मन बना लिया है कि मेहली मिस्त्री की ट्रस्टी के रूप में दोबारा नियुक्ति का समर्थन नहीं करेंगे. मेहली का मौजूदा कार्यकाल 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि टाटा का विवाद एक बार फिर कोर्ट की चौखट तक जा सकता है.
इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार, टाटा ट्रस्ट के तीनों शीर्ष अधिकारी आज अपने फैसले को लेकर आधिकारिक खुलासा कर सकते हैं. मेहली अभी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट, दोनों के ही ट्रस्टी हैं और अपने कार्यकाल को दोबारा बढ़वाने के लिए वोटिंग का सामना कर रहे हैं. साल 2022 से शुरू हुआ उनका कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है. इन दोनों ट्रस्ट का टाटा संस में 51 फीसदी हिस्सा है. इससे पहले टाटा ट्रस्ट के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा ने बीते शुक्रवार को ट्रस्टी डैरियस खंबाटा, प्रतित झावेरी और जहांगीर एचसी जहांगीर की अपील पर मेहली की दोबारा नियुक्ति का प्रस्ताव दिया था.
क्यों शुरू हुआ सारा विवाद
टाटा समूह का यह सारा विवाद नोएल टाटा और टाटा संस के कुछ निदेशकों (श्रीनिवासन और सिंह) की ओर से मिस्त्री का विरोध करने पर शुरू हुआ. मिस्त्री ने श्रीनिवासन की दोबारा नियुक्ति को पिछले सप्ताह ही सशर्त मंजूरी दी थी. उन्होंने कहा था कि उनकी मंजूरी को खुद की नियुक्ति के बाद ही पूरी तरह लागू माना जाएगा. हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रस्ट के आंतरिक कानूनी दस्तावेज ऐसी किसी भी स्थिति की अनुमति नहीं देती है. अगर इसमें व्यक्तिगत हित जुड़ा होगा तो इस तरह की सशर्त मंजूरी पूरी तरह अवैध मानी जाएगी.
क्या कहता है ट्रस्ट का कानून
कंपनी एक्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट डीड 1932 के तहत कोई भी फैसला ट्रस्टियों की मेज्योरिटी पर ही लिया जा सकेगा. हालांकि, इस मानक को विजय सिंह की टाटा संस के बोर्ड में नियुक्ति के समय तोड़ दिया गया था. वैसे तो मिस्त्री कंपनी के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के करीबी थे, लेकिन टाटा समूह में पहले भी मिस्त्री परिवार के साथ लंबा कानूनी विवाद हो चुका है. शापूरजी पैलोनजी समूह टाटा समूह का बड़ा पार्टनर रहा है, जिसकी वजह से ही इस समूह के मालिकों को टाटा संस में बड़ा पद मिलता रहा है.
बात नहीं बनी तो क्या होगा….
मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर मेहली मिस्त्री की नियुक्ति 28 अक्टूबर के बाद दोबारा नहीं होती है तो वे अपने चचेरे भाई दिवंगत साइरस मिस्त्री की तरह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. साल 2016 में साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच ऐसे ही पद को लेकर लंबा विवाद चला था, जो सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचा था. हालांकि, तक साइरस को मात खानी पड़ी थी और अब नोएल टाटा को भी यही उम्मीद है कि वे मेहली के खिलाफ भी ऐसी ही जीत हासिल कर सकते हैं.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 27, 2025, 14:10 IST

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