पैकेट वाले मिल्क को क्यों नहीं उबालें, दूधिए के दूध को जरूर उबालें,साइंस फैक्ट

59 minutes ago

दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े बाजारों में रोज 60-70 लाख लीटर (60,000-70,000 टन) दूध की कुल खपत होती है, जिसमें मदर डेयरी अकेले 35 लाख लीटर बेचती है, जिसमें अधिकांश दूध पैकेट वाला होता है. वैसे भी अब भारत की बड़ी आबादी पैकेट वाला दूध ही पी रही है. लेकिन भारतीय घरों में आमतौर पर एक आदत जरूर है कि वो इस पैकेट वाले दूध को पहले उबालते हैं और फिर इस्तेमाल में लाते हैं.

साइंस, डॉक्टर और डेयरी टैक्नॉलॉजिस्ट पैकेट वाले दूध पाश्चुरीकृत दूध को आमतौर पर उबालने की सलाह नहीं देते. दरअसल पैकेट वाला दूध पहले ही अल्ट्रा हाई टेंपरेचर या पाश्चुरीकरण विधि से प्रोसेस होकर कीटाणुमुक्त और शुद्ध होकर आपके पास पहुंचता है, लिहाजा इसे उबालने की जरूरत ही नहीं होती. अगर पैकेट वाले दूध को उबालते हैं तो पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. विटामिन B-कॉम्प्लेक्स, विटामिन C और प्रोटीन की गुणवत्ता कम होने के अवसर रहते हैं.

अगर दूध ताजा है. पैकेट खोलने के बाद ठीक से रखा गया है, तो उसे सीधे पीया जा सकता है. हां, अगर दूध खुला कई घंटे रह गया हो या फ्रिज से बाहर रखा हो तो सुरक्षा के लिए हल्का गर्म कर सकते हैं, लेकिन उबालने की जरूरत नहीं. अलबत्ता घर का ताजा दूध और दूधिये द्वारा दिए गए दूध को जरूर उबालें क्योंकि ये प्रोसेस्ड नहीं होता.

पैकेट वाले दूध को नहीं उबालने की सलाह के पीछे वैज्ञानिक और तकनीकी कारण हैं, जो इसकी उत्पादन प्रक्रिया से जुड़े हैं. भारत में मुख्य तौर पर दो प्रकार के पैकेट दूध उपलब्ध हैं – पाश्चुरीकृत दूध और अल्ट्रा हाई टेंपरेचर दूध.

पाश्चुरीकरण में दूध को 72°C से 85°C तापमान पर 15-30 सेकंड तक गर्म करके तुरंत ठंडा किया जाता है. यह प्रक्रिया हानिकारक बैक्टीरिया जैसे ई.कोली, साल्मोनेला और लिस्टेरिया को 99.9 फीसदी तक नष्ट कर देती है, जबकि लाभकारी एंजाइम और पोषक तत्व बरकरार रहते हैं. पाश्चुरीकृत दूध को रेफ्रिजेरेटेड तापमान 4°C पर रखना जरूरी होता है. इसकी शेल्फ लाइफ 4-7 दिन होती है.

अल्ट्रा हाई टेंपरेचर ट्रीटमेंट प्रोसेस में दूध को 135°C से 150°C तापमान पर मात्र 2-5 सेकंड के लिए गर्म करके तुरंत ठंडा किया जाता है. यह अत्यधिक उच्च तापमान सभी हानिकारक सूक्ष्मजीवों और उनके बीजाणुओं को पूरी तरह नष्ट कर देता है. इस प्रक्रिया के बाद दूध को विशेष एसेप्टिक पैकेटिंग में बंद किया जाता है, जो हवा और प्रकाश से पूरी सुरक्षा देता है. इस दूध को बिना रेफ्रिजरेशन के 3-6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है, बशर्ते पैकेट बंद रहे.

पैकेट वाले दूध को उबालने से क्या नुकसान

विटामिन B1, B2, B6, B12 और विटामिन C गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं. 100°C पर उबालने से इन विटामिनों की मात्रा 10-30% तक कम हो सकती है.दूध के प्रोटीन उच्च तापमान पर बदल सकते हैं, जिससे उनकी जैव उपलब्धता कम हो जाती है. दूध में प्राकृतिक रूप से मौजूद लाभकारी एंजाइम जैसे लैक्टेज और फॉस्फेटेज नष्ट हो जाते हैं.

होती है ये रासायनिक प्रतिक्रिया

उबालने से दूध में मौजूद लैक्टोज और प्रोटीन के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे दूध का रंग हल्का भूरा हो सकता है. स्वाद में परिवर्तन आ सकता है. उबालने से दूध का इमल्शन टूट सकता है, जिससे क्रीम एक अलग परत बना लेती है. कैल्शियम और फॉस्फेट के कुछ यौगिक नीचे बैठ सकते हैं.

कब पैकेट दूध गर्म करना चाहिए

केवल दो स्थितियों में पैकेट दूध को हल्का गर्म किया जा सकता है.
– जब आपको गर्म दूध पीना हो
– जब पैकेट खोलने के बाद दूध कई घंटे तक कमरे के तापमान पर रह गया हो
इस स्थिति में भी दूध को उबालने के बजाय केवल 70-80°C तक गर्म करना काफी है. एक बार खोले गए पैकेट को हमेशा रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए. 2-3 दिनों में उपयोग कर लेना चाहिए.

दूधिए से लिया दूध उबालना क्यों जरूरी

दूधिए से प्राप्त कच्चा दूध पूरी तरह अनप्रोसेस्ड होता है, जिससे कई स्वास्थ्य जोखिम जुड़े होते हैं. इस दूध को उबालने की न केवल सलाह दी जाती है बल्कि ये जरूरी भी है.
– कच्चे दूध में हानिकारक सूक्ष्मजीवों काफी हद तक हो सकते हैं. वायरस भी हो सकता है. पैरासाइट भी हो सकते हैं. ये सूक्ष्मजीव गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में.

– पशु के थनों में संक्रमण या अन्य बीमारियां हो सकती हैं. दूहने की विधियां भी अस्वच्छ हो सकती हैं. इनका भंडारण गैर-उपयुक्त तापमान और अस्वच्छ पात्र में हो सकता है. इसमें पानी या अन्य पदार्थों की मिलावट भी होने की आशंका रहती है. इस दूध को 100°C पर 10-15 मिनट तक उबालने से सभी हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं. बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं. लाइपेज एंजाइम निष्क्रिय हो जाता है, जिससे दूध का स्वाद बेहतर रहता है.

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