Last Updated:October 27, 2025, 17:39 IST
Sebi New Rule for Companies : बाजार नियामक सेबी ने कर्ज लेने वाली कंपनियों के लिए नया नियम बनाया है. अब 1 हजार करोड़ के बजाय 5 हजार करोड़ का कर्ज लेने पर ही इन कंपनियों को निगरानी सूची में डाला जाएगा.
बाजार नियामक सेबी ने कंपनियों के कर्ज को लेकर नया प्रावधान बनाया है. नई दिल्ली. बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अधिक कर्ज में डूबी कंपनियों के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए नई रूपरेखा का प्रस्ताव दिया है. सेबी ने अपने परामर्श पत्र में कहा कि इसके तहत अब किसी कंपनी पर एक हजार करोड़ रुपये के बजाय 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज होने पर उच्च मूल्य कर्ज वाली सूचीबद्ध इकाइयों (एचवीडीएलई) में शामिल करने का प्रस्ताव है.
इसमें कहा गया कि इस कदम से एचवीडीएलई के रूप में वर्गीकृत इकाइयों की संख्या वर्तमान के 137 से 64 प्रतिशत घटकर 48 रह जाएगी. प्रस्ताव का उद्देश्य अनुपालन बोझ को कम करना तथा कारोबार सुगमता को बढ़ावा देना है. एचवीडीएलई के लिए कॉरपोरेट प्रशासन मानदंड पहली बार सितंबर, 2021 से 31 मार्च, 2025 तक अनुपालन-या-स्पष्टीकरण के आधार पर पेश किए गए थे. अप्रैल, 2025 से यह अनिवार्य हो हो चुके हैं. यह मानदंड 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक की सूचीबद्ध बकाया गैर-परिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियों वाली सभी इकाइयों पर लागू होते हैं.
क्या होगा इस नियम का फायदा
इन नियमों के लागू होने के बाद कई बाजार सहभागियों ने वर्गीकरण के लिए उच्च सीमा बढ़ाने के लिए सेबी से संपर्क किया. एक बार एचवीडीएलई के रूप में नामित होने के बाद किसी कंपनी को सूचीबद्ध कंपनियों के समान कामकाज के मानकों का पालन करना पड़ता है जिसमें तिमाही रिपोर्ट एवं वार्षिक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करना और निदेशक मंडल की संरचना मानदंडों का पालन करना शामिल है.
अब खुलासा करने की जरूरत नहीं
सेबी ने आवधिक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित 21-दिवसीय समयसीमा को अधिक लचीले प्रावधान से बदलने का भी सुझाव दिया है जिससे बोर्ड को आवश्यकतानुसार समयसीमा निर्धारित करने की अनुमति मिल सके. इसने एचवीडीएलई के लिए अपने आवधिक अनुपालन रिपोर्ट के साथ संबंधित पक्ष लेनदेन (आरपीटी) का खुलासा करने की आवश्यकता को हटाने का भी प्रस्ताव रखा है.
लेखा परीक्षकों के लिए भी नए नियम
नियामक ने एचवीडीएलई के सचिवीय लेखा परीक्षकों की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति, उन्हें पद से हटाने और अयोग्यता के लिए प्रावधान लाने का भी सुझाव दिया है. संबंधित पक्ष लेनदेन के संबंध में सेबी ने ऋणपत्र न्यासियों और ऋणपत्र धारकों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की आवश्यकता को बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इन प्रस्तावों पर 17 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 27, 2025, 17:39 IST

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