Holi In Pakistan, Holi 2025: पाकिस्तान के हिंदू अधिकार संगठन ने सरकार से मंगलवार को आग्रह किया कि वह पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर स्थित प्राचीन प्रह्लादपुरी मंदिर में हिंदुओं के होली और अन्य त्योहार मनाने के लिए पूर्ण सुरक्षा और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें. प्रह्लादपुरी मंदिर हिंदू देवता नरसिंह को समर्पित है.
अखिल पाकिस्तान हिंदू अधिकार आंदोलन की मांग
लोककथाओं के अनुसार, इसी मंदिर से होली के त्योहार की शुरुआत हुई थी, हालांकि वर्तमान समय में मंदिर जर्जर हालत में है. अखिल पाकिस्तान हिंदू अधिकार आंदोलन के अध्यक्ष हारून सरब दियाल ने एक बयान में सरकार से आग्रह किया कि वह मंदिर में 14 से 16 मार्च तक होली और अन्य त्योहार मनाने के वास्ते पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए पूर्ण सुरक्षा और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें.
पाकिस्तान में क्या मिलती है होली की छुट्टी?
पाकिस्तान के हिंदू खतरों की संभावनाओं के बीच त्योहार मनाते हैं. कहीं खुलकर तो कहीं छिपकर होली मनाई जाती है. पहले कुछ यूनिवर्सिटी में छात्रों को छूट थी लेकिन 2024 में कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे. पाकिस्तान में लगभग 2 फीसदी आबादी हिन्दुओं की है जिसमें में अधिकतर सिंध प्रांत में रहते हैं. पहले होली के दिन अवकाश नहीं होता था लेकिन लंबे समय तक होली पर अवकाश की मांग के बाद सरकार ने होली की छुट्टी पर मुहर लगा दी है. साल 2016 में पाकिस्तानी सरकार ने केवल वहीं पर होली की छुट्टी को मान्य किया था, जहां अधिकतर हिंदू आबादी रहती है.
टाइमएंडडेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक होली गजटेड हॉलीडे नहीं बल्कि ऑप्शनल हॉलीडे यानी एक वैकल्पिक अवकाश है. पाकिस्तान में रोजगार और अवकाश कानून कर्मचारियों को वैकल्पिक छुट्टियों की सूची में से सीमित संख्या में छुट्टियां चुनने की अनुमति देते हैं. कुछ कर्मचारी इस दिन छुट्टी लेना चुन सकते हैं, हालांकि, अधिकांश कार्यालय और व्यवसाय खुले रहते हैं.
क्या ये सुरक्षा की मांग होगी पूरी?
उन्होंने अधिकारियों से दक्षिणी पंजाब में स्थानीय हिंदू समुदाय के साथ मिलकर उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करने का भी आग्रह किया.
दियाल ने कहा, ‘यदि पूर्ण सुरक्षा की हमारी मांग पूरी नहीं की गई, तो हम अपने संवैधानिक और नैतिक अधिकारों का उपयोग करते हुए हर उपलब्ध मंच पर अपनी आवाज उठाने के लिए बाध्य होंगे.’
उन्होंने पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे व्यवहार पर निराशा जाहिर करते हुए कहा, ‘पाकिस्तानी हिंदू होने के नाते हमें पूजा करने और अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को मनाने के संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.’
दियाल ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘हमारे प्राचीन मंदिरों को उपेक्षित और परित्यक्त देखना निराशाजनक है. इसके अलावा हमें अपने पूजा स्थलों में प्रवेश के लिए भी अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है.’ (भाषा)