Last Updated:November 14, 2025, 18:18 IST
केरल हाई कोर्ट ने मलयालम फिल्म Haal को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने CBFC के छह कट और A सर्टिफिकेट की शर्त को खारिज कर दिया, लेकिन दो बदलाव अनिवार्य बताए- बीफ बिरयानी वाला सीन हटाना और कुछ आपत्तिजनक संवाद व राखी ब्लर करना.
कोर्ट ने पुराने आदेश को अनुचित कहा.मलयालम फिल्म ‘Haal’ को लेकर चल रहा विवाद शुक्रवार को एक नए मोड़ पर पहुंचा. केरल हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड (CBFC) के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें फिल्म में छह कट लगाने के बाद ही इसे ‘A’ यानी Adults Only प्रमाणपत्र देने की बात कही गई थी. हालांकि कोर्ट ने फिल्म को सीधे हरी झंडी नहीं दी, बल्कि दो खास बदलाव करने की शर्त रखी है.
कोर्ट ने कहा छह कट की जरूरत नहीं
जस्टिस वी जी अरुण ने खुद फिल्म देखने के बाद आदेश दिया. उन्होंने माना कि CBFC ने फिल्म को A सर्टिफिकेट देते हुए भी छह कट की मांग की, जो उनके हिसाब से सही नहीं था. फिल्म की कहानी एक मुस्लिम लडके और एक क्रिश्चियन लडकी की प्यार से जुड़ी है.
सेंसर बोर्ड को लगा था कि इसकी कुछ बाते धार्मिक रूप से संवेदनशील माहौल बना सकती हैं. कोर्ट ने कहा कि फिल्म का समग्र संदेश देखने के बाद इतने कट का दबाव डालना उचित नहीं लगता.
कौन से बदलाव होंगे?
कोर्ट ने मेकर्स को दो मुख्य संशोधन करने का आदेश दिया:
इसके अलावा कोर्ट ने उस डायलॉग को भी हटाने को कहा है जिसमें कहा गया है: “Adhil thanne… matha thilekkumii kanu…” जस्टिस अरुण ने कहा कि इन बदलावों के बाद मेकर्स फिर से सेंसर बोर्ड के पास जा सकते हैं और CBFC दो हफ्ते के भीतर नया फैसला करेगा.
मेकर्स की दलील– फिल्म में ना हिंसा है
फिल्म के निर्माताओं ने कोर्ट में चुनौती दी थी कि CBFC ने फिल्म के वास्तविक संदेश को नजरअंदाज कर दिया. उनका कहना था कि फिल्म में कोई ऐसा दृश्य नहीं है जिससे इसे सिर्फ वयस्कों के लिए माना जाए. बोर्ड ने पहले जिन छह बदलावों की मांग की थी, उनमें हीरोइन के मुस्लिम पहनावे वाले एक गाने को हटाना और एक संस्था का नाम ब्लर करने जैसी बाते शामिल थीं. मेकर्स ने कहा कि बोर्ड ने कथा का संदर्भ समझे बिना सिर्फ संवेदनशीलता के आधार पर पाबंदियां लगा दीं.
फिल्म ने ‘Laxman Rekha’ पार की
CBFC की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कोर्ट में कहा कि फिल्म कुछ ऐसे मुद्दो को छूती है जो धार्मिक रूप से बेहद संवेदनशील हैं. उनकी दलील थी कि कुछ दृश्य समुदायो के बीच असहजता पैदा कर सकते हैं और बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह पब्लिक ऑर्डर और धार्मिक भावनाओ को ध्यान में रखे. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या सिर्फ “unease” यानी हल्की असहजता भी सेंसरशिप का आधार हो सकती है?
चर्च संगठन और RSS पदाधिकारी दोनों ने उठाई उंगलियां
फिल्म को लेकर दो बाहरी समूह भी सामने आए. कैथोलिक कांग्रेस (थमारसेरी डायोसीज) का कहना था कि फिल्म में एक बिशप को गलत तरीके से पेश किया गया है और यह ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देती दिखती है.
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First Published :
November 14, 2025, 18:18 IST

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