पिता की छूटी नौकरी, बेटी ने लगाया Momos का ठेला, अब यहां से कर रही एमबीबीएस

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Last Updated:December 28, 2025, 14:50 IST

NEET Success Story: नीट परीक्षा सिर्फ भारत की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. मूल रूप से बिहार की रहने वाली ब्यूटी झा ने मोमोज का ठेला लगाते हुए नीट परीक्षा पास की. अब वह देश के नामी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं.

पिता की छूटी नौकरी, बेटी ने लगाया Momos का ठेला, अब यहां से कर रही एमबीबीएसNEET Success Story:: ब्यूटी झा ने जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है

नई दिल्ली (NEET Success Story). सपनों की कोई सीमा नहीं होती और न ही गरीबी किसी के हौसलों को कैद कर सकती है. दिल्ली की सड़कों पर मोमोज बेचने वाली एक लड़की ने इस बात को सच कर दिखाया है. ब्यूटी झा दिल्ली में छोटे से ठेले पर लोगों को मोमोज परोसती थीं. अब 2028 में वह एमबीबीएस डॉक्टर बनने वाली हैं. मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली ब्यूटी झा की नीट सक्सेस स्टोरी केवल एक परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि अभावों के बीच अटूट विश्वास और कड़ी मेहनत की जीत की दास्तान है.

ब्यूटी झा का सफर कांटों भरा रहा है. पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा था. परिवार का सहारा बनने के लिए ब्यूटी ने मां के साथ मोमोज बेचना शुरू किया. सुबह किताबें और शाम को मोमोज का ठेला- यही उनकी दिनचर्या थी. लेकिन ब्यूटी झा की आंखों में एक सपना था, सफेद कोट पहनने और स्टेथेस्कोप गले में लटकाने का. MBBS में एडमिशन ने न केवल उनके परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए मिसाल भी पेश की है, जो संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं.

मोमोज से मेडिसिन तक: ब्यूटी झा के संघर्ष की गाथा

ब्यूटी झा की सफलता उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो मानते हैं कि केवल बड़े कोचिंग संस्थानों और सुख-सुविधाओं के बीच ही नीट जैसी परीक्षा पास की जा सकती है.

मधुबनी से दिल्ली का कठिन सफर

ब्यूटी झा के पिता बिहार के मधुबनी से दिल्ली बेहतर भविष्य की तलाश में आए थे. उस समय ब्यूटी की उम्र सिर्फ 6 साल थी. उनके पिता कभी फैक्ट्री में काम करते थे तो कभी घरों में माली का. फिर 2020 में उनकी नौकरी जाने के बाद परिवार पर संकट टूट पड़ा. तब ब्यूटी झा और उनकी मां ने घर की जिम्मेदारी संभाली. दोनों ने एक ठेला लगाकर मोमोज बेचे. वह ठेले पर खाली समय मिलने पर अपनी किताबें खोल लेती थीं और शोर-शराबे के बीच भी एकाग्रता से पढ़ाई करती थीं.

दिन में दुकान, रात में पढ़ाई

ब्यूटी झा की दिनचर्या बहुत थका देने वाली थी. दोपहर से लेकर देर रात तक वह मोमोज के स्टॉल पर खड़ी रहती थीं. दुकान बंद करने के बाद जब दुनिया सोती थी, तब ब्यूटी झा अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू करती थीं. उनके पास महंगे स्टडी मटीरियल के लिए पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब का सहारा लिया. उन्होंने साबित कर दिया कि अगर सीखने की ललक हो, तो इंटरनेट ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है.

अभावों को बनाया अपनी ताकत

ज्यादातर लोग गरीबी को अपनी कमजोरी मान लेते हैं. लेकिन ब्यूटी झा ने इसे अपनी ताकत बनाया. वह जानती थीं कि इस दलदल से निकलने का एकमात्र रास्ता शिक्षा ही है. नीट परीक्षा में उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें मेडिकल कॉलेज की दहलीज तक पहुंचा दिया है. ब्यूटी झा का कहना है कि वह एक ऐसी डॉक्टर बनना चाहती हैं, जो उन गरीब लोगों का मुफ्त या बेहद कम कीमत पर इलाज कर सकें, जो पैसों की कमी के कारण दम तोड़ देते हैं. इन दिनों वह लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं.

ब्यूटी झा ने नीट 2023 में 4809 रैंक हासिल की थी.

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Deepali Porwal

With more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academic sys...और पढ़ें

First Published :

December 28, 2025, 14:50 IST

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पिता की छूटी नौकरी, बेटी ने लगाया Momos का ठेला, अब यहां से कर रही एमबीबीएस

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