Last Updated:August 31, 2025, 07:13 IST
West Bengal SIR News: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को चुनाव आयोग के SIR अभियान का डर लगाने लगा है. यहां बांग्लादेश से सटे राज्य के सीमावर्ती मालदा और मुर्शिदाबाद में लोगों ने अभी से इसके लिए तै...और पढ़ें

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बिहार की तरह यहां भी चुनाव आयोग की तरफ से वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान को लेकर लोगों की चिंता साफ देखी जा सकती है. यही वजह है कि बांग्लादेश से सटे राज्य के सीमावर्ती ज़िलों मालदा और मुर्शिदाबाद में अल्पसंख्यक समुदायों के लोग जन्मस्थान और जन्मतिथि से जुड़े दस्तावेज़ जुटाने के लिए नगर पालिकाओं, ग्राम पंचायतों और स्थानीय अदालतों का रुखने लगे हैं.
चुनाव आयोग ने 27 अगस्त को मुख्य सचिव और जिला प्रशासन को मतदाता सूची के विशेष संशोधन को लेकर पत्र भेजा है. इसके बाद से मालदा में बड़ी संख्या में लोग जन्म प्रमाणपत्र बनवाने और पुराने दस्तावेज़ों को दुरुस्त कराने में जुटे हैं.
दलालों और साइबर कैफे की हुई चांदी
बताया जा रहा है कि स्थानीय दलाल लगभग 1,900 रुपये लेकर लोगों की ओर से हलफ़नामे तैयार कर ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं. ये दलाल 50-80 लोगों के समूह को स्थानीय अदालतों तक ले जा रहे हैं, वहीं साइबर कैफ़े भी दस्तावेज़ों की कॉपी निकालने में अच्छी-ख़ासी कमाई कर रहे हैं.
अंग्रेज़ी बाज़ार नगरपालिका के टीएमसी पार्षद शुभमय बसु ने कहा, ‘पिछले दो हफ्तों में यह रुझान तेज हुआ है, जिससे कर्मचारियों पर भी दबाव बढ़ गया है. लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं, इसलिए नगरपालिका ने एक विशेष सेल बनाया है और अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया है. कोशिश यही है कि कोई भी मामला पेंडिंग न रहे.’
नोटरी का हलफनामा अब काफी नहीं
जिला प्रशासन के अनुसार, अब केवल नोटरी पब्लिक का हलफ़नामा पर्याप्त नहीं है. प्रमाणपत्र को नगरपालिका चेयरमैन, पंचायत प्रमुख और न्यायिक मजिस्ट्रेट से सत्यापित कराना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसे में रतुआ, कालियाचक, सुजापुर समेत 146 ग्राम पंचायत क्षेत्रों से लोग दस्तावेज़ लेने पहुंच रहे हैं. मुर्शिदाबाद जिले के जालंगी, रानीनगर, डोमकल, बेलडांगा, हरिहरपारा, सूती, शमशेरगंज और फरक्का इलाकों में भी जन्म प्रमाणपत्र सुधारने और प्राप्त करने की होड़ मची है.
कांग्रेस पंचायत सदस्य आमिरुल इस्लाम कहते हैं, ‘लोगों के पास वोटर आईडी और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज़ पहले से हैं, लेकिन वे आश्वस्त होना चाहते हैं कि उनका नाम वोटर लिस्ट से न हटे. डर यह है कि कहीं उन्हें बांग्लादेश भेजने की कोशिश न की जाए. यही वजह है कि इतनी भागदौड़ मची है. चाय की दुकानों से लेकर सोशल मीडिया तक पर इस मुद्दे की चर्चा हो रही है.’
हालांकि टीएमसी सांसद और मुर्शिदाबाद ज़िला अध्यक्ष अबू ताहेर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोगों में डर कम हुआ है. उन्होंने कहा, ‘हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि घबराएं नहीं, बस अपने दस्तावेज दुरुस्त रखें. पश्चिम बंगाल में SIR लागू नहीं होने देंगे. यह बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति है.’ ताहेर ने माना कि गांवों में बुज़ुर्गों के बीच अब भी कुछ डर है, लेकिन टीएमसी लगातार आउटरीच कार्यक्रम कर रही है ताकि किसी तरह की अफ़वाह न फैले.
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Location :
Maldah,West Bengal
First Published :
August 31, 2025, 07:13 IST