पटना हाईकोर्ट का फैसला बनेगा नजीर! पति को टॉर्चर करने वाली पत्नी पर सख्त आदेश

1 week ago

Last Updated:August 10, 2025, 12:13 IST

Patna Highcourt Decision: कई बार अदालतें ऐसे फैसले देती हैं जो आने वाले समय के लिए नजीर बन जाती हैं. ऐसा ही एक फैसला पटना हाईकोर्ट ने सुनाया है. दूसरे पुरुष से अवैध संबंध रखने वाली और पति को प्रताड़ित करने वाली...और पढ़ें

पटना हाईकोर्ट का फैसला बनेगा नजीर! पति को टॉर्चर करने वाली पत्नी पर सख्त आदेशप्रतीकात्मक तस्वीर

पटना. पत्नी पर अवैध संबंध, पति की मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना करने और आत्महत्या की कोशिश के गंभीर आरोप सिद्ध पाए गए. ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने पत्नी को 3 महीने में पति को 50 हजार रुपये देने का भी निर्देश दिया है. कहा जा रहा है कि पटना हाईकोर्ट का यह आदेश एक नजीर बनकर सामने आया है. दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कुमारी संगीता राय उर्फ संगीता देवी नाम की महिला की अपील को खारिज करते हुए उनके पति राजीव रंजन उर्फ बबलू को तलाक की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही पत्नी पर पति को बेवजह परेशान करने का आरोप लगाते हुए उन्हें मुआवजा देने का भी आदेश दिया है. न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी और शशि भूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने 31 अक्टूबर 2018 के परिवार न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा जिसमें संगीता देवी पर पति राजीव रंजन को मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना, अवैध संबंध और छोड़ देने (परित्याग) के आरोपों को सही पाया गया था. पटना उच्च न्यायालय ने संगीता को पति को बेवजह मुकदमेबाजी के लिए तीन महीने के भीतर 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया है. कानून के जानकार पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को आने वाले समय में अन्य मुकदमों के लिहाज से एक उदाहरण बताया है.

वैवाहिक रिश्ते में टूटन की शुरुआत

बताया जाता है कि संगीता और राजीव की शादी 21 जून 1996 को हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी. शादी के कुछ ही दिन बाद संगीता ससुराल छोड़कर मायके चली गईं. गौना के बाद वे चार महीने ससुराल में रहीं, लेकिन इस दौरान विनोद सिंह नामक व्यक्ति का उनके जीवन में प्रवेश हुआ. गवाहों ने बताया कि विनोद कई बार ससुराल आया और दोनों (संगीता और विनोद) बिना पति (राजीव रंजन) की अनुमति के फिल्म देखने गए. पति की आपत्ति पर संगीता देवी ने धमकी दी जिससे वैवाहिक रिश्ते में दरार गहरी हो गई.

आत्महत्या की कोशिश, पति की तड़प

इस बीच वर्ष 2000 में संगीता देवी ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन उनके व्यवहार में सुधार नहीं आया. 3 जून 2005 को संगीता ने अपने ऊपर, बेटे और बेटी वीना वादिनी पर केरोसिन डालकर आत्महत्या की कोशिश की. इस घटना में बेटी गंभीर रूप से झुलस गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस मामले में नया मोड़ तब आ गया जब बेटे ने कोर्ट में गवाही दी कि मां ने खुद ही आग लगाई थी और वह अपने पिता और दादी के साथ रहना चाहता है. इस घटना ने मामले को और गंभीर बना दिया.

अवैध संबंध और झूठे मुकदमों का आरोप

इसके बाद पति ने दावा किया कि संगीता ने लिखित रूप से विनोद सिंह के साथ अवैध संबंध की बात स्वीकारी है. इसके बाद संगीता के मायके वालों ने पति (राजीव) पर हमला किया और दहेज प्रताड़ना का झूठा मुकदमा (दिघा थाना, केस नंबर 216/2006) दर्ज करा दिया. 2008 में संगीता ने एक और केस (केस नंबर 180/2008) दर्ज किया जो जांच में असत्य पाया गया. राजीव रंजन ने कहा कि संगीता ने लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जो तलाक का आधार बनी.

परिवार न्यायालय का कानूनी आधार

इसके बाद राजीव रंजन ने 2009 में परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी दायर की. कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहों की गवाही के आधार पर पाया कि संगीता का व्यवहार क्रूरता और परित्याग का सबूत है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1) के तहत क्रूरता और परित्याग तलाक के वैध आधार हैं. 2006 से दोनों अलग रह रहे थे और संगीता ने संबंध सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया. इसी बीच परिवार न्यायालय ने तलाक को मंजूरी दी.

पटना हाईकोर्ट का बेहद सख्त रुख

हालांकि, संगीता देवी ने परिवार न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने माना कि साक्ष्य स्पष्ट रूप से संगीता की क्रूरता और अवैध संबंधों को साबित करते हैं. आत्महत्या की कोशिश और बेटी की मौत ने उनके व्यवहार की गंभीरता को उजागर किया. कोर्ट ने संगीता को पति को 50 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया, क्योंकि उनकी अपील ने बेवजह मुकदमेबाजी को बढ़ाया.

सामाजिक प्रभाव और मामले में सबक

यह मामला वैवाहिक रिश्तों में विश्वास, जवाबदेही और पारस्परिक सम्मान के महत्व को बताता है. समाज में तलाक के मामलों में क्रूरता और अवैध संबंध जैसे मुद्दे अक्सर चर्चा में रहते हैं. यह फैसला उन लोगों के लिए मिसाल बन सकता है जो झूठे मुकदमों के जरिए दूसरों को प्रताड़ित करते हैं. साथ ही, यह बच्चों पर माता-पिता के व्यवहार के गहरे प्रभाव को भी जाहिर करता है. कोर्ट का सख्त रुख यह संदेश देता है कि कानून गलत व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

August 10, 2025, 12:13 IST

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