Last Updated:March 20, 2025, 15:08 IST
Tawaif Love Story: पटना में एक तवायफ थी ज़िया अज़ीमाबादी. उसकी प्रेम कहानी आज भी चर्चा में रहती है. उसने अपने प्रेमी के लिए खुद की जान दे दी. उसकी सच्ची कहानी प्रेम में समर्पण की एक मार्मिक मिसाल है.

हाइलाइट्स
जिया अजीमाबादी ने प्रेमी के लिए जान दीजिया और मिर्ज़ा की प्रेम कहानी आज भी मशहूरजिया ने गंगा किनारे ज़हर पीकर जान दीये 19वीं और 20वीं सदी के बीच की बात है. पटना में एक खूबसूरत तवायफ थी. नाम था जिया अजीमाबादी. जिसकी सुंदरता और कला की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी. ज़िया का जन्म साधारण परिवार में हुआ. हालात ने तवायफ बनने के लिए मजबूर किया. मां भी तवायफ थीं, जिसने ज़िया को नृत्य, संगीत और शायरी की बारीकियां सिखाईं. ज़िया की महफिलें पटना के नवाबों, ज़मींदारों और अंग्रेज अफसरों के बीच मशहूर थीं. एक जमींदार के बेटे से उसको ऐसा प्यार हुआ कि उसके जान कुर्बान कर दी.
तवायफों की परंपरा भारत में खास तौर पर 18वीं और 19वीं सदी में अपने चरम पर थी. खासकर मुगल शासन के पतन और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान. पटना तब बिहार का एक प्रमुख सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र था. वहां तब तवायफों की परंपरा भी समृद्ध थी. यहां नवाबों, ज़मींदारों और अंग्रेज अफसरों की मौजूदगी ने तवायफों की महफिलों को बढ़ावा दिया.
जिया अजीमाबादी का दौर 1850 से 1870 के बीच का है. उस दौर में तवायफें केवल नाचने-गाने वाली नहीं थीं, बल्कि उनकी शायरी, अदब और आकर्षण उन्हें समाज के उच्च वर्ग में सम्मानित स्थान दिलाते थे. अजीमाबादी की जिंदगी में प्रेम तब आया, जब उसकी मुलाक़ात एक युवा शायर और ज़मींदार के बेटे, मिर्ज़ा हसन से हुई.
प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Leonardo AI)
आंखें गहरी और नशीली
अजीमाबादी की जिंदगी में आये युवक की चर्चा कुछ आगे करते हैं. पहले ये जानते हैं कि पटना में जिया अजीमाबादी का किस कदर प्रभाव था. ज़िया अज़ीमाबादी को पटना की सबसे खूबसूरत तवायफों में एक माना जाता था. आंखें गहरी, नशीली और रहस्यमयी. चाल किसी नृत्य की लय सी. एक बार जो आंख मिला लेता, वो उसकी यादों में खो जाता. त्वचा चांदनी की तरह चमकती. लंबे काले बाल नदी की लहरों की तरह लहराते. मुस्कान में एक अजीब सा दर्द और मिठास. आवाज़ में मिठास और गहराई. जब वह ग़ज़ल गातीं, तो सुनने वाले सुध-बुध खो बैठते.
हर कोई दीवाना
जिया के पहनावे की भी खूब चर्चा थी. वो ज़री की साड़ियाँ और भारी जेवर पहनती थीं. हालांकि सादगी उसकी सुंदरता को और बढ़ाती थी. कहा जाता है कि उनकी खूबसूरती केवल चेहरे तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनके व्यक्तित्व में एक ऐसी कशिश थी जो नवाबों से लेकर साधारण शायरों तक को उनका दीवाना बना देती थी.
अंग्रेज अफसर ने तारीफ में क्या लिखा
ज़िया के कद्रदानों में उस दौर के कई बड़े नाम शामिल थे. कहा जाता है कि पटना के एक प्रभावशाली नवाब, नवाब ज़फर अली, ज़िया के सबसे बड़े कद्रदान थे. वो उसकी हर महफिल में शिरकत करते.एक अंग्रेज अफसर, कैप्टन जॉनसन, ने कथित तौर पर ज़िया की तारीफ में लिखा कि उसकी आवाज़ में “पूर्व और पश्चिम का मेल” है.
प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Meta AI)
और मिर्जा से कैसे लड़ीं जिया की आंखें
तो अब बात जिया के प्यार और उसके आशिक की. मिर्जा हसन एक जमींदार परिवार का वारिस था. वह पटना के पास एक छोटे से गाँव के ज़मींदार परिवार से था. शायरी का शौकीन. एक शाम, जब ज़िया मधुर आवाज़ में ग़ज़ल गा रही थीं, तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी सी लगे, जैसे चांद बिना रातें हैं सूनी”, तभी मिर्ज़ा की नज़रें उन पर ठहर गईं. महफिल खत्म होने के बाद मिर्ज़ा ने ज़िया से बात करने की कोशिश की. बस उसी दिन से ज़िया और मिर्जा का एक अनकहा रिश्ता बन गया.
पनपने लगा प्यार
दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं. मिर्ज़ा अक्सर ज़िया की महफिलों में आने लगा. कभी-कभी गंगा के किनारे, चांदनी रातों में, दोनों लंबी बातें करते. दोनों के बीच प्यार पनपने लगा, हालांकि प्यार की ये डगर आसान नहीं. ज़िया तवायफ थीं मिर्ज़ा एक ज़मींदार का बेटा. समाज की नज़रों में यह रिश्ता नामुमकिन था.
प्रतीकात्मक तस्वीर (image generated by Meta AI)
गुपचुप शादी का फैसला
एक दिन मिर्ज़ा ने ज़िया से अपने दिल की बात कह दी,”ज़िया मेरे साथ मेरे गाँव चलो, हम एक नई ज़िंदगी शुरू करेंगे.” दोनों ने गुपचुप तरीके से शादी करने का फैसला किया. ये खबर मिर्ज़ा के परिवार तक पहुंच गई. पिता ने सख्त नाराज़गी जताई. मिर्ज़ा को घर में नज़रबंद कर दिया. ज़िया को धमकी दी गई कि अगर वो मिर्ज़ा से मिलने की कोशिश करेंगी, तो उसकी जान को खतरा होगा.
फिर जिंदगी में आया ये टर्न
ज़िया टूट गईं. वह हर रात गंगा के किनारे बैठकर मिर्ज़ा के लिए ग़ज़लें गातीं. उधर, मिर्ज़ा अपने परिवार के दबाव में थे. उनके पिता ने उनकी शादी एक अमीर परिवार की लड़की से तय कर दी. मिर्ज़ा ने बहुत विरोध किया. लेकिन शादी करनी पड़ी. शादी के दिन, मिर्ज़ा ने ज़िया के लिए एक खत लिखा, जिसमें बेबसी बयां की.
फिर यूं दी जान
खत ज़िया तक पहुंचा. पढ़ते ही आंखों से आंसुओं की बाढ़ आ गई. वह समझ गईं कि उसका प्यार अधूरा रह जाएगा. उसने फैसला किया कि वो मिर्ज़ा के लिए अपनी जान दे देगी. ताकि उनका प्यार अमर हो जाए. एक रात, गंगा के किनारे, ज़िया ने ज़हर पी लिया. कहा जाता है कि मरने से पहले उसने एक ग़ज़ल लिखी, “मोहब्बत की राहों में कांटे बिछे हैं, फिर भी ये दिल हर कदम पर तुझे ढूंढता है.”
मिर्ज़ा को ज़िया की मौत की खबर मिली, वह टूट गए. शादी के बंधन में बंधने के बाद भी कभी खुश नहीं रहे. अक्सर गंगा के किनारे आते. ज़िया की याद में शायरी लिखते. ज़िया और मिर्ज़ा की यह प्रेम कहानी पटना में आज भी कही सुनी जाती है.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 20, 2025, 15:08 IST
पटना की वो खूबसूरत तवायफ, जिसने प्रेमी के लिए दी खुद की जान, खा लिया जहर