Last Updated:August 11, 2025, 08:45 IST
High Court News: कानून मंत्रालय की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें देशभर के हाईकोर्ट में पेंडिंग मुकदमों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. कई जेनरेशन गुजर जाने के बाद भी तकरीबन ढाई हजार केस को अभी ...और पढ़ें

High Court News: देशभर के हाईकोर्ट से जुड़ी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट समाने आई है. यह रिपोर्ट हाईकोर्ट में 50 साल से ज्यादा समय से लंबित ममलों से जुड़ी है. कई पीढ़ियां गुजर जाने के बाद भी पक्षकारों को अभी भी मीलॉर्ड के फैसले का इंतजार है. सभी हाईकोर्ट में 50 साल से ज्यादा पुराने मामलों के निपटारे में सबसे पीछे कलकत्ता हाईकोर्ट है. केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, यहां 2,185 मामले ऐसे हैं जो आधी सदी से ज्यादा समय से लंबित पड़े हैं. यह संख्या देशभर में 50 साल या उससे ज्यादा समय से कुल 2,329 मामलों का करीब 94% है. पिछले एक साल में ही कलकत्ता हाईकोर्ट में ऐसे 140 नए मामले जुड़ गए हैं.
कानून मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के 25 हाईकोर्ट में 40-50 साल पुराने 22,829, 30-40 साल पुराने 63,239, 20-30 साल पुराने 3.4 लाख और 10-20 साल पुराने 11.5 लाख मामले लंबित हैं. सबसे पुराना मामला 1951 से लंबित है, यानी इस केस के 74 साल हो चुके हैं, पर अभी तक इसका निपटारा नहीं हो सका है. कलकत्ता हाईकोर्ट के अलावा केवल आठ अन्य उच्च न्यायालयों में 50 साल से ज्यादा पुराने मामले लंबित हैं. इनमें मद्रास हाईकोर्ट (56 मामले), पटना हाईकोर्ट (46), इलाहाबाद हाईकोर्ट (17), तेलंगाना हाईकोर्ट (9), ओडिशा हाईकोर्ट (8), मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (4) के साथ ही बंबई और पंजाब-हरियाणा में दो-दो मामले पचास या उससे ज्यादा साल से लंबित हैं.
डिस्ट्रिक कोर्ट का परफॉर्मेंस बेहतर
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में डिस्ट्रिक कोर्ट का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है, जहां 50 साल से पुराने सिर्फ 1,113 मामले लंबित हैं, जिनमें से 39% मामले केवल पश्चिम बंगाल से जुड़े हैं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में जानकारी दी कि लंबे समय तक मामलों के लंबित रहने के कई कारण हैं. जैसे मामलों की जटिलता, सबूतों का स्वरूप, बार और जांच एजेंसियों का सहयोग, गवाहों और वादियों की उपलब्धता, कोर्ट का फिजिकल स्ट्रक्चर, सहायक स्टाफ और सुनवाई की निगरानी और प्रबंधन से जुड़े नियमों का पालन. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट में लंबित मामलों और जजों की कमी के बीच सीधा संबंध जरूरी नहीं है.
जजों की कम संख्या
1 अगस्त तक हाईकोर्ट में स्वीकृत पद 1,122 हैं, जबकि कार्यरत जजों की संख्या 778 है. इस तरह 344 पद खाली हैं. इन रिक्तियों में से 138 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है, जबकि 206 पदों के लिए अब तक कोई सिफारिश नहीं आई है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर सभी हाईकोर्ट को 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों को प्राथमिकता से निपटाने के निर्देश देता रहा है. सरकार ने अगस्त 2011 में नेशनल मिशन फॉर जस्टिस डिलीवरी एंड लीगल रिफॉर्म्स की शुरुआत की थी, जिसका मकसद न्यायिक प्रणाली में देरी और बैकलॉग को कम करना और जवाबदेही बढ़ाना है. सभी 25 हाईकोर्ट और जिला अदालतों में पांच साल से ज्यादा पुराने मामलों को निपटाने के लिए स्पेशल कमेटी भी गठित की गई है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 11, 2025, 08:45 IST