Last Updated:March 04, 2025, 14:32 IST
SILIGURI CORRIDOR: पिछले कुछ समय में चीन ने डोकलाम के पास अपनी गतिविधियां बढ़ाई है. थल सेना प्रमुख ने चीन की हरकतों के सवाल के जवाब में कहा था कि चिकन नेक के पास भारतीय सेना का जमावड़ा तीन तरफ से है. पश्चिम बंग...और पढ़ें

सेना ने दिया एक साथ तीन देशों के संदेश
हाइलाइट्स
भारतीय सेना ने बांगलादेश सीमा के पास टैंक अभ्यास किया.सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारतीय सेना की तैयारियां तेज.T-90 टैंकों ने युद्धाभ्यास में सटीकता से फायरिंग की.SILIGURI CORRIDORE: चीन ने 2017 में डोकलाम में भारत के हाथों करारी हार चखने के बाद अब फिर से उन इलाको में काम को तेज किया है. भारतीय सेना ने चीन के काम को सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर तांक झांक करने से रोक दिया था. धीरे धीरे चीन अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाने में जुटा है. वहीं बांग्लादेश में मौजूदा हालातों में भी यह कॉरिडोर काफी महत्वपूर्ण हो गया है. ISI बांग्लादेश में खुले आम एक्टिव हो रही है. चीन का ऑल वेदर फ्रैंड पाकिस्तान बांगलादेश के जरिए भारत के खिलाफ नई तरह की साजिश रच सकता है. इसमें बांगलादेश से लगती हुई सिलिगुड़ी कॉरिडोर भी शामिल है. भारतीय सेना अपनी सीमा के पास पड़सियों के हर गतिविधियों पर पैनी नजर बन हुए है. इनसे निपटने के लिए अपनी तैयारियों को भी धार देना शुरू किया है. भारतीय सेना के टैंक बांगलादेश सीमा के करीब इस तरह से बरसी की दुश्मन देशों को उसकी धमक जरूर सुनाइ दी होगी.
झोंक दी त्रिशक्ति कोर ने अपनी ताकत
भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर के पास जिम्मेदारी है सिक्कम और सिलिगुड़ी कॉरिडोर की रक्षा करने की. इस सिलिगुड़ी कॉरेडोर एक तरफ नेपाल है और एक तरफ बांग्लादेश. सेना ने पूरे सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए अपनी तैयारियों को धार दिया. एक महीने तक चले इस युद्धाभ्यास में दिन रात लगातार सेना के T-90 टैंक अपवने लक्ष्य को सटीकता से साधने का अभ्यास करते रहे. इस अभ्यास को मकसद था युद्ध के लिए खुद को तैयार रखना. अभ्यास में ऑर्मर्ड वॉरप्लान को परखा गया. हाई एल्टिट्यूड एरिया में टैंकों के जरिए कैसे जंग लड़नी है और जीतनी है इसकी तैयारी की गई. T-90 टैंक भारतीय सेना का मेन बैटल टैंक है. इसकी खासियत है इसकी रफ्तार और एंटी गाइडेड मिसाइल की सटीक फायरिंग के लिए जाना जाता है. यह हर मौसम में दिन और रात को ऑपरेशन के लिए तैयार रहते हैं.
अभ्यास के फोकस प्वाइंट
ए़डवांस एम्यूनेशन और गाइडेड मिसाइलों की फायरिंग और सटीक हमले की क्षमता को जांचना, अभ्यास में ड्रोन को भी इंटीग्रेटेड किया ताकी रीयल टाइम में निगरानी और टार्गेट को आसानी पहचान पाने में आसानी हो. मैन-मशीन टीमिंग ड्रिल्स के तहत क्रू के समनवय और जंग के लिए तैयारी को बढ़ाया जा सके. सेना की तरफ से जारी बयान में साफ कहा गया है कि ‘यह अभ्यास हमारे आर्मर्ड वॉरफेयर क्षमता को चुनौतीपूर्ण इलाकों में परीक्षण के लिए किया गया. T-90 टैंकों को एरियल असेट और एडवांस सर्वेलांस टेकनॉलोजी के इंटीग्रेशन से हमारी कॉबेट तैयारियों में बड़ोतरी हुई है. इसके अलावा इस अभ्यास में ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति सेना की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है. इस अभ्यास में स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या है सिलसिगुड़ी कॉरिडोर?
भारत के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकेन नेक के नाम से जाना जाता है. पश्चिम बंगाल का 60 किलोमीटर लंबा और 21 किलोमीटर चौड़ा जमीन का हिस्सा है. यह सामरिक रूप से बेहद अहम है. यह हिस्सा पूवोत्तर राज्यों को जमीन के रास्ते बाकी देश को जोड़ता है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर से भारत की सीमा बांग्लादेश, नेपाल से लगती है. तिब्बत का चुंबी वैली भारत का सिक्किम और भूटान के डोक्लाम का ट्राई जंक्शन इसके करीब है. डोकलाम में अपनी गतिविधियों को बढ़ाते हुए जामफेरी रिज तक पहुंचने की तैयारी है जहां से वह चिकन नेक पर आसानी से नजर रख सकता है.
First Published :
March 04, 2025, 14:32 IST