Pravasi Bharatiya Divas 2025: दुनिया भर में बसे प्रवासी भारतीयों को आज से ‘नया इंडिया’ देखने का मौका मिल रहा है. जी हां, भारतीय प्रवासी दिवस सम्मेलन का आज ओडिशा में आगाज हो रहा है. 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए पीएम मोदी भुवनेश्वर में हैं. ओडिशा में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के आयोजन के पीछे मोदी सरकार का बड़ा दिमाग है. एक मकसद तो दुनिया भर में फैले प्रवासी भारतीयों से जोड़ना तो है ही. दूसरा मकसद सरकार का पूर्वोदय प्लान है. इसके बिना साल 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य पूरा करना बेहद मुश्किल है.
दरअसल, प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन पहली बार किसी पूर्वी राज्य में हुआ है. इसका एक सबसे महत्वपूर्ण मकसद केंद्र और मोदी सरकार की पूर्वोदय प्रॉजेक्ट के प्रति प्रतिबद्धता को जमीन पर लाना है. पूर्वोदय प्रॉजेक्ट से मतलब भारत के पूर्वी क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास से है. इसके तहत ओडिशा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. सम्मेलन के आयोजन से ओडिशा के सांस्कृतिक विरासत को दुनिया में फैले प्रवासी भारतीयों के सामने रखने का मौका मिला है. हालांकि, पूर्वोदय का प्लान ही इसके मुख्य केंद्र में है.
बजट में ही दिख गया था पूर्वोदय प्लान
पिछली यानी 2024 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के पूर्वोदय प्लान को रेखांकित किया था. उसके तहत पूर्वी क्षेत्र के सांस्कृतिक विरासत को आर्थिक रूप में तब्दील किया जाए. पीएम मोदी ने पूर्वोदय के विचार का पहली बार जिक्र साल 2015 में किया था. जब उन्होंने ओडिशा के पारादीप में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड की रिफाइनरी का उद्घाटन किया था. अमेरिका में रहनेवाले ओडिशा के प्रवासी भारतीय ने न्यूज 18 इंडिया को कहा, ‘मैं चाहता हूं कि ओडिशा को हाईटेक बनाने में अपना योगदान दूं. ओडिशा में क्षमता बहुत है. धार्मिक पर्यटन की क्षमता और खनिज की क्षमता बहुत ज्यादा है. करीब 20 वर्षों तक नेगलेक्ट रहा ओडिशा. ओडिशा और पूर्वोदय के विकास से ही विकसित भारत का संकल्प पूरा होगा.’
क्यों ओडिशा के लिए अहम है यह सम्मेलन
दरअसल, पीएम मोदी को मालूम है कि पूर्वी भारत के विकास के बिना विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकता. इसलिए पहले प्रवासी भारतीय सम्मेल के 22 साल बाद ही सही पूर्वी हिस्से को दुनियाभर में फैले प्रवासी भारतीयों से कनेक्ट करने का मौका मिला है. ओडिशा की अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और कला की विरासत के अलावा खनिज संपदा और ऐतिहासिक विरासत है. ऐसे में अगर हाईटेक का साथ मिल जाए तो भारत में तेज गति से विकास कर रहे राज्यों की श्रेणी में इसे लाया जा सकता है. ओडिशा में प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह ओडिशा की भौगोलिक स्थिति और ओडिशा का दक्षिण पूर्व एशिया से ऐतिहासिक समुद्री जुड़ाव भी है.
नए भारत को देख गर्व कर रहे प्रवासी
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के दस साल हो चुके हैं. ओडिशा का दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से ऐतिहासिक समुद्री जुड़ाव रहा है. यह इस जुड़ाव को और मजबूत करेगा. ओडिशा में पहुंचे करीब 5000 प्रवासी भारतीय पीएम मोदी की भूमिका को विदेशों में अब साफ-साफ महसूस करते हैं. कतर से आई एक प्रवासी भारतीय महिला ने कहा, ‘मोदीजी ने गर्व महसूस कराया है. जैसे पहले लोग अमेरिका जाने के लिए तरसते थे अब भारत आने के लिए तरसते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के आने से हमें ज्यादा सम्मान मिलता है.’
क्या होगी असल चुनौती
निश्चित तौर पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन जैसा आयोजन भारत को दुनिया भर में मौजूद अपने लोगों के जरिए दुनिया से जोड़ने में मदद पहुंचाता है. विकसित भारत के लिए पूर्वोदय प्लान का संकल्प ओडिशा के जरिए पूरा करने की कोशिश साल 2047 में भारत को विकसित भारत बनाने के लक्ष्य में अपना योगदान जरूर देगा. मगर सरकार की एक चुनौती जरूर रहेगी. वह यह कि ओडिशा के अलावा बाकी चार पूर्वी राज्यों बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कैसे विकास की राह को विकसित भारत की तरफ ले जाया जाए.
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FIRST PUBLISHED :
January 9, 2025, 07:55 IST