Last Updated:July 31, 2025, 04:46 IST
Munshi Premchand Birth Anniversary: मुंशी प्रेमचंद, जिन्हें 'उपन्यास सम्राट' कहा जाता है, ने हिंदी साहित्य को यथार्थवादी रंगों से जीवंत किया. उनकी दूसरी शादी शिवरानी देवी से हुई, जिसने उनके जीवन और लेखनी को स्थ...और पढ़ें

हाइलाइट्स
मुंशी प्रेमचंद को देश में 'उपन्यास सम्राट' भी कहा जाता हैउन्होंने हिंदी साहित्य को यथार्थवादी रंगों से जीवंत किया.दूसरी शादी शिवरानी देवी से हुई, जिसने उनके जीवन और लेखनी को स्थिरता दी.नई दिल्ली. मुंशी प्रेमचंद को ‘उपन्यास सम्राट’ और ‘कलम का जादूगर’ कहा जाता है. उन्होंने हिंदी साहित्य को यथार्थवादी रंगों से जीवंत किया. 31 जुलाई 1880 यानी आज ही के दिन वाराणसी के लमही में उनका जन्म हुआ था. उनका जीवन संघर्षों से भरा था. सात साल की उम्र में मां और 15 साल की उम्र में पिता को खो चुके प्रेमचंद की सौतेली मां ने उनकी शादी ऐसी लड़की से करा दी, जिसे वह पसंद नहीं करते थे. प्रेमचंद ने स्वयं लिखा कि यह शादी उनके पिता की गलती थी, जिसने उन्हें “डुबो दिया.” उनका कहना था कि उनकी पहली पत्नी बदसूरत और झगड़ालू थी. वो इस महिला से तंग आ गए थे.
बाल विधवा शिवरानी देवी से की दूसरी शादी
यह विवाह जल्द ही टूट गया. साल 1906 में प्रेमचंद ने बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरी शादी की, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुई. यह विवाह उनके आदर्शों के अनुरूप था और इससे उनकी जिंदगी में स्थिरता आई. इस सुखद वैवाहिक जीवन ने उनकी रचनात्मकता को नई उड़ान दी. स्कूल में डिप्टी इंस्पेक्टर बनने के बाद उन्होंने 1908 में ‘सोजे वतन’ कहानी संग्रह प्रकाशित किया, जिसे अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया. फिर 1918 में ‘सेवासदन’ ने उन्हें हिंदी साहित्य में स्थापित किया, और 1918-1936 का कालखंड ‘प्रेमचंद युग’ कहलाया.
प्रेम-विवाह ने दी भावनात्मक स्थिरता
प्रेमचंद की रचनाएं, जैसे ‘गोदान’, ‘कफन’, ‘पूस की रात’, और ‘पंच परमेश्वर’, सामाजिक कुरीतियों और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती हैं. उनकी दूसरी शादी ने उन्हें वह भावनात्मक स्थिरता दी, जिसने उनके साहित्य को गहराई प्रदान की. शिवरानी देवी के साथ उनके रिश्ते ने न केवल उनके निजी जीवन को संवारा, बल्कि उनकी लेखनी को भी समृद्ध किया.
300 से ज्यादा कहानियां लिखी
प्रेमचंद ने हिंदी और उर्दू में 18 से अधिक उपन्यास और 300 से ज्यादा कहानियां लिखीं, जो आज भी प्रासंगिक हैं.1936 में पेचिश रोग के कारण उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी कृतियां हिंदी साहित्य में अमर हैं. उनकी शादी की कहानी यह सिखाती है कि सही जीवनसाथी जीवन और सृजन को नई दिशा दे सकता है. प्रेमचंद की लेखनी आज भी लेखकों को प्रेरित करती है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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