Last Updated:March 12, 2025, 10:17 IST
पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होगा. एआईएमआईएम भी चुनाव में उतरेगी, जिससे ममता बनर्जी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए अच्छी खबर आई है.
हाइलाइट्स
पश्चिम बंगाल में 2026 में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होगा.एआईएमआईएम के चुनाव में उतरने से ममता के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती है.ओवैसी की पार्टी ने राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू किया है.पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के बीच है. हालांकि भाजपा बीते लोकसभा चुनाव और उससे पहले 2021 के विधानसभा में कमजोर पड़ गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली थी. उसे 40.25 फीसदी वोट मिले थे. वहीं तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थी और उसका वोट प्रतिशत 43.27 फीसदी था. राज्य में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं. लेकिन, मात्र दो साल बाद 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी इस बढ़त को कायम नहीं रख सकी. 2021 के विधानसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत गिरकर करीब 38 फीसदी पर आ गया. वहीं टीएमसी का वोट प्रतिशत बढ़कर 48 फीसदी हो गया. इस कारण 2021 के विधानसभा में भाजपा को मात्र 77 सीटें मिलीं.
अब आते हैं 2024 के लोकसभा चुनाव पर. इस चुनाव में भी भाजपा 2019 वाला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई. वह केवल 12 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. उसका वोट प्रतिशत 38.73 फीसदी रहा. वहीं टीएमसी 29 सीटों पर जीती और उसका वोट प्रतिशत 45.76 फीसदी रहा. यानी बीते तीन चुनावों से भाजपा मामूली वोटों के अंतर से टीएमसी से चूक रही है. ऐसे में 2026 का विधानसभा चुनाव काफी अहम हो जाता है. इस चुनाव से पहले टीएमसी के अंदर भी खटपट है और दूसरी तरफ राज्य का ‘भ्रद लोक’ भी उससे दूर हो रहा है. इसका नमूना बीते साल आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर बिटिया के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद भड़के जनाक्रोश में भी देखा गया.
मुस्लिम फैक्टर
मुस्लिम आबादी के हिसाब से पश्चिम बंगाल देश का एक बड़ा राज्य है. यहां कुल आबादी में करीब 27 फीसदी मुस्लिम हैं. ये ममता बनर्जी के वोटर हैं. इसके अलावा समाज के गरीब और कुछ उच्च जाति वर्ग में भी ममता बनर्जी की पैठ है. लेकिन, ममता बनर्जी के इस मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी चल रही है. दरअलस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने अगले साल पश्चिम बंगाल चुनाव में कूदने का फैसला किया है. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने ऐलान किया है कि वह पश्चिम बंगाल चुनाव लड़ेगी. पार्टी ने राज्यव्यापी सदस्यता अभियान के जरिए अपना आधार बढ़ाने के लिए एक फोन नंबर लॉन्च किया है.
एआईएमआईएम के नेता मोहम्मद इमरान सोलंकी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि हमारे पास बंगाल में लगभग तीन लाख सदस्य हैं और हमने 2023 के पंचायत चुनावों में सिर्फ मालदा और मुर्शिदाबाद से लगभग 1.5 लाख वोट हासिल किए. एआईएमआईएम ने 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में अपनी शुरुआत की थी, लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई. पार्टी ने अल्पसंख्यक बहुल सीटों वाले मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर जिलों से सात उम्मीदवार उतारे थे. राज्य में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं. उन्होंने कहा कि हम पिछले चार साल से जमीन पर चुपचाप काम कर रहे हैं, हम आगामी विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहते हैं और ब्लॉक स्तर पर काम शुरू कर दिया है. एआईएमआईएम सदस्यता अभियान के लिए घर-घर जा रही है. यह जिलों में इफ्तार पार्टियों का भी आयोजन कर रही है. ईद के बाद असदुद्दीन ओवैसी रैलियां करने के लिए बंगाल का दौरा करने वाले हैं.
भाजपा को भाजपा
अब सवाल यह है कि अगर राज्य में ओवैसी की पकड़ मजबूत होती है. अगर वह तीन-चार फीसदी वोट हासिल कर लेते हैं तो उससे किसको सबसे ज्यादा फायदा होगा. दरअसल, ओवैसी मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने है तो सीधे तौर पर ममता बनर्जी कमजोर पड़ेंगी और ममता के कमजोर पड़ने का सीधा फायदा भाजपा को होगा. महाराष्ट्र में ओवैसी ने इंडिया गठबंधन से अलग चुनाव लड़ा था. राज्य में ओवैसी की पार्टी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
First Published :
March 12, 2025, 10:17 IST