Last Updated:October 27, 2025, 16:12 IST
Tariff Effect on Businesses : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर शुरू किए जाने के बाद देश में कारोबारी भरोसे में भी कमी आई है. सरकारी एजेंसी के हालिया सर्वे में पता चला है कि छोटी कंपनियों के मुकाबले बड़ी कंपनियों का कारोबारी भरोसा ज्यादा घटा है.
टैरिफ की वजह से कारोबारी भरोसा भी कमजोर हुआ है.नई दिल्ली. देश में कारोबारियों का भरोसा 9 महीने में पहली बार कमजोर दिख रहा है. सरकारी एजेंसी की ओर से कराए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि ट्रंप के टैरिफ वॉर शुरू करने के बाद देश के कारोबारियों के भरोसे में कमी आई है. खासकर बड़ी कंपनियों को इससे ज्यादा चिंता हो रही. उनका मानना है कि टैरिफ की वजह से निवेश का माहौल तो खराब होगा ही उनके उत्पादों पर भी पहले की तरह अच्छा मार्जिन नहीं मिल सकेगा.
राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने सोमवार को जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा कि देश में कारोबारी धारणा लगातार तीन तिमाहियों तक बेहतर होने के बाद चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही में कमजोर पड़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कारोबारी धारणा कुछ कमजोर पड़ी है. इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ को माना जाता है.
क्या निकला सर्वे रिपोर्ट में
आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया कि लगातार तीन तिमाहियों तक सुधार दर्ज करने के बाद यह गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त सीमा शुल्क का नतीजा है. एनसीएईआर ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में कारोबारी विश्वास सूचकांक (बीसीआई) घटकर 142.6 पर आ गया, जो अप्रैल-जून तिमाही में 149.4 था. हालांकि, यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 134.3 अंक की तुलना में बेहतर है.
4 फैक्टर पर आधारित है रिपोर्ट
इस रिपोर्ट का सूचकांक चार फैक्टर पर आधारित है. पहला इसमें अगले छह महीनों में आर्थिक स्थिति का अनुमान, दूसरा कंपनियों की वित्तीय स्थिति, तीसरा निवेश माहौल और उत्पादन क्षमता के उपयोग स्तर पर आधारित है. इन तीनों फैक्टर पर कारोबारी धारणा दूसरी तिमाही के दौरान कमजोर रही, जबकि चौथे फैक्टर उत्पादन क्षमता के उपयोग में सुधार दिखा है. इस रिपोर्ट को सितंबर में देश के 6 प्रमुख शहरों की 484 कंपनियों से मिले जवाबों पर तैयार किया गया है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एनसीएईआर की प्रोफेसर बर्नाली भंडारी के अनुसार, वृहद-आर्थिक स्तर पर कारोबारी धारणाएं अधिक प्रभावित हुईं जबकि सूक्ष्म स्तर पर प्रभाव मिला-जुला रहा. सर्वे में यह भी पाया गया कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए सूचकांक थोड़ा बढ़ा है. यह पहली तिमाही के 137 से बढ़कर दूसरी तिमाही में 138 हो गया. बड़ी कंपनियों के मामले में यह सूचकांक सितंबर तिमाही में घटकर 149.9 पर आ गया जबकि जून तिमाही में यह 171.6 था.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 27, 2025, 16:12 IST

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