पाकिस्‍तान को तबाह करने वाला एलएमएस ड्रोन क्‍या है, ये कैसे करता है काम?

16 hours ago

Last Updated:May 07, 2025, 09:11 IST

Operation Sindoor, India Pak War, LMS drone: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. इसमें एलएमएस ड्रोन का उपयोग हुआ, जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. इस हमले में कई आतंकी मारे ग...और पढ़ें

पाकिस्‍तान को तबाह करने वाला एलएमएस ड्रोन क्‍या है, ये कैसे करता है काम?

LMS Drone, Operation Sindoor, indian army, india pakistan news: ऑपरेशन सिंदूर में एलएमएस ड्रोन का इस्‍तेमाल किया गया.

हाइलाइट्स

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में एयर स्ट्राइक की.एलएमएस ड्रोन को डीआरडीओ ने विकसित किया है.एलएमएस ड्रोन को 'सुसाइड ड्रोन' भी कहा जाता है.

Operation Sindoor, India Pak War, LMS drone: भारत ने पाकिस्‍तान के कई आतंकी ठिकानों पर एयर स्‍ट्राइक किया. इसमें भारतीय सेनाओं ने पाकिस्‍तान के 4 और पीओके के 5 ठिकानों को टारगेट किया. जिसमें कई आतंकी मारे गए. भारत के इस हमले को पिछले दिनों पहलगाम हमले के बदले की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है. इसे ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया गया है. इस ऑपरेशन में सेना के तीनों अंगो यानि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी ने मिलकर अंजाम दिया है. ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने में एक एलएमएस ड्रोन का इस्‍तेमाल किया गया. इसे आत्‍मघाती या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है, जो छिपकर अपने टारगेट को तबाह कर सकता है. आइए आपको बताते हैं कि एलएमएस ड्रोन क्‍या है?

एलएमएस ड्रोन (LMS Drone) का मतलब है लो-कॉस्ट मिनिएचर स्वार्म ड्रोन (LowCost Miniature Swarm Drone) या लोइटेरिंग म्युनिशन सिस्टम (Loitering Munition System). यह एक प्रकार का हथियारबंद ड्रोन है. इसे भारत ने हाल के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया. यह ड्रोन अपनी बेहतरीन तकनीक और क्षमताओं के लिए जाना जाता है.

LMS drone: इसे कहते हैं ‘सुसाइड ड्रोन’
एलएमएस ड्रोन हवा में लंबे समय तक मंडरा (loiter) सकते हैं. ये ड्रोन अपने टारगेट की तलाश कर सकते हैं और एक बार टारगेट मिलने पर विस्फोटक के साथ दिए गए टारगेट पर खुद को क्रैश कर देते हैं. इसीलिए इसे ‘सुसाइड ड्रोन’ भी कहा जाता है. यह ड्रोन आतंकी ठिकाने, हथियार डिपो, रडार सिस्टम, या अन्य लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है.

कैसे करते हैं काम?
ये ड्रोन झुंड (स्‍वार्म) में काम करते हैं, जहां कई ड्रोन एक साथ मिलकर हमला करते हैं. स्वार्म तकनीक दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणालियों को भेदने में भी कारगर है. ये ड्रोन एक साथ कई एंगल से टारगेट पर हमला कर सकते हैं, जिससे रडार एंटेना, हथियार प्रणाली, या कमांड सेंटर जैसे महत्वपूर्ण टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है.

DRDO ने किया है विकसित
इस ड्रोन को भारत ने डीआरडीओ (DRDO) और निजी कंपनियों जैसे न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के सहयोग से विकसित किया है. इनकी लागत पारंपरिक मिसाइलों (जैसे हार्पून मिसाइल, जिसका वॉरहेड 488 पाउंड का होता है) की तुलना में बहुत कम है.इस ड्रोन में हाई रिजॉल्‍यूशन के कैमरे, थर्मल इमेजिंग, और जीपीएस-आधारित नेविगेशन सिस्टम होते हैं. कुछ मॉडल्स में एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग होता है, जो निर्णय लेने में मदद करता है.ये ड्रोन खुफिया जानकारी एकत्र करने, टारगेट को ट्रैक करने और सटीक हमले करने में सक्षम हैं. ऑपरेशन सिंदूर में एनटीआरओ (नेशनल टेक्निक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने इन ड्रोन को आतंकियों को ट्रैक करने के लिए डेटा दिया.कुछ ड्रोन की स्‍पीड 50 मील प्रति घंटे की तक सीमित है.

छोटी साइज के होते हैं ये ड्रोन
LMS या आत्मघाती ड्रोन का उपयोग सबसे पहले 1980 में विस्फोटक ले जाने के लिए किया गया था.इनका इस्‍तेमाल सप्रेशन ऑफ एनिमी एयर डिफेंस (SEAD) के तौर पर किया गया.1990 के दशक में कई आर्मी ने इन आत्मघाती ड्रोन को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. 2000 की दशक के शुरुआत में इन आत्मघाती ड्रोन का उपयोग काफी बढ़ गया.अब ये ड्रोन लंबी दूरी के हमलों में भी उपयोग में लाए जा रहे हैं.इन ड्रोन की साइज इतनी कम होती है कि इन्हें आसानी से कही भी सेट किया जा सकता है.

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