Bangladesh Chaos: नए साल पर बांग्लादेश में भी बहुत कुछ बदल सकता है. आशंका जताई जा रही है कि 24 घंटे बाद बांग्लादेश में एक और तख्तापलट हो सकता है. इस आशंका की वजह है बांग्लादेश से आई एक बड़ी खबर. बड़ी खबर ये कि 31 दिसंबर को दोपहर 3 बजे ढाका में शहीद मीनार पर एक बड़ा आयोजन होगा. इस आयोजन के मास्टरमाइंड मोहम्मद यूनुस के प्यादे यानी छात्र नेता हैं. आयोजन का मकसद है बांग्लादेश के संविधान को बदलना. मोहम्मद यूनुस के सलाहकारों ने इस सभा के लिए 30 लाख लोगों को जुटाने का प्लान बनाया है. जिसके लिए जमात ए इस्लामी जैसे कटट्रपंथी संगठन प्रचार कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी छात्र नेताओं की अपील वायरल की जा रही हैं.
24 घंटे में यूनुस आउट?
बहाना बनाया गया है संविधान को बदलना. लेकिन माना जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस और छात्र नेता संविधान को बदलने की आड़ में बड़ी साजिश रच रहे हैं. यूनुस के इस प्लान की इनसाइड स्टोरी आपको बताएगी हमारी WORLD EXCLUSIVE REPORT
5 अगस्त को ढाका में हिंसा के जरिए शेख हसीना की लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट किया गया था. अब एक दूसरे तख्तापलट की सुगबुगाहट ढाका समेत पूरे बांग्लादेश में फैल रही है.
24 घंटे बाद बांग्लादेश में तख्तापलट ?
माना जा रहा है कि संविधान में बदलाव की आड़ में सबसे पहले बांग्लादेश का नाम बदला जा सकता है. बांग्लादेश में जो चर्चा चल रही है.
उसके मुताबिक ती नए नाम यूनुस और उनके सलाहकारों ने सोचे हैं.
पहला नाम हो सकता है इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश. दूसरा नाम हो सकता है इस्लामिक खिलाफत ऑफ बांग्लादेश और तीसरा विकल्प सोचा गया है- इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान
इसे बांग्लादेश के इतिहास के साथ भद्दा मजाक नहीं तो और क्या कहेंगे. जिस पाकिस्तान से आजादी दिलाने वाले शहीदों की याद में शहीद मीनार बनाई गई. उसी शहीद मीनार से बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान का नाम जोड़ने की साजिश रची जाएगी. इतना ही नहीं संविधान से सेकुलर कैरेक्टर को हटाकर बांग्लादेश में सुन्नत और शरिया को लागू किया जा सकता है.
बांग्लादेश का नाम बदलने के साथ ही साथ एक और साजिश यूनुस और उनके प्यादों ने रची है. जिसका टारगेट है बांग्लादेश की सत्ता पर पूरी तरह कब्जा कर लेना.
माना जा रहा है कि इस सभा के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति से इस्तीफा मांगा जा सकता है. मोहम्मद यूनुस को नया राष्ट्रपति घोषित किया जा सकता है. राष्ट्रपति के साथ ही साथ आर्मी चीफ से भी जबरन इस्तीफा लिया जा सकता है और देशद्रोह के आरोपों का सामना कर चुके ब्रिगेडियर जनरल अमन आजमी को नया आर्मी चीफ बनाया जा सकता है.
यानी बांग्लादेश में हर पावर सेंटर पर वो शख्स बैठाया जा सकता है. जो पाकिस्तान की कठपुतली है. बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन ने एक नई कैबिनेट बनाने की भी मांग उठाई है. इस मांग को अब संविधान में बदलाव से जोड़ा जा रहा है. अगर इस मांग को माना गया तो इस्लामी छात्र शिबिर, जमात ए इस्लामी, हिफाजत ए इस्लाम, इस्लामी आंदोलन से जुड़े लोगों को नई कैबिनेट में अहम पद दिए जा सकते हैं.
इस तीसरी आशंका से बांग्लादेश का बुद्धिजीवी वर्ग डरा हुआ है. अगर बांग्लादेश के सिस्टम में भी कट्टरपंथियों की एंट्री हो गई. तो बांग्लादेश एक तानाशाही व्यवस्था में तब्दील हो जाएगा. अब सबकी नजरें 31 दिसंबर की तारीख और 3 बजे के वक्त पर टिकी हैं. क्योंकि घड़ी की सुई ही बताएगी. यूनुस की साजिशों से बांग्लादेश बच पाएगा. या फिर दक्षिण एशिया में एक नया पाकिस्तान पैदा हो जाएगा.